एनसीजेडसीसी में अफसरों ने गिनाये जीएसटी में रजिस्ट्रेशन के फायदे

सभी व्यापारियों को अपना रजिस्ट्रेशन जीएसटी में कराना चाहिए। क्योंकि, 20 लाख तक की लिमिट पर रिटर्न निल होता है। इसका फायदा व्यापारी को बीमा के रूप में भी मिलेगा। रजिस्ट्रेशन के लिए छोटे व्यापारियों को मोटीवेट करने के लिए व्यापारिक संगठनों को आगे आना चाहिए। अपने यहां कैंप लगाकर बतान चाहिए कि रजिस्ट्रेशन कराना क्यों जरूरी है। एनसीजेडसीसी में आयोजित प्रोग्राम में यह सुझाव एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-वन ने दिया।

अलग ग्रेड बनाकर चिन्हित करें

सेमिनार में शामिल हुए अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के रमेश केसरवानी और सुशांत केसरवानी ने सुझाव दिया कि 20 लाख रुपए से कम के टर्नओवर वाले व्यापारियों का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए अलग ग्रेड बनाकर उन्हें चिन्हित किया जाना चाहिए। उनके ऊपर जीरो टैक्स की लायबिलिटी रखी जाए। ऐसा प्रावधान पहले था भी, उसी को आगे बढ़ाने की जरूरत है। महानगर अध्यक्ष लालू मित्तल ने कहा कि 20 लाख के टर्न ओवर वाला व्यापारी इतना पढ़ा लिखा नहीं होता है कि वह अकाउंटिंग और टैक्स का लेखा जोखा रख सके। राजीव कृष्ण श्रीवास्तव ने कहा की 20 लाख टर्नओवर वाले व्यापारी अकाउंटिंग का खर्च उठाने में सक्षम नहीं है। सरकार को टैक्स वसूली के लिए बेहतर माहौल बनाना है तो तो टैक्स टेरर क्रिएट करने के स्थान पर टैक्स हेवेन क्रिएट करना होगा। ताकि व्यापारी स्वेच्छा से खुद मोटीवेट होकर आगे आवे। अभी की स्थिति में जो व्यक्ति एक बार रजिस्ट्रेशन करा लेगा उसका टर्नओवर बढ़ेगा तो वह स्वत: टैक्स के दायरे में आ जाएगा जिससे कि राजस्व बढ़ने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। प्रोग्राम में डीसी शुक्ला एडिशनल कमिश्नर ग्रेड वन, एके सिंह एडिशनल कमिश्नर ग्रेड 2, अरुण कुमार गौतम डिप्टी कमिश्नर प्रशासन, मुरारी लाल अग्रवाल अध्यक्ष व्यापारी कल्याण बोर्ड के अलावा अधिवक्ता मौजूद रहे।

आईटीसी ज्यादा देने वालों पर शिकंजा, 930 व्यापारियों को नोटिस

टैक्स कम देकर ज्यादा इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) लेने वाले व्यापारियों पर वाणिज्यकर विभाग ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। ऐसे मामलों में प्रयागराज जोन के ही 930 व्यापारियों को इस महीने अब तक नोटिस जारी की जा चुकी है। बता दें कि शासन के निर्देश पर व्यापारियों द्वारा ली जाने वाली आइटीसी की ऑनलाइन जांच की जा रही है। जिन व्यापारियों द्वारा टैक्स कम देकर ज्यादा आइटीसी लेने के मामले खंड के अधिकारियों के सामने आ रहे हैं, उन्हें जीएसटी अधिनियम के सेक्शन 61 और 73 में नोटिस भेजा जा रहा है। नोटिस का जवाब नहीं देने पर ब्याज और अर्थदंड समेत आइटीसी जमा करने के लिए आदेश दिया जा रहा है। कारोबारी इस आदेश के खिलाफ तीन महीने में अपील कर सकते हैं। तय समय में अपील नहीं करने पर कर निर्धारण अधिकारी द्वारा संबंधित बैंक को डीआरसी-9 दिए जाने के बाद व्यापारी के खाते से उतनी रकम जीएसटी एकाउंट में ट्रांसफर कर दी जाएगी।

ऑनलाइन जांच की जा रही है कि व्यापारियों को जितनी आइटीसी लेनी थी उतनी ही ली अथवा उससे ज्यादा ली। जिन चीजों पर लेनी थी, उसी पर ली अथवा गलत चीजों पर ली। ज्यादा आइटीसी लेने पर उसे वापस करने के लिए नोटिस दी जा रही है। वापस न करने पर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।

डीएस तिवारी,

एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-वन वाणिज्यकर विभाग