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दिसंबर से शुरू होकर 13 फरवरी तक चलेगा अभियान

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लीटर बैक्टीरिया टैंक के थ्रू डाला जाता है एक एमएलडी पानी में

गंगा-यमुना में गिर रहे 25 नालों के ट्रीटमेंट के लिए जलनिगम का प्लान

नालों में बैक्टीरिया डाल कर की जा रही है सफाई

balaji.kesharwani@inext.co.in

ALLAHABAD: संगम नगरी प्रयाग में माघ मेला के दौरान आने वाले साधु, संत, सन्यासी और स्नानार्थी शुद्ध पानी में स्नान कर सकें इसके लिए यूपी जलनिगम ने इस बार एसटीपी के साथ ही बैक्टीरिया के थ्रू नालों की सफाई का खास इंतजाम किया है। नालों के दूषित जल गंगा-यमुना में मिलने से पहले साफ हो सकें इसके लिए जलनिगम ने गाजियाबाद की एक कंपनी ग्रीन वे टेक्नोलॉजी को जिम्मा सौंपा है, जो गंगा-यमुना के छोर पर स्थित नालों में बैक्टीरिया डाल कर पानी की सफाई कर रहे हैं।

डायरेक्ट गिर रहा नालों का पानी

घरों से निकले दूषित और गंदे पानी को ट्रीट कर गंगा-यमुना में छोड़ने व सिंचाई के रूप में इस्तेमाल करने के लिए शहर में एक-दो नहीं बल्कि सात सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं। इसके बाद भी बड़ी मात्रा में दूषित पानी गंगा-यमुना की धारा में सीधे मिल रहे हैं। क्योंकि कई नाले ऐसे हैं, जो आज तक एसटीपी से ट्रैप नहीं किए जा सके हैं।

बैक्टीरिया के थ्रू कम हो रहा है बीओडी लेवल

गंगा-यमुना की धारा को प्रदूषित करने वाले ऐसे अनट्रैप नालों की सफाई के लिए गाजियाबाद की कंपनी ग्रीन-वे बैक्टीरिया के थ्रू नालों की सफाई कर रही है। ये घरों से निकले निष्प्रयोज्य जल का बीओडी लेवल यानी बॉयो केमिकल आक्सिजन डिमांड बिलो 30 मिली ग्राम पर लीटर करने का दावा कर रही है।

इस तरह वर्क कर रही है ग्रीन-वे

यूपी जलनिगम की मदद से शहर में गंगा-यमुना के अंतिम छोर पर स्थित दो दर्जन से अधिक नाले चिह्नित किए गए हैं, जहां वर्क चल रहा है। इन नालों के स्टार्टिग प्वाइंट से लेकर लास्ट प्वाइंट तक पांच से छह स्थानों पर छोटे-छोटे पांड बनाकर उसमें टैंक के थ्रू लिक्विड फार्म में बैक्टीरिया डाले जा रहे हैं, जो पानी में मौजूद आर्गेनिक मैटर को कम कर खा जाता है।

बैक्टो क्लीन बैक्टीरिया का इस्तेमाल

ग्रीन वे के इंजीनियर नीरज त्यागी ने बताया कि इस अर्थ पर जितना भी आर्गेनिक मैटर है, उसे बैक्टीरिया ही डिग्रेड करता है। जापान की टेक्नोलॉजी-इफेक्टिव माइक्रो आर्गिज्म टेक्नोलॉजी के थ्रू सीवर के लिए अलग बैक्टीरिया बैक्टो क्लीन बैक्टीरिया जेनरेट किया गया है, जो दूषित पानी के बॉयो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड बिलो 30 मिलीग्राम पर लीटर है।

बिजनौर से बनारस तक का ठेका

कुंभ में पहली बार ट्रायल हुआ था, बैक्टीरिया के थ्रू नाला सफाई का, जो एसटीपी से हो रही सफाई का एक चौथाई खर्च लेता है। एसटीपी से एक एमएलडी पानी ट्रीट करने में एक लाख रुपये महीना खर्च आएगा। वहीं बैक्टीरिया के थ्रू 30 से 32 हजार रुपये का खर्च आएगा। नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा ने बैक्टीरिया के थ्रू नालों की सफाई का जिम्मा ग्रीन वे कंपनी को सौंप दिया है, जो बिजनौर से बनारस तक के बड़े नालों की सफाई का काम करेगा।

गंगा-यमुना के किनारों से सटे इन नालों पर चल रहा वर्क

1. अमिताभ बच्चन करवट नाला

2. नागवासुकी नाला-1

3. नागवासुकी नाला-2

4. शिवकुटी नाला-1

5. शिवकुटी नाला-2

6. शिवकुटी नाला-3

7. रसूलाबाद नाला

8. ज्वाला देवी नाला

9. मेहंदौरी गांव नाला

10. राजापुर नाला

11. गेंट नंबर 9 नाला

12. गेट नंबर 13 नाला

13. समाई माई मंदिर के पास का नाला

14. सच्चा बाबा आश्रम के पास का नाला

15. सदियापुर का नाला

16. बरगड़ घाट का नाला

17. किथारा नाला

18. जीटी रोड नाला

19. प्राइमरी स्कूल नाला

20. क्रिया योग आश्रम के पास का नाला

21. सावित्री नगर नाला

22. सावित्री नगर बाजार नाला

23. शास्त्री ब्रिज का नाला

24. हवेली नाला

25. त्रिवेणी आश्रम नाला

- हर-नाले पर तीन चार जगह पांड बना दिया गया है

- एक-नाले पर चार से दस टैंक लगा दिए गए हैं, जिसमें बैक्टीरिया डाले जाते हैं

- गोदाम में बैक्टीरिया को एक्टीवेट किया जाता है

- टैंकर के थ्रू बैक्टीरिया को टैंकों में डाला जा रहा है

- डॉरमेट स्टेप में बैक्टीरिया आता है। जिसे पानी और आर्गेनिक शुगर को मिलाने के बाद चार दिन के अंदर आक्सीजन में क्रिया कराया जाता है।

- चार दिन बाद पीएच 4.7 आ जाता है, इसके बाद बैक्टीरिया को ग्रो कराया जाता है और लिक्विड फार्म में नाले में डाला जाता है

सात सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता है 268 एमएलडी

नैनी एसटीपी-80 एमएलडी

राजापुर एसटीपी-60 एमएलडी

सलोरी-1 एसटीपी 29 एमएलडी

सलोरी-2 एसटीपी 14 एमएलडी

कोडरा एसटीपी 26 एमएलडी

पोंगहट एसटीपी 10 एमएलडी

नमैयाडीह एसटीपी 50 एमएलडी