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नाबालिग आठ माह में जिले से हो गए लापता

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नाबालिग को ही अब तक खोज पाई है पुलिस

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पुरुष व महिलाएं भी जिले से हो चुकी हैं गायब

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पुरुष व महिलाओं को ही बरामद कर सकी है पुलिस

जिले में नाबालिग से ज्यादा लापता हुए बालिग महिलाएं व पुरुष

PRAYAGRAJ: बालिग ही नहीं यहां लापता नाबालिगों की संख्या भी बहुतायत में हैं। साल के आठ माह में लापता इन लोगों का कुछ पता नहीं हैं। परिवार के लोग इनके लौटने की आस लगाए आंसू बहा रहे हैं। मान लिया जाय कि ये बालिग खुद कहीं चले गए होंगे। तो सवाल यह है कि नाबालिग कहां गए? नाबालिग तो मां बाप के साए से भी दूर नहीं होना चाहते। फिर इतनी बड़ी संख्या में यह कैसे और किन परिस्थितियों में लापता हुए? यह एक बड़ा और गंभीर विषय है। बात मासूमों के गायब होने की करें तो लोगों में सवाल भी कई तरह के हैं। प्रश्न ये हैं कि यह कहीं भटक गए या इन्हें कोई गायब कर दिया। इन सवालों का जवाब इनकी बरामदगी तक मिलना मुश्किल है। खैर दुआ करिए कि लापता ये लोग जहां और जिस भी परिस्थिति में हों, महफूज और सुरक्षित रहें

दस घरों की खुशियां हुई वापस

जिले से लापता हुए नाबालिगों के एक सरकारी आंकड़े पर गौर करते हैं। नाबालिगों के गायब की बढ़ती घटना को जानने के लिए इस डाटा को समझना जरूरी है। इस आठ माह में जिले से कुल 56 नाबालिग गायब हुए। सूत्रों से प्राप्त रेकार्ड बताते हैं कि गायब नाबालिग लड़कों की संख्या 18 है, इनमें से पुलिस अब तक चार को ही बरामद कर सकी है। मतलब यह कि इस 14 नाबालिग लड़कों कहां और किन परिस्थितियों में हैं, किसी को कुछ नहीं मालूम। अगर बात हम नाबालिग लड़कियों की करें तो इनकी संख्या 38 बताई जाती है। आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि गायब नाबालिगों में लड़कियों की तादाद लड़कों से दो गुना अधिक है। थाना पुलिस है कि गुमशुदगी दर्ज करने के बाद हाथ पर हाथ धरे बैठ जाती है।

जितने पुरुष उतनी महिलाएं हुई गायब

यदि थोड़ी देर के लिए यह मान लिया जाय कि नाबालिग कहीं भटक गए होंगे तो 122 बालिग महिला व पुरुष कैसे गायब हो गए?

इन्हें तो अपने अच्छे व बुरे की पूरी व अच्छी तरह से समझ रही होगी, फिर दोबारा घर वालों से संपर्क भी नहीं किए।

सूत्रों पर विश्वास करें तो गायब बालिग पुरुष की संख्या 61 है, इनमें से अब तक 13 लोग बरामद किए गए जा चुके हैं।

महिलाओं की तादाद भी 61 ही है मगर इनकी बरामदगी की संख्या पुरुषों का काफी कम मात्र सात ही है।

यहां गौर करने वाली बात ये है कि बालिग पुरुष व महिला के गायब होने की संख्या बराबर है।

जितने पुरुष उतनी महिलाएं भी गायब हुई हैं। अब यह लोग खुद से घर छोड़कर कहीं चले गए या बात कुछ और है?

यह कह पाना उतना ही कठिन है जितनी की इनकी तलाश करना।

उदाहरण केस एक

बुजुर्ग का भी पता नहीं लगा सकी पुलिस

पिछले माह की चार तारीख को जारी बाजार कौंधियारा निवासी घनश्याम केसरवानी (50) अचानक से लापता हो गए। परिजन बताते हैं कि वे घर से पैदल ही निकले थे। अब पैदल तो कोई इतनी दूर जा नहीं सकता कि वापस ही न लौट सके। दिमागी हालत भी इनकी ठीक ही लोग बता रहे हैं। घर वालों ने पुलिस को तहरीर दी है। हालांकि अब तक पुलिस इनका कुछ भी पता नहीं लगा सकी है।

उदाहरण केस दो

मां से पैसा लेकर गया तो लौटा नहीं

हंडिया के बलहा सिंघामऊ निवासी विजय पासी का बेटा शनी (11) 15 मई को अचानक गायब हो गया। वह न तो कुछ बोल पाता है और न ही सुन पाता है। विवेचक की मानें तो घर बन रहा था उसी में काम कर रहा था। अचानक मां से दो रुपये मांगा और निकला तो वापस ही नहीं आया। बताया गया कि वह कहां चला गया कि यह बात किसी को कुछ नहीं पता। फिलहाल पुलिस अपहरण का मुकदमा दर्ज कर तलाश में जुटी है।

उदाहरण केस तीन

किशोरी का पता नहीं लगा

अर्चना तिवारी (18) पुत्री चंद्रभूषण 20 जुलाई को मिडियूरा हंडिया घर से अचानक लापता हो गई। रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस जांच में जुटी हुई है। विवेचक ने बताया कि पूछताछ में कुछ बातें उसके परिवार से छन कर सामने आई हैं। जिस पर वे काम कर रहे हैं। माना यह जा रहा कि वे लापता नहीं बल्कि अपने से कहीं चली गई है। फिलहाल अब तक उसका भी कुछ पता नहीं चल सका है। तलाश में पुलिस जुटी हुई है।

गुमशुदा बालिग हों या नाबालिग मुकदमे थानों पर ही दर्ज होते हैं। प्रकोष्ठ स्थिति से अफसरों को अवगत करवाने के साथ तलाश में मदद करता है। कई बालिग व नाबालिग बरामद किए जा चुके हैं। शेष की तलाश में काम किया जा रहा है।

संतोष कुमार सिंह,

प्रभारी गुमशुदा प्रकोष्ठ