प्रयागराज ब्यूरो । साइलेंट रहे वोटरों का मूड नहीं भांप पाई तीनों पार्टियां जातीय गणित के उधार पर उतार दीं थी प्रत्याशी
क्कक्र्रङ्घ्रत्रक्र्रछ्व: निकाय चुनाव से ठीक पहले उमेश पाल इसके बाद अतीक अहमद और अशरफ की हत्या से बदली हवा से सपा व बसपा और कांग्रेस 'हवाÓ हो गई। अपराध और अपराधियों के खिलाफ सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई का असर मेयर पद के चुनाव में खूब दिखाई दिया। प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की नीति और कार्रवाई से गदगद वोटरों भाजपा के मेयर प्रत्याशी को प्रचंड वोटों से विजयी बना दिया.्र एक बड़े अंदर से भाजपा को मिली जीत को राजनीतिक चाणक्य सरकार की कार्रवाई का पाजिटिव रिजल्ट मान रहे हैं।

सीएम की सभा से बदला बिगड़ा मूड
उमेश पाल की दिनदहाड़े हुई हत्या के बाद सरकार के प्रति पब्लिक में काफी आक्रोश था। मामले में माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ और बेटों व पत्नी का सहित अन्य का नाम सामने आया। सपा मुखिया अखिलेश यादव द्वारा उमेश पाल मर्डर केस को सदन में उठाया गया। जवाब में उतरे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रुख को देखते हुए पुलिस पूरी ताकत के साथ कार्रवाई में जुट गई। शूटर अतीक के बेटे असद और मो। गुलाम सहित झांसी में हुई मुठभेड़ में मारा गया। इसके पूर्व उमेश की हत्या में प्रयुक्त चला रहे चालक अरबाज व विजय चौधरी भी भुठभेड़ में भेर कर दिए गए। इस कार्रवाई के बाद उमेश पाल की हत्या से जिले की आबोहवा में यू टर्न ले ली। राजनीतिज्ञों का कहना है कि इसी बीच अतीक अहमद और अशरफ की तीन शूटरों ने हत्या कर दी। अतीक अहमद और अशरफ की हत्या से यहां अधिकांश मुस्लिमों में नाराजगी दिखाई देने लगी। वहीं इस समुदाय का एक तबका ऐसा भी रहा जो अंदर ही अंदर खुश हो गया।

सियासी गोट बिछाने लगी थी पार्टियां

अतीक और अशरफ की हत्या के बाद जिले में उत्पन्न माहौल को देखते हुए राजनीतिक पार्टियां सियासी गोट बिछाने लगीं। भाजपा और सपा से नाराज मुस्लिम वोट हथियाने के लिए बसपा सईद अहमद को मैदान में उतार दी। उम्मीद थी कि बसपा के मूल वोट बैंक में मुस्लिम वोटरों का सपोर्ट जीत का हार पहना सकता है। वहीं शहर में श्रीवास्तव के एक बड़े वोट बैंक को देखते हुए सपा इसी बिरादरी के प्रत्याशी को मैदान में उतार दी। इस खींचतान में कांग्रेस को लगा कि ब्राम्हण वोटर खींच कर वह मेयर प्रत्याशी को जिता लेगी। इसी मंशा से कांग्रेस यहां प्रभाशंकर मिश्र को सियासी जंग में उतार दी। इस तरह मेयर मद के चुनाव में यहां त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति दिखाई देने लगी। इन बस के बीच भाजपा मेयर मद के लिए अभिलाषा गुप्ता का टिकट काट कर उमेशचंद्र गणेश केसरवानी को अपना प्रत्याशी चुन लिया। अभिलाषा गुप्ता का टिकट करने व जिले की हवा और सपा, बसपा व कांग्रेस प्रत्याशी को देखते हुए लोग भाजपा प्रत्याशी की जीत पर संदेह में आ गए। यह सब कुछ देख रहा साइलेंट वोटर मतदान करके शांत हो गया। शनिवार को मतगणना हुई तो भाजपा प्रत्याशी को वोटरों ने एक लाख से भी अधिक मतों से जिता दिया। भाजपा प्रत्याशी की इस जीत को राजनीतिक मान रहे हैं उमेश पाल हत्याकांड के बाद हुई कार्रवाई से अंदर ही अंदर वोटर काफी खुश था। जाति और दल से ऊपर उठकर साइलेंट रूप से लोग मतदान किए। भाजपा के जो कुछ मूल वोटर किन्हीं कारणों से नाराज भी थे सीएम योगी आदित्यनाथ की सभा के बाद वह भी गुस्सा छोट कमल की बटन दबा आए।