सिर्फ बातें हुई और कुछ नहीं

आपके द्वारा नि:स्वार्थ दिया गया एक यूनिट ब्लड किसी जरूरतमंद की जान बचा सकता है। ये लाइनें वालंट्री ब्लड डोनेशन के इम्पार्टेंस को बताने के लिए काफी है, लेकिन हकीकत इसके एकदम उलट है। मामला इसी साल 14 जून से 14 जुलाई के बीच चलाए गए ब्लड डोनेशन मंथ का है। डीएम की बैठक में मौजूद कुल चालीस जिम्मेदार संस्थाओं ने वादा जरूर किया लेकिन कैंप में पहुंचीं केवल छह।

फिर वादा क्यों किया था

मामला वालंट्री ब्लड डोनेशन का है इसलिए कोई डोनर से जबरन डोनेट नहीं करवा सकता। शायद यही कारण था कि ये संस्थाएं कार्रवाई से बच गईं लेकिन कहीं न कहीं सभी ने अपनी मोरल रिस्पांसिबिटी से मुंह जरूर मोड़ा। 14 जून से एक महीने के लिए चलाए गए वालंट्री ब्लड डोनेशन मंथ के दौरान डीएम राजशेखर की बैठक में कुल चालीस सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं को इनवाइट किया गया था। इनमें से 20 मीटिंग में आईं लेकिन ब्लड डोनेशन का वादा करने के बावजूद केवल छह संस्थाएं पहुंची। इन्होंने 1490 यूनिट के टारगेट के मुकाबले महज 237 यूनिट ने ही वालंट्री डोनेशन किया। जो कि 15.9 फीसदी रहा।

आधा वादा भी नहीं पूरा कर पाए

चिकित्सा एवं स्वास्थय विभाग- सौ के मुकाबले 35 यूनिट, चिकित्सा शिक्षा विभाग, सौ के मुकाबले 47 यूनिट, पुलिस विभाग- पचास के मुकाबले- 33 यूनिट, उघोग- सौ के मुकाबले 78 यूनिट, बैंक- पचास के मुकाबले 34 यूनिट, एनवाईके- दस यूनिट।