प्रयागराज ब्यूरो ।ब्रिज का निर्माण सामग्री लेकर दिन रात गुजरने वाले वाहनों के शोर से रात में सो नहीं पा रहे हैं आसपास घरों में रहने वाले लोग
पानी का छिड़काव नहीं किए जाने के कारण वाहनों के आवागमन व हवा से उड़ रही धूल भी बन गई है परेशानी का सबब
क्कक्र्रङ्घ्रत्रक्र्रछ्व: महाकुंभ के मद्देनजर शहर में चल रहे विकास कार्य तूफानी गति से चल रहे हैं। इन्हीं कार्यों में एक गंगा नदी पर बन रहा सिक्सलेन ब्रिज भी शामिल है। ब्रिज और सड़कें अच्छी बननी चाहिए यह किसी भी शहर के विकास की अहम हिस्सा है। इस ब्रिज के आसपास रहने वालों में इस निर्माणाधीन ब्रिज का एक साइड इफेक्ट भी सामने आया है। निर्माण कार्य के लिए सामानों की ढुलाई का सामान लेकन डंपर व ट्रक दिन रात आवागमन करते हैं। रात के वक्त यह स्थिति और भी बढ़ जाती है। इन वाहनों के शोर और हॉर्न के कारण रात के वक्त ब्रिज के आसपास स्थित सैकड़ों घरों में सो रहे लोगों की नींद उड़ जा रही है। ऊपर से गाडिय़ों के आवागमन व चल रही हवा से चौबीसों घंटे उड़ रही धूल यहां कोढ़ में खाज का काम कर रही है। स्थानीय लोगों को हैरानी इस बात से है कि कार्यदायी संस्था या लोकल प्रशासन के इस समस्या पर ध्यान देना गवारा नहीं समझ रहे। धूल के चलते आसपास की हवा को लोग प्रदूषित बता रहे हैं।
जानिए करीब डेढ़ हजार लोगों का दर्द
गंगा नदी में लखनऊ हाईवे से शहर स्थित बेली के पास म्योराबाद नाला के थोड़ा आगे तक सिक्स लेन ब्रिज का निर्माण कार्य चल रहा है। बेली के पास लगे बोर्ड पर कार्यदायी संस्था का नाम एसपी सिंघल कंट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड लिखा हुआ है। बेली कछार से लेकर म्योराबाद नाला तक बस्ती के बीच से निकल रहा है। इस लिए ब्रिज के रास्ते में रोड़ा बनने वाले सैकड़ों मकानों का आंशिक हिस्से को भी तोड़ दिया गया है। ब्रिज का कुछ स्ट्रक्चर यहां बन कर तैयार हो गया है। स्थानीय लोग बताते हैं कि इस ब्रिज से सटे हुए करीब 300 से अधिक मकान हैं। यदि प्रति मकान में पांच व्यक्ति मान लिया जाय तो डेढ़ हजार लोग इन घरों में निवास करते हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि ब्रिज के निर्माण में लगे वाहनों के दिन रात आवागमन से होने वाले शोर के कारण लोगों की नींद हराम हो गई है। ऊपर से चौबीसों घंटे उड़ रही धूल भी परेशानी का सबब बनी हुई है। एक तो ध्वनि प्रदूषण ऊपर से वायु प्रदूषण लोगों के लिए यहां बड़ी समस्या बन गई है। लोगों की मानें तो धूल से राहत के लिए कार्यदायी संस्था या जिला प्रशासन के द्वारा पानी का छिड़काव कराया जाना चाहिए। मगर ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है। जिसके चलते हवा में उड़ रही धूल दूर तक लोगों के घरों व सांस के जरिए शरीर में पहुंच रही है। घरों में के अंदर कई-कई बार लोगों को सफाई करनी पड़ रही है। बावजूद इसके प्रशासन के द्वारा इस तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

गंगा नदी में बन रहा सिक्स लेन ब्रिज बेली व म्योराबाद के बीच से होकर आगे बढ़ रहा है। सैकड़ों मकान ब्रिज से सटे हुए हैं। रास्ते में जो घर आए उन्हें तोड़ कर ब्रिज के लिए रास्ता बना लिया गया। इन मकानों में हजारों लोग बसर करते हैं। दिन और रात गाडिय़ों का संचालन ब्रिज कार्य के लिए होता है। रात में इन गाडिय़ों की आवाज कानों में गूंजती रही है। जिससे आसपास रहने वाले लोगों की नींद हराम हो गई है।
मो। अहमद, बेली

निर्माण कार्य में लगे वाहन दिन रात मेन रोड से लेकर कछार तक आवागम करते हैं। रात में जब सो रहे होते हैं तो ट्रक व डम्पर के हार्न की आवाज लोगों को सोने नहीं देती। धूल की बात तो पूछिए ही मत। यह तो रात दिन कछार से लेकर मेन रोड आसपास बसे बस्तियों में उड़ती रहती है। हवा घुली धूल से लोगों का सांस लेना दुश्वार हो गया है। जिनके घर ब्रिज के आसपास है, उन्हें सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है। उनके घरों में शोर व धूल से बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं। मगर, कोई देखने व सुनने वाला नहीं है।
संजय यादव, बेली

सुना है कि जहां भी इस तरह के कार्य होते हैं वहां पर धूल नहीं उड़े इसके लिए पानी का छिड़काव कार्यदायी संस्था के द्वारा ही कराया जाता है, या फिर स्थानीय प्रशासन पब्लिक की सेहत को ध्यान में रखते हुए कराता है। मगर, तो गंगा उल्टी बह रही है। इसस सिक्सलेन ब्रिज बन रहा है यह अच्छी बात है। विकास तो होना ही चाहिए। लेकिन उड़ रही धूल व रात में शोर-शराबे की वजह से परेशान लोगों की समस्या पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
मो। शाहिद, बेली

हमारा घर तो ब्रिज से थोड़ी दूर है, फिर भी ब्रिज निर्माण के चलते उड़ रही धूल हवा के जरिए हमारे घर से भी आगे तक पहुंच जाती है। छत पर ही नहीं घर में फर्स तक को कई बार साफ कराना पड़ रहा है। हवा में धुली इस धूल के कारण इस एरिया के लोगों का सांस लेना दुश्वार हो गया है। ब्रिज बस्ती के बीच से मम्फोर्डगंज की तरफ आगे बढ़ रहा है। ब्रिज के आसपास बने घरों में मेन रोड से कछार तक धूल और ध्वनि प्रदूषण से लोग काफी परेशान हैं।
मो। मुजम्मिल, अधिवक्ता बेली