तहसील सदर
तालाब उमरपुर नीवां
रकबा 01 बीघा 07 बिस्वा
हेक्टेयर 0.411
रकबा 02 बीघा 07 बिस्वा
हेक्टेयर 0.521
रकबा 01 बीघा 14 बिस्वा
हेक्टेयर 0.383
सूचना तंत्र आरटीआई

शहर के उमरपुर नीवां के कुछ तालाबों की कंडीशन बदतर है। इन तालाबों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन मुकम्मल गौर नहीं कर रहा। जिसके चलते दो तालाबों दायरा काफी सिकुड़ गया है। इन सब के बीच एक अच्छी खबर भी है, वह ये कि यहां पर मौजूद एक तालाब पूरी तरह सुरक्षित है। इसमें पानी भी भरा हुआ है। इनमें मछलियां भी पल रही हैं। यहां के तालाबों का भी कभी अपना एक वजूद हुआ करता था। इन तालाबों से जुड़ी कुछ पुरानी यादें चंद लोगों को ही मालूम हैं। वह बताते हैं कि जिस तरह से इन तालाबों का अपना वजूद आम जन जीवन से जुड़ा हुआ था। यह तालाब मत्स्य पालन के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका अदा किया करते थे। उमरपुर नीवां के तालाबों में पलने वाली मछलियों की मार्केट डिमांड हुआ करती थी। इन तालाबों के इतिहास से जुड़े पन्नों पर पड़ी वक्त की धूल में आज सब कुछ खो सा गया है। अधिकारी ध्यान देने को तैयार नहीं, लिहाजा बढ़ती आबादी के बीच इन तालाबों का अस्तित्व भी सिमटता चला जा रहा है।

तालाब यहां कभी होती थी कुश्ती
उमरपुर नीवां एरिया में तालाबों की कंडीशन हर जगह से कुछ अलग है। यहां एक तालाब का कुछ एरिया ग्रामीण एरिया से जुड़ता है तो कुछ शहर से। राजेश कुमार व मिस्त्री अनिल कहते हैं उमरपुर नीवां के तालाबों का इतिहास अब शायद ही कोई बता पाए। बड़े बुजुर्गों से सुनी सुनाई बातें हमें भी थोड़ी बहुत ही मालूम हैं। कहते हैं कि बुजुर्ग कहा इस एरिया में छोटे बड़े मिलाकर कई तालाब हुआ करते थे। बड़े तालाबों में उस दौर के लोग मछली पालन का काम किया करते थे। अन्य छोटे तालाबों में कोई क्षेत्र के अन्य लोग मछली पकड़कर बेचा करते थे। उमरपुर नीवां के तालाबों की मछली का अपना अलग ही रेट हुआ करता था। क्योंकि यहां की मछलियां काफी तंदुरुस्त व अच्छी हुआ करती थीं। आज भी कुछ तालाबों में शौकीन मछली पकडऩे का काम किया करते हैं। उस दौर में चरवाहे मवेशियों को तालाबों के आसपास घास खिलाया करते थे। घास चुगने के बाद मवेशी इन्हीं तालाबों में पानी भी पिया करते थे। गुडिय़ा पर्व पर तालाबों में मोहल्लों के लोग गुडिय़ा पीटा करते थे। तालाब के बगल अखाड़ा बना कर लंबी कूद व कुश्ती जैसे आयोजन होते थे। इसमें जीतने वालें का हौसला आफजाई करने के लिए उस दौर के मानिंद लोग विजेताओं को इनाम भी दिया करते थे। आज सभी के घर पक्के हो गए हैं। लिहाजा अब तालाबों की जरूरत ही धीरे-धीरे खत्म सी हो गई है।


एक तालाब में मछलियों की भरमार
पूर्व वरिष्ठ पार्षद कमलेश सिंह के द्वारा आरटीआई के जरिए तालाबों की स्थिति का ब्योरा मांगा गया था।
उनका कहना है कि नगर निगम के जरिए उन्हें कुछ तालाबों की सूची व स्थिति उपलब्ध कराई गई।
उनकी मानें तो जो सूची दी गई है उसमें एक तालाब एक बीघा 14 बिस्वा का है। इस तालाब के कुछ हिस्से पर मकान व बाउंड्री का निर्माण हुआ है।
उमरपुर नीवां एरिया में एक और तालाब है जिसका क्षेत्रफल दो बीघा सात बिस्वा का बताया गया है।
इस तालाब के बीच में चार मकान बताए गए हैं। कुछ प्लाट के रूप में हैं शेष एरिया आज भी खाली है।
एक और तालाब एक बीघा सात बिस्वा का बताया गया है। लोकल लोग बताते हैं कि इस तालाब में आज भी लोग मछली पकड़े हैं।
पानी से लबालब यह पूरा तालाब साबुत है। कहते हैं कि इस तालाब को लोकल लोग नेहरू पार्क तालाब के नाम से जानते और पहचानते हैं।
इस तालाब के दक्षिण छोर पर कब्रिस्तान तो उत्तर एरिया में नेहरू पार्क है।