-बिजली विभाग के जांच की प्रोग्रेस के बारे में कुछ भी बोलने से बच रहे अधिकारी
-दूसरी तरफ एसई साहब बयान दर्ज कराने से पीछे हट रहे है
PRAYAGRAJ: बिजली विभाग में हुई 2.38 करोड़ की हेराफेरी की जांच धीमी होती नजर आ रही है। सूत्रों के मुताबिक जांच जान-बूझकर धीमी कर दी गई है। वजह, इस जांच में कई बड़े नाम सामने आने की संभावना है। अधिकारी भी इस जांच के बारे में बोलने से बच रहे हैं। गोपनीय जांच व टीम गठित का हवाला दिया जा रहा है।
बताया जाता है कि इस मामले की जांच कर रही गठित टीम को कई अहम सुराग हाथ लगे थे। शुरुआती जांच में कई विभाग के कर्मचारियों का नाम प्रकाश में आया था। लेकिन जांच अब ठंडे बस्ते में चली गई है। वहीं इस मामले में गंगापार के अधीक्षण अभियंता आनंद कुमार पांडेय के इंटरफेयर करने पर धमकी मिली थी। इस संबंध में जार्जटाउन थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया। लेकिन दस दिन से ऊपर हो चुका है। फिर भी बयान दर्ज कराने थाने नहीं जा रहा है।
आ-जा रही है टीम
मामले की जांच कर रही टीम मंगलवार को उपकेंद्रों पर पहुंची। इस मामले की जांच कहां तक पहुंची है। इस पर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। सिर्फ टीम आ-जा रही है। करोड़ों की हेराफेरी में विभाग के दो बाबुओं का नाम सामने के बाद एफआईआर व विभागीय कार्यवाही की गई थी। इसमें मधुबन श्रीवास्तव और आशीष श्रीवास्तव द्वारा यूजर आईडी से हेराफेरी कर करोड़ों का खेल किया गया था। विभाग के अन्य कर्मचारियों की मानें तो यह खेल अकेले बाबुओं का ही नहीं है। बल्कि इसमें अन्य बड़े अधिकारी भी शामिल हैं। इसी वजह से जांच की रफ्तार रोकी जा रही है।
जांच में आया था सामने
-बिलिंग एजेंसी के ऑपरेटर, सिंडीकेट के सदस्य व कर्मचारियों का नाम
-14 से अधिक यूजर आईडी की गई थी जांच
-200 के आसपास अन्य कनेक्शन का पीडी खेल जांच के दायरे में था
-500 से अधिक मामले डुप्लीकेट बिल जारी करने का था
-90 से अधिक कामर्शियल कनेक्शन थे जांच के दायरे में
इंजीनियर आनंद कुमार पांडेय बयान दर्ज कराने नहीं आ रहे है। कई बार बुलाया जा चुका है। उनके बयान दर्ज न कराने से आगे की कार्यवाही बाधित हो रही है।
-पवन त्रिवेदी विवेचना अधिकारी इंस्पेक्टर जार्जटाउन