प्रयागराज ब्यूरो । एनसीडी यानी नान कम्युनिकेबल डिजीज में शुमार डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीजों को इलाज में रुचि नहीं है। वह हर माह दवा लेने अस्पतालों में नहीं पहुंच रहे हैं। जबकि सरकार की ओर से इन मरीजों को चिह्नित कर निशुल्क दवाएं वितरित की जा रही हैं। इन मरीजों का फालोअप नही होने से स्वास्थ्य विभाग इनको तलाश कर रहा है।

पचास फीसदी का पहुंचना भी मुनासिब नहीं

इस वित्तीय वर्ष में अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक डायबिटीज यानी शुगर के 5350 और ब्लड प्रेशर के 2464 मरीजों को चिह्नित किया जा चुका है। लेकिन नवंबर में दवा लेने अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों की संख्या काफी कम थे। इनमें डायबिटीज के 17 फीसदी और ब्लड प्रेशर के महज 27 फीसदी मरीज ही पहुंचे थे। जिनकी संख्या क्रमश: 726 और 686 थी। इनको निशुल्क दवाएं वितरित की गई हैँ। बाकी मरीज कहां चले गए इसका जवाब अधिकारियों के पास भी नही है। फालोअप नही होने से उनकी तलाश चल रही है।

बीमारियों पर लगाम लगाना जरूरी

शुगर और बीपी जैसी बीमारियों पर लगाम लगाना बेहद जरूरी हो गया है। यह बीमारियां जनसंख्या में तेजी से बढ़ रही हैं। रोजाना नए मरीज सामने आ रहे हैं। अनियमित खानपान और लाइफ स्टाइल की वजह से दोनों बीमारियों को रोक पाना मुश्किल हो रहा है। यही कारण है कि सरकार की ओर से स्वास्थ्य विभाग के एनसीडी सेल की ओर से कार्यक्रम चलाकर ऐसे मरीजों को अस्पतालों की ओपीडी में चिंहित किया जा रहा है। फिर इनका एक पहचान कार्ड बनाकर हर माह निशुल्क दवा दी जा रही है जिससे आजीवन इन मरीजों को इन बीमारियों के खतरे से बचाया जा सके।

बेहद घातक हैं ये बीमारियां

फालोअप में नही आने वाले मरीजों से विभागीय स्टाफ ने बात की तो उन्होंने साफ साफ जवाब नही दिया। हालांकि कुछ मरीज प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करा रहा हैं तो कुछ मरीजों ने अपनी पैथी चेंज कर दी है। वह इन बीमारियों का इलाज एलोपैथी के अलावा आयुर्वेदिक, होमियोपैथिक या यूनानी दवा पद्धति से कर रहे हैं। लेकिन एक बड़ी संख्या मरीजों की ऐसी भी है जो पूरे सिनेरियो से ही गायब हैं। इन पर बीमारी के जरिए अधिक शारीरिक नुकसान का खतरा मंडरा रहा है।

अप्रैल से अक्टूबर तक चिंहित कुल शुगर के मरीज- 5350

अप्रैल से अक्टूबर तक चिंहित कुल ब्लड पे्रेशर के मरीज- 2464

फालोअप के लिए पहुंचने वाले शुगर के मरीज- 926

फालोअप के लिए पहुंचने वाले बीपी के मरीज- 686

फालोअप में मरीजों का नहीं आना चिंता की बात है। इनकी तलाश की जा रही है। कारण जानने की भी कोशिश हो रही है। कार्यक्रम के तहत अधिक से अधिक मरीजो को चिंहित कर उनको आजीवन निशुल्क दवाएं वितरित करना है।

डॉ। राजेश कुमार, नोडल, एनसीडी सेल स्वास्थ्य विभाग प्रयागराज