प्रयागराज (ब्‍यूरो)। साइबर शातिरों का सोचने का अंदाज नित नये रूप में सामने आ रहा है। शिकार को जाल में फंसाने के लिए वह कहां तक सोच सकते हैं? इसका अनुमान लगा पाना साइबर क्राइम को हैडिंल करने वाली पुलिस टीम के लिए भी दिन ब दिन मुश्किल होता जा रहा है। प्रयागराज में एक पखवारे पहले डिजिटल अरेस्ट का मामला सामने आया तो नया मामला शेयर ट्रेडिंग की ट्रेनिंग देने और एजुकेट करने के बाद इंवेस्ट कराकर सवा करोड़ रुपये पार कर देने का सामने है। इसकी रिपोर्ट साइबर थाने में दर्ज करायी जा चुकी है। सबसे इंट्रेस्टिंग फैक्ट यह है कि इस बार साइबर शातिरों का शिकार बना व्यक्ति मुख्य चिकित्सा अधिकारी जैसे पोस्ट से रिटायर हुआ है। उनके साथ हुई घटना की जानकारी सुनकर पुलिस भी चौंक गयी। क्योंकि, इस तरह का केस पहली बार उनके सामने आया था।

जनवरी से शुरू हुआ खेल
पूर्व सीएमओ डा.आलोक वर्मा कालिंदीपुरम में रहते हैं। डॉ वर्मा की तरफ से जो शिकायत दर्ज करायी गयी है उसके मुताबिक 10 जनवरी को उनके मोबाइल पर एक मैसेज आया। जिसमें डा। आलोक को सीफोरकेकेआरसीए स्टडिंग ग्रुप से जुडऩे का ऑफर दिया गया था। मैसेज देखने के बाद डॉ वर्मा ने चेक किया तो ग्रुप एडमिन में अनुराग ठाकुर का नाम शो कर रहा था। यह देखकर डॉ वर्मा प्रभावित हो गये और ग्रुप को ज्वाइन कर लिया। उनका कहना है कि उन्हें शेयर ट्रेडिंग की पूरी जानकारी ऑनलाइन दी गयी। ट्रेनिंग के दौरान उन्हें कभी महसूस ही नहीं हुआ कि सामने वाला साबइर फ्रॉड है और वह उन्हें टारगेट कर रहा है। डॉ वर्मा बताते हैं कि 18 जनवरी को उन्हें एक अन्य गुु्रप में जोड़ा गया। यहां उन्हें पैसा बढ़ते हुए देखने का झांसा दिया गया और ऑफर किया गया कि वे आरबीएल बैंक के कामाख्या ट्रेडिंग में खाता खुलवा दें। डॉ वर्मा यहां भी फ्रॉड की गंध महसूस नहीं कर सके और खाते से पचास हजार रुपये ट्रांसफर कर दिया। इसके बाद दो लाख रुपये भेजा। फिर दस लाख रुपये भेजा। कई बार में डा.आलोक ने एक करोड़ 26 लाख रुपये इंवेस्टमेंट के नाम पर खाते में ट्रांसफर कर दिये।

ट्रेडिंग पेज पर दिखा तीन करोड़
साइबर शातिरों ने डॉ वर्मा का भरोसा जीतने के लिए डा। आलोक के नाम से एक ट्रेडिंग पेज भी डेवलप कराया। इस वेब पेज को एसेस करने का मौका डॉ आलोक को दिया गया। वह वेब पेज पर पहुंचे तो पता चला कि उनका 1.6 करोड़ का इंवेस्टमेंट बढ़कर 3.11 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। इसके बाद डॉ आलोक को लगा कि मूल राशि को निकाल लिया जाना चाहिए। डा.आलोक ने अपनी इच्छा बतायी तो उनसे कहा किया कि उनकी रकम को कैपिटल एसएफबी आईपीओ में इनवेस्ट कर दिया गया है। बाद में बताया गया कि यह रकम डा.आलोक के नाम से लोन ली गई है। फिर ट्रेडिंग पेज को लॉक कर दिया गया। इस पूरे माजरे को समझने के बाद डा.आलोक को एहसास हुआ कि उनके साथ ठगी हो गई है। जब डा। आलोक ग्रुप में अपनी रकम मांगने के लिए दबाव बनाने लगे तो उन्हें अनुराग ठाकुर और केकेआर नवेंदु द्वारा धमकी दी गई।

जांच में जुटा साइबर थाना
इसके बाद डॉ वर्मा साइबर थाने पहुंचे और शिकायत दर्ज करायी। पुलिस खुद भी पूरा मामला सुनने के बाद चौंक गयी क्योंकि उनके पास पहले इस तरह का कोई केस आया ही नहीं था। फौरी तौर पर अभी तक की जांच में साइबर पुलिस ट्रंासफर की गई रकम की डिटेल जुटाने में लगी है कि आखिर डा.आलोक वर्मा के द्वारा ट्रांसफर की गई रकम किस किस एकाउंट में भेजकर निकाली गई है। चूंकि डा.आलोक वर्मा ने कई बार में रकम भेजा है, इसलिए उसकी डिटेल आने में समय लग रहा है।

एकाउंट होल्डर का पता नहीं
साइबर पुलिस अभी तक ऑनलाइन ट्रेडिंग के लिए दिए गए एकाउंट की डिटेल भी हासिल नहीं कर सकी है। बताया जा रहा है कि आबीएल बैंक में कामाख्या ट्रेडिंग कंपनी का एकाउंट है। इसी एकाउंट में रकम ट्रांसफर की गई है। बता दें कि साइबर शातिरों का जो नया ट्रेंड सामने आया है उसके मुताबिक वह अब बैंक में करंट एकाउंट किसी फर्म या कंपनी के नाम पर खोलवा रहे हैं और आनलाइन एसेस से पैसा तत्काल दूसरे एकाउंट््स में ट्रांसफर कर दे रहे हैं।

इन बातों का ध्यान जरूर रखें
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के लिए आपके पास डीमैट एकाउंट का होना जरूरी है
शेयर ट्रेडिंग करने वाली फॅर्म के लिए भी पैसा लगाने वाले व्यक्ति का बैंक एकाउंट नंबर शेयर करना अनिवार्य किया जा चुका है
वह रेग्युलर इंवेस्ट करें या फिर डेली ट्रेडिंग में इनवाल्व हों पैसा आपके खाते से ही जायेगा और इसी में आयेगा
शेयर ट्रेडिंग के लिए रजिस्टर्ड होने पर संबंधित कंपनी की तरफ से मेल और मैसेज के थ्रू इंफार्म किया जाता है
बैंक भी अपनी तरफ से मैसेज भेजकर एलर्ट करता है और एकाउंट की डिटेल शेयर करता है
किसी भी आईपीओ में भी इंवेस्ट करने का तरीका यही है
आनलाइन डीमैट एकाउंट खोलने की सुविधा आने के बाद ज्यादातर लोग सीधे ही ट्रेडिंग करते हैं

पूर्व सीएमओ डा.आलोक वर्मा ने ठगी किए जाने का आरोप लगाते हुए तहरीर दी है। तहरीर के आधार पर केस दर्ज कर लिया गया है। जांच शुरू कर दी गई है। जिस एकाउंट में रकम ट्रांसफर की गई, उसके बारे में पता लगाया जा रहा है।
राजीव तिवारी, इंस्पेक्टर साइबर थाना