प्रयागराज (ब्‍यूरो)।

500 देने पर मिला था फॉग लाइट
यूपी 78 एफटी 0851 बस का काफी बुरा हाल था। रिपोर्टर के हिडन कैमरे पर कर्मचारी एक के बाद एक वर्कशॉप के अंदर चल रहे वसूली के खेल को उजागर करते चले गए। उन्होंने बताया कि वर्कशॉप के अंदर एक फॉग लाइट लगाने के लिए पांच सौ रुपये मांगा जाता है। दो लोग मिलकर एक हजार रुपये दिए। तब जाकर दो लाइट लगी। इसके अलावा कोई भी छोटा-मोटा काम कराने हो तो सुविधा शुल्क दो। इस बस में यात्री की सुरक्षा ही नहीं। हम कर्मचारियों की सुरक्षा भी खतरे में होती है। इसलिए अपने जेब से देना पड़ता है। बोलने पर अधिकारी तक सुनने को तैयार नहीं है। अगर सुविधा शुल्क न दो तो बस चेक कर ओके बोल देते हैं। बल्ब खराब होने पर पता नहीं कितने बार अपनी जेब से देकर चेंज कराए है।

रस्सी व धागे के भरोसे लाइट
यूपी 70 ईटी 5434 बस में फॉग लाइट से लेकर नार्मल लाइट तक रस्सी व धागे से बांधा गया था। रिपोर्टर से बातचीत में हिडन कैमरे के सामने कर्मचारी ने बताया कि अगर ठीक कराने के लिए वर्कशॉप लेकर जाओ तो कुछ न कुछ देना पड़ता है। इसलिए जुगाड़ से काम चलाया जा रहा है। ये तो अधिकारियों को एसी वाले कमरे से निकल कर बसों को चेक कर ठीक कराने का आदेश देना चाहिए। वर्कशॉप को बनिया की दुकान बना लिया गया है। जब दो तब कुछ होगा।

हॉर्न बजता है ये मालूम है
बस नंबर यूपी 78 एफएन 1714 कर्मचारी ने बताया कि लाइट व अन्य चीज काम कर रहा है या नहीं। ये नहीं मालूम है। बस इतना जरूर पता है कि बस हॉर्न बराबर बजता है। आगे फॉग लाइट की जगह खाली थी। जो नार्मल लाइट लगा था। उसका राइड साइट बहुत धीरे जल रहा था। पूछने पर कर्मचारी ने बताया कि अधिकारियों से बात कीजिए। यहां बल्ब तक खुद खरीद कर लगाना पड़ता है। वर्कशॉप में सर्विस हो जाये यह ही बहुत है। पार्ट्स लगाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है।
बस चल रही है यह ही कम है क्या?
यूपी 78 एफएन 5080 बस तो राम भरोसे चलाया जा रहा है। इसकी लाइट तो जल रही थी। लेकि इसके न आगे इंडीकेटर था न ही पीछे। पूछने पर ड्राइवर ने बताया कि
साहब रोडवेज की बस चल रही है। ये ही कम है क्या? इस इंडीकेटर के न होने पर कई बार मोड़ते वक्त बाइक व अन्य वाहन छूते बच जाती है। उनको पता ही नहीं चलता है। आखिर ड्राइवर कहां गाड़ी मोडऩे वाला है। यह तो हम लोग है जो हाथ बाहर निकाल इशारा करते है। रात में तो खतरे का डर हमेशा बना रहता है।

हाई लाइट
- फायर कंट्रोल सिलेंडर दिखावे के लिए
- फॉग लाइट तो दूर इंडीकेटर तक टूटे
- एसी बसों के भी दरवाजे टूटे मिले
- अगले पहियों में लगा दिया रबरिंग टायर

कोहरे के दौरान बसों के लिए यह गाइड लाइन
- फॉग लाइट के साथ इंडीकेटर
- बैक लाइट के साथ रेडियम पट्टी
- फ्रंट मिरर में वाइपर
- फायर कंट्रोल सिलेंडर व फस्ट एड मेडिकल किट

40 फीसद बसों में नहीं लगा मिला फॉग लाइट
10 फीसद बसों में रस्सी व धागे के भरोसे जल रहा फॉग व नार्मल लाइट
07 दिन में एक बार बल्ब खराब होने का कर्मचारियों का दावा
02 दर्जन से अधिक बसों टूटे मिले इंडीकेटर कुछ के आगे और पीछे दोनों टूटे थे