सब कुछ प्लानिंग के मुताबिक हुआ तो सरेराह होने वाली गल्र्स के साथ छेड़खानी की घटनाओं पर नकेल कसा जा सकेगा। इंस्टीट्यूट की ओर से बनाए जा रहे सॉफ्टवेयर की हेल्प से घटनास्थल के पास वाले पुलिस स्टेशन को पलक झपकते सूचना भेजी जा सकेगी। दरअसल, ये सॉफ्टवेयर मोबाइल फोन के लिए बनाया जा रहा है। मोबाइल फोन में इस सॉफ्टवेयर के लगते ही वह इस टेक्नोलॉजी से लैस हो जाएगा कि सिर्फ एक बटन दबाने पर भी घटनास्थल के पास वाले पुलिस स्टेशन को मैसेज सेंड हो जाएगा.
साहस की होगी जरूरत
इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ। एमडी तिवारी ने सैटरडे को ऑर्गनाइज एक वर्कशॉप के दौरान खुद ये जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इंस्टीट्यूट जल्द ही ये सॉफ्टवेयर बनाने में सफलता प्राप्त कर लेगा। उन्होंने कहा कि पूरे चांस हैं कि इसकी मदद से गल्र्स व वूमेंस के साथ होने वाली अप्रिय घटनाओं पर रोक लगाया जा सकेगा। इसके साथ ही इस सॉफ्टवेयर की बेनीफिट उन वूमेंस को भी मिलेगा, जो घर में प्रताडि़त की जाती हैं और वे आपबीती किसी से शेयर नहीं कर पाती हैं। इस सॉफ्टवेयर से लैस मोबाइल के थ्रू वे पुलिस को भी पलक झपकते सूचना दे सकेंगी। जरूरत होगी तो केवल इसके लिए साहस की.
समझें खुद के अधिकार को
इंस्टीट्यूट में वूमेन सेफ्टी पर ऑर्गनाइज वर्कशॉप का इनॉगरेशन करते हुए डायरेक्टर ने कहा कि वूमेंस को खुद के अधिकार को समझना होगा। क्योंकि जब तक वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं होंगी सोसाइटी में वे अपना स्थान नहीं बना पाएंगी और शोषित होती रहेंगी। दो दिवसीय वर्कशॉप के पहले दिन शालिनी माथुर ने शिक्षा, सत्ता, सम्पत्ति पर अधिकार जमाने के लिए वूमेंस को अवेयर किया। प्रो। जीसी नंदी, प्रो। विजयश्री तिवारी, प्रो। आरसी त्रिपाठी, डॉ। अनिता गोपेश व डॉ। सुमिता परमार सहित अन्य ने बारी-बारी से वूमेंस की सेफ्टी को लेकर अपना विचार रखा.
फौरन पहुंचेगी police
सब कुछ प्लानिंग के मुताबिक हुआ तो सरेराह होने वाली गल्र्स के साथ छेड़खानी की घटनाओं पर नकेल कसा जा सकेगा। इंस्टीट्यूट की ओर से बनाए जा रहे सॉफ्टवेयर की हेल्प से घटनास्थल के पास वाले पुलिस स्टेशन को पलक झपकते सूचना भेजी जा सकेगी। दरअसल, ये सॉफ्टवेयर मोबाइल फोन के लिए बनाया जा रहा है। मोबाइल फोन में इस सॉफ्टवेयर के लगते ही वह इस टेक्नोलॉजी से लैस हो जाएगा कि सिर्फ एक बटन दबाने पर भी घटनास्थल के पास वाले पुलिस स्टेशन को मैसेज सेंड हो जाएगा.
साहस की होगी जरूरत
इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ। एमडी तिवारी ने सैटरडे को ऑर्गनाइज एक वर्कशॉप के दौरान खुद ये जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इंस्टीट्यूट जल्द ही ये सॉफ्टवेयर बनाने में सफलता प्राप्त कर लेगा। उन्होंने कहा कि पूरे चांस हैं कि इसकी मदद से गल्र्स व वूमेंस के साथ होने वाली अप्रिय घटनाओं पर रोक लगाया जा सकेगा। इसके साथ ही इस सॉफ्टवेयर की बेनीफिट उन वूमेंस को भी मिलेगा, जो घर में प्रताडि़त की जाती हैं और वे आपबीती किसी से शेयर नहीं कर पाती हैं। इस सॉफ्टवेयर से लैस मोबाइल के थ्रू वे पुलिस को भी पलक झपकते सूचना दे सकेंगी। जरूरत होगी तो केवल इसके लिए साहस की।
समझें खुद के अधिकार को
इंस्टीट्यूट में वूमेन सेफ्टी पर ऑर्गनाइज वर्कशॉप का इनॉगरेशन करते हुए डायरेक्टर ने कहा कि वूमेंस को खुद के अधिकार को समझना होगा। क्योंकि जब तक वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं होंगी सोसाइटी में वे अपना स्थान नहीं बना पाएंगी और शोषित होती रहेंगी। दो दिवसीय वर्कशॉप के पहले दिन शालिनी माथुर ने शिक्षा, सत्ता, सम्पत्ति पर अधिकार जमाने के लिए वूमेंस को अवेयर किया। प्रो। जीसी नंदी, प्रो। विजयश्री तिवारी, प्रो। आरसी त्रिपाठी, डॉ। अनिता गोपेश व डॉ। सुमिता परमार सहित अन्य ने बारी-बारी से वूमेंस की सेफ्टी को लेकर अपना विचार रखा।
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