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बच्चों ने जन्म लिया है कोरोना संक्रमित महिला से एसआरएन में

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बच्चों की डिलीवरी सिजेरियन हुई

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बच्चों की डिलीवरी सामान्य हुई

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बच्चे में ही मां से बच्चे में ट्रंासफर हुआ कोरोना

कोविड के दौर में बड़े खतरे में गर्भवती महिलाएं भी हैं। गर्भ में पल रहा बच्चा भी है। हालांकि, अब तक कि जो फाइंडिंग है उससे इसका सिर्फ संकेत मिलता है कि कोरोना वायरस ट्रांसफर ब्लड टु ब्लड नहीं हो रहा है। मां के संक्रमित होने से बच्चे के भीतर एंटी बॉडी तैयार हो जाती है जो उसकी गर्भ से लेकर बाहर तक सुरक्षा करती है। एसआरएन मेडिकल कॉलेज के हॉस्पिटल में कोविड संक्रमण फैलने के बाद से सोमवार 10 अगस्त तक हुई डिलीवरी से संकेत ऐसे ही मिलते हैं। सिजेरियन डिलीवरी के बाद भी बच्चों में संक्रमण न जाना बताता है कि बच्चों की इम्युनिटी बेहद स्ट्रांग होती है।

24 घंटे तक मां के साथ रहता है बच्चा

डाक्टर अमृता बताती हैं कि कोरोना पॉजिटिव महिला की डिलीवरी के केस में बच्चा पहले ही कोरोना सस्पेक्टेड माना जाता है। इस स्थिति में उसे मां से अलग नहीं किया जाता। इस दौरान बच्चों को मां से ही फीडिंग भी करायी जाती है। इस संबंध में ना‌र्म्स हैं कि जन्म के 24 घंटे के बाद ही बच्चे का सैंपल कोरोना टेस्ट के लिए भेजा जायेगा। इसके बाद रिपोर्ट के आधार पर तय होता है कि बच्चा मां के पास रहेगा या किसी रिश्तेदार या मित्र के पास।

स्ट्रांग होती है नवजात की इम्युनिटी

डाक्टर अमृता बताती हैं कि कोरोना पॉजिटिव मां के गर्भ में पलने वाले बच्चे की इम्युनिटी स्ट्रांग होती है। ऐसा कम से कम यहां हुई 38 डिलीवरी की रिपोर्ट के आधार पर तो कहा ही जा सकता है। मां, बच्चे के दुनिया में आने से पहले ही संक्रमित हो चुकी होती है। उसी से बच्चे को आक्सीजन, भोजन मिलता है। इतने क्लोज टॅच में होने के बाद भी बच्चे में कोरोना का संक्रमण नहीं हो रहा है तो यह तो इस्टेब्लिश होता ही है कि बच्चे की इम्युनिटी मां से मजबूत होती है। इसके पीछे यह कारण भी संभव है कि मां के संक्रमित होने के चलते बच्चे में ऐसी एंटी बॉडी डेवलप हो गयी जो उसकी सुरक्षा कर रही हो। डॉक्टर अमृता का कहना है कि रिसर्च एक लंबी प्रक्रिया है। इसे दो, चार या दस केस को बेस बनाकर डिफाइन नहीं किया जा सकता। हां हम यह जरूर कह सकते हैं कि प्राइमरी एवीडेंस ऐसा संकेत देते हैं।

डिलीवरी के समय अस्पताल में सावधानी

कोरोना संक्रमित महिला की सर्जरी के समय गायनोकोलॉजिस्ट, पीडियाट्रिशियन, और एनेस्थेसिया देने वाले के अलावा एक नर्स ऑपरेशन हाल में मौजूद होती है

जन्म के तत्काल बाद पूरी सफाई करके बच्चे को पिडियाट्रीशियन के हवाले कर दिया जाता है

बच्चा तभी तक मां के साथ रहता है जब तक कि उसकी कोरोना रिपोर्ट नहीं आ जाती

बच्चे की रिपोर्ट निगेटिव आने पर बच्चे को रिलेटिव्स या फिर क्लोज फ्रेंड को सौंपा जाता है

बच्चे को सौंपने से पहले उस महिला का भी टेस्ट होता है जो रिसीवर है

किन चीजों का ध्यान रखें गर्भवती महिलाएं

गर्भवस्था में संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है

अनिवार्य न हो तो घर से बाहर न निकलें

घर में कोई बाहरी आ रहा है कि सेनेटाइजेशन प्रिकॉशन का पूरा ध्यान रखें

घर का कोई बाहर से आता है तो उसके पास न जाएं जबकि वह साथ और बाहर से लाये गये सामान को सेनेटाइज नहीं कर लेता

बाहर से आने वाला व्यक्ति अपने कपड़े बाहर या बाथरूम में उतार दे

महिलाएं गरम पानी से गरारा करें और विटामिट सी और डी के साथ कैल्सियम की गोलियां नियमित तौर पर लें

अभी हम इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं कि कोरोना वायरस ब्लड टु ब्लड ट्रांसफर नहीें होता। लेकिन, जो सिम्पटम्स हैं वह ऐसा ही इशारा करते हैं। अभी रिसर्च जारी है। इतने शार्ट पीडिएड में कोई निष्कर्ष नहीं दिया जा सकता।

डॉ अमृता चौरसिया

एचओडी आब्सि्ट्रक एंड गायनकोलॉजी, एसआरएन