प्रयागराज (ब्‍यूरो)। शासन का कहना है कि हर साल करोड़ों रुपए की लागत से पौधरोपण किया जाता है। इसके बाद लगाए गए पौधों की स्थिति का पता नही चलता है। बाद में रिपोर्ट लग जाती है कि बड़ी संख्या में पौधे देखभाल के अभाव में खराब हो गए। इससे पैसा और मेहनत सब व्यर्थ जाता है और साथ में पर्यावरण के संरक्षण का उददेश्य भी पूरा नही हो पाता। ऐसे में संबंधित विभागों को कहा गया है कि वह अपने बजट से पौधरोपण स्थलों की जियो टैगिंग कराएं। ऐसे में उस जगह की लोकेशन ट्रेस करने में आसानी होगी। प्रशासन इन पौधों का थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन करा सकता है।
जिसकी रिपोर्ट सीधे शासन को भेजी जाएगी।

पिछले बार की देनी होगी रिपोर्ट
शासन का कहना है कि पिछले साल यानी 2021 में जो पौधे लगाए गए थे, उनकी रिपोर्ट भी देनी होगी। इसकी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी करवाकर शासन को भेजनी है। अगर पौधों की स्थिति सही नहीं मिली तो संबंधित विभाग के अधिकारियों को स्पष्टीकरण भी देना पड़ सकता है। यही कारण है कि इस बार जो भी पौधरोपण हो रहा है, उसमें पौधों के सुरक्षा के इंतजाम भी किए जा रहे हैं। कई विभागों ने बगीचे के चारों ओर फेंसिंग करवा दी है। जिससे बाहरी जानवर प्रवेश नही कर सकें। तमाम विभाग जिया टैगिंग की प्रक्रिया शुरू कर चुके हैं।
इस साल पौधरोपण का कुल लक्ष्य 7096088
पिछले वित्तीय वर्ष का कुल लक्ष्य- 5987514
4 जुलाई को होने वाला कुल पौधरोपण- 5068608
5 जुलाई को होने वाला कुल पौधरोपण- 506867
7 जुलाई को होने वाला कुल पौधरोपण- 506867
15 अगस्त को होने वाला कुल पौधरोपण- 1013746

बिना देखभाल खराब हो जाते हैं पौधे
शासन के इस निर्देश का कारण स्पष्ट है। बताया जाता है कि हर साल लगने वाले कुल पौधे का तीस प्रतिशत खराब हो जाते हैं। लेकिन असलियत कुछ और है। खराब होने वाले पौधों की संख्या दोगुने से अधिक होती है। विभागों के अधिकारियों ने बतायाकि पौधे तो लग जाते हैं लेकिन इनकी देखभाल नही हो पाती है। विभागों के पास माली भी मौजूद नही है। ऐसे में जो पौधे लगते हैं वह देखभाल के अभाव में खराब हो जाते हैं।

पौधरोपण कराने वाले विभागों को जियो टैगिंग कराने के निर्देश दिए गए हैं। इससे पौधरोपण स्थल की जानकारी हो जाएगी। साथ ही पौधों की बर्बादी पर भी रोक लगेगी। विभाग अपनी ओर से जियो टैगिंग कराएंगे।
रमेश चंद्र, डीएफओ प्रयागराज