प्रयागराज (ब्‍यूरो)। सुप्रीम कोर्ट ने आज विज्ञान परिषद द्वारा नवंबर के अंत में दायर की गई एसएलपी को खारिज कर दिया। विज्ञान परिषद ने एसएलपी इलाहाबाद हाई कोर्ट में उनके द्वारा दायर की गई रिट याचिका खारिज किए जाने के बाद दायर की गई थी। इसमें इलाहाबाद यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट के उस फैसले को चुनौती दी गयी जिसके तहत उसने विज्ञान परिषद की जमीन को अपने कब्जे में लेने का फैसला लिया था।

सौ साल से था कब्जा
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद विज्ञान परिषद को दी गई जमीन और उसकी इमारत पूरी तरह से विश्वविद्यालय के अधिकार में आ गई है। सुप्रीम कोर्ट में सीनियर काउंसिल गौरव बनर्जी ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का पक्ष रखा। बता दें कि अक्टूबर के अंत में 100 वर्षों से भी ज्यादा से इलाहाबाद विश्वविद्यालय की जमीन जो विज्ञान परिषद द्वारा घेर कर रखी गई थी, को अपने कब्जे में लेने का फैसला लिया था। यूनिवर्सिटी के इस फैसले को विज्ञान परिषद मैनेजमेंट की तरफ से चुनौती दी गयी थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने परिषद द्वारा दायर रिट याचिका खारिज करते हुए दिये गये फैसले में विश्वविद्यालय के द्वारा वापस मांगे जाने को सही ठहराया था। अपना फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि जब परिषद स्वयं यह मान रही है कि उसने परिसर का इस्तेमाल अनुदान की शर्तों से इतर कमर्शियल गतिविधियों के लिए किया है तो कोई वजह नहीं है कि अनुदान की शर्तो के भंग होने के दृष्टिगत, विश्वविद्यालय के द्वारा परिषद से परिसर खाली किए जाने की मांग गलत माना जाए।

कई बार जारी हुई थी नोटिस
बता दें कि विज्ञान परिषद सभागार को इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने जमीन अनुदान पर दी थी। इसकी शर्तों के अनुसार इस पर कोई कॅमर्शियल एक्टिविटी संचालित नहीं की जा सकती थी। इसके विपरीत कार्य होने पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने परिषद को कई बार अवैध गतिविधियों को बंद करने के लिए नोटिस जारी किया था। विश्वविद्यालय द्वारा इस संबंध में 20 जून 2023 को कार्यपरिषद में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था और इस प्रस्ताव के आधार पर वैधानिक चेतावनी भी दी थी। इसी को चुनौती देने के लिए विज्ञान परिषद द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। यह निर्णय उस याचिका में आया है। इस ऐतिहासिक फैसले से 3712 वर्ग मीटर से ज्यादा क्षेत्रफल की यह जमीन जिसकी कीमत 20 से 25 करोड़ है, अब इलाहाबाद विश्वविद्यालय के नियंत्रण में वापस आ जाएगी। कई बरसों से यह अवैध गतिविधियां इस परिसर में चल रही थी और यह सारा उपक्रम कुछ लोग अपने निजी फायदे के लिए इस्तेमाल करते रहे।