सेनेट्री पैड के साथ इंडस्ट्री में कदम रख रहीं स्वयं सहायता समूह की महिलाएं

कौडि़हार में लगी जिले की पहले सेनेटरी पैड की आटोमेटिक मशीन

ब्रांडिंग से लेकर मार्केटिंग तक की जिम्मेदारी संभालने को महिलाएं तैयार

ये नए दौर की महिलाएं हैं। गांव में रहती हैं लेकिन सोच बड़ी रखती हैं। गांव में स्वयं सहायता समूह चलाकर रोजगार के संसाधन तैयार करती थीं। गवर्नमेंट ने इन्हें इंडस्ट्रियलिस्ट बनाने की तैयारी पूरी कर ली है। गुरुवार को इनकी लाइफ यू टर्न लेने जा रही है। इस दिन इनकी सेनेट्री पैड बनाने की फैक्ट्री का इनॉगरेशन होने जा रहा है। खास बात यह है कि इंडस्ट्री लगाने में पूरा योगदान सरकार का है। लेकिन, इसकी ब्रांडिंग से लेकर मार्केटिंग तक की पूरी जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूह की महिलाएं संभालेंगी। इसे लेकर महिलाएं उत्साहित हैं। जल्द ही इनके यहां तैयार प्रोडक्ट मार्केट में उपलब्ध दूसरे प्रोडक्ट्स से आधे से भी कम दाम में नामी ब्रांड को टक्कर देता नजर आएगा।

बनेंगी आत्मनिर्भर, देंगी स्वच्छता का संदेश

कौडि़हार ब्लाक में लगे सेनेटरी प्लांट के संचालन से लेकर इनके उत्पादनों की ब्रिकी से होने वाला मुनाफा महिलाओं को मिलेगा। इससे जहां वे आत्मनिर्भर बनेंगी वहीं आर्थिक रूप से मजबूत होंगी। इस मशीन से एक दिन में दस हजार सेनेटरी पैड बनकर तैयार होंगे। साथ ही यह दूसरी महिलाओं को सस्ते पैड बेचकर उनकी मैंस्ट्रुअल हाइजीन को संजोने का काम भी करेंगी। यह पूरा प्रोजेक्ट पंचायती राज विभाग और एनआरएलएम मिलकर चलाएंगे।

खुद तय करेंगी नफा-नुकसान

आटोमेटिक मशीन के साथ प्लांट सरकार ने तैयार करके दिया है

यहां तैयार होने वाले प्रोडक्ट्स को सीएलएफ यानी क्लस्टर लेवल फेडरेशन को इसी कीमत पर दिया जाएगा

सीएलएफ माल को अपने यहां डंप करने के बाद महिलाओं के समूहों को 16 रुपए प्रति पैकेट के रेट से देगा

इसे महिलाओं को 20 रुपए प्रति पैकेट तक बेचने की छूट रहेगी

एक पैकेट पर चार रुपए तक मुनाफा कमा सकती हैं

बाजार से बेहद सस्ता होगा 'दिशा'

बाजार में नामचीन कंपनियों के सेनेटरी पैड की कीमत काफी अधिक है।

छह पैड का एक पैकेट 40 रुपए से कम कीमत पर उपलबध नहीं है।

कौडि़हार में तैयार होने वाले छह पैड के पैकेट की कीमत अधिकतम 20 रुपए रखी गई है।

यानी महिलाओं को आधे दाम पर उसी क्वालिटी और मानक का सेनेटरी पैड मिलेगा।

सेनेटरी पैड का नाम सरकार की ओर से 'दिशा' रखा गया है।

आज होगा उद्घाटन, लगेंगे नए प्लांट

प्लांट का उद्घाटन गुरुवार को किया जाएगा। महिलाओं के हौसले और हिम्मत पर उनका भविष्य टिका है। अगर वह अपने प्रोडक्ट की बेहतर ब्रांडिंग और बिक्री कर लेती हैं तो भविष्य में जिले में नए प्लांट लगाए जाएंगे और इसका फायदा पूरे समाज को सस्ते पैड के रूप में मिलेगा। महिलाओं को पैड का निर्माण करने से लेकर उनकी बाजार में बिक्री तक की ट्रेनिंग दी गई है। उनको पैड से होने वाले फायदे के बारे में भी बारीकी से बताया गया है।

इस प्रोजेक्ट को शुरू करने की प्लानिंग लंबे समय से चल रही थी। अब इसका शुभारंभ होने जा रहा है। इस प्रोजेक्ट से दोहरे फायदे होंगे। महिलाओं का सस्ता पैड और सेहत का फायदा होगा तो समूह की महिलाओं को आजीविका का बेहतर साधन प्राप्त होगा।

अजीत सिंह,

डिप्टी कमिश्नर, एनआरएलएम

चलता फिरता एटीएम बनी महिलाएं

कोरोना काल के दौरान ही एनआरएलएम ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में कोई कमी नही की। साठ ग्राम पंचायतों की दर्जनों महिलाओं को विभाग की ओर से माइक्रो एटीएम दिया गया है। जिससे यह महिलाएं चलता फिरता एटीएम बन गई हैं। गांव के लोग इन महिलाओं के माइक्रो एटीएम मशीन में कार्ड स्वैप कर एक निश्चित एमाउंट प्राप्त कर सकते हैं। बदले में इन महिलाओं को प्रति ट्रांजेक्शन कमीशन मिल जाता है। इस व्यवसाय ने बड़ी संख्या में महिलाओं को अपने पैरो पर खड़ा होने में खासी मदद प्रदान की है।

पति के लिए भी बन रही हैं सहारा

कोरोना काल में ही मुंबई की जींस फेक्ट्रियों से बेरोजगार होकर लौटे पतियों को उनकी पत्‍ि‌नयों ने न केवल रोजगार प्रदान किया बल्कि अन्य महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में मदद की। जसरा ब्लाक के परसना ग्राम पंचायत की महिलाओं के समूह ने सरकार से अनुदान लेकर जींस बनाने का प्लांट गांव में लगवाया है। अब इस प्लांट में आसपास के कई गांव की महिलाएं जींस सिलने का काम करती है और उनके इस काम में महानगरों से लौटे उनके पति मार्ग दर्शन कर रहे हैं। यह बिजनेस अब तेजी से फल फूल रहा है।

एंजेल समूह ने बनाए हजारों मास्क

महेबा और उसके आसपास के दर्जनों गांव की महिलाओं ने कोरोना काल में सफलता के नए आयाम स्थापित किए। एंजेल समूह की पचास महिलाओं ने एनआरएलएम की सहायता से चालीस हजार मास्क बना डाले। इन मास्क को बेचने से हुई आमदनी ने कोरोना काल में इन महिलाओं के जीविको पार्जन में खासी सहायता की। इन महिलाओं ने ही बच्चों के सकूल ड्रेस की सिलाई का काम भी ट्रेनिंग लेकर किया। इस समूह की सफलता से खुश होकर खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने उनकी सराहना की थी।