प्रयागराज (ब्‍यूरो)। याची का कहना है कि रेरा अधिकरण ने दोनों पक्षों के बीच हुए करार की अनदेखी करके आदेश दिया है। जो विधि विरुद्ध, मनमाना पूर्ण व क्षेत्राधिकार से बाहर है। प्रोजेक्ट तीन साल में पूरा होना था। 12 दिसंबर 2014 को आवंटन हुआ। 12 दिसंबर 2017 तक प्रोजेक्ट पूरा होना था। इसका ग्रेस पीरियड 12 जून 2018 तक था। 25 मई 2018 को याची ने काम पूरा होने का प्रमाणपत्र जारी करने की अर्जी दी। अर्जी समय के भीतर दी गई है। वहीं, विपक्षी का कहना था कि 17 सितंबर 2013 को काम मिला था। प्रोजेक्ट को 17 सितंबर 2016 को पूरा होना था, लेकिन तय समयसीमा के अंतर्गत काम पूर्ण नहीं किया गया। याची का कहना था कि करार शर्तों के तहत काम पूरा होने के प्रमाण पत्र जारी करने की अर्जी दी गई थी। प्रमाणपत्र देने में आपत्तियों के कारण देरी हुई। दूसरे की गलती का खामियाजा याची को भुगतने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। करार की शर्तों के विपरीत अधिकरण के निष्कर्ष विधि सम्मत नहीं है। कोरोना के कारण लागू हुए लाकडाउन पर भी विचार नहीं किया गया। ओम प्रकाश महतो व मंजू महतो ने अधिकरण में दावा किया था, जिस पर पारित अवार्ड को चुनौती दी गई है।