पांच मिनट में मौसम का हाल
 
Super computer
 
AALLAHABAD : इंडिया में जब भी कोई आपदा आती है, भारत मौसम विज्ञान विभाग इसे प्रीडिक्ट करने के मामले में चूक जाता है। पूर्व में भारत में कई ऐसी आपदाएं आईं, जिसकी त्रासदी के बाद हम भारतीयों को इस बात पर कोफ्त महसूस हुई कि क्यों हम हमेशा मौसम की गणना के मामले में दूसरी कंट्रीज से पीछे रह जाते हैं। लेकिन, आने वाले समय में मौसमी गणना के मामले में क्रान्तिकारी बदलाव होने जा रहे हैं। ये बदलाव क्या होंगे? इस पर हमारे साथ एक्सक्लूसिव बातचीत की इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के एटमासफेरिक एंड ओसियन स्टडीज सेंटर में आए इंण्डियन इंस्टीट्यूट आफ ट्रापिकल मेट्रोलाजी (आईआईटीएम) पुणे के जाने माने एक्सपर्ट और सुपरकम्प्यूटर के इंचार्ज डॉ। अतुल कुमार सहाय ने। जानते हैं क्या बताया डॉ। सहाय ने.
 
मार्च में स्थापित हो जाएगा
डॉ। सहाय ने बताया कि मौसम काकम से कम समय में पूर्वानुमान लगाया जा सके, इसके लिए भारत ने यूएस से तीन तीन सौ करोड़ रुपए से भारी भरकम क्षमता वाले दो सुपर कम्यूटर परचेज किए हैं। इसे मार्च में कंट्री में दो जगहों नेशनल सेंटर फार मीडियम रेंज वेदर फोरकास्टिंग (एनसीएमआरडब्लूएफ) नोएडा और इंडियन इंस्टीट्यूट आफ ट्रापिकल मेट्रोलाजी (आईआईटीएम) पुणे में लगाया जाएगा। इससे मौसम विभाग को फोरकास्टिंग में काफी सुविधा होगी। उन्होंने बताया कि अभी हमें एक दिन की मौसम की गणना में एक घंटे का समय लगता है। सुपरकम्प्यूटर की हेल्प से एक दिन की गणना पांच मिनट में ही मिल जाएगी। इससे हम लोगों तक कम टाइम में इम्पार्टेंट जानकारी पहुंचा पाने में सक्षम होंगे.
 
इंसान के बस में नहीं सेंट परसेंट एक्यूरेसी
भारत में इन दोनों सुपरकम्प्यूटर के लगने के बाद सबसे अहम डेवलपमेंट फोरकास्टिंग की सटीकता होगा। डॉ। सहाय ने कहा कि अक्सर लोग कहते हैं कि मौसम विभाग जो जानकारी देता है, अगले दिन होता उसका ठीक उलट है। लेकिन, सुपर कम्प्यूटर की हेल्प से पूर्वानुमान की सटीकता बढ़ जाएगी। फोरकास्टिंग में 100 परसेंट एकुरेसी के जवाब में उन्होंने कहा कि अभी वल्र्ड की कोई भी कंट्री ऐसा नहीं कर पाई है। फ्यूचर में ऐसा हो भी पाएगा या नहीं? इसके बारे में भी कुछ नहीं कहा जा सकता। क्योंकि, फ्यूचर में यह हमारी टेक्नोलाजी और उस समय के एटमासफियर, जनसंख्या, भौगोलिक परिस्थितियों, संसाधन आदि पर डिपेंड करेगा.
 
सबसे तेज क्षमता वाला होगा 
जो दो सुपर कम्प्यूटर इंडिया में लगाए जाएंगे। उसकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें से एनसीएमआरडब्लूएफ नोएडा में स्थापित होने वाला सुपरकम्यूटर 350 टेरा फ्लाप और आईआईटीएम पुणे में लगने जा रहा सुपरकम्यूटर 780 टेरा फ्लाप का होगा जोकि भारत में लगे अब तक के सुपरकम्प्यूटर में क्षमता के मामले में सबसे तेज सुपरकम्प्यूटर में से एक होगा।  
 
अभी दुनिया के 36वें नम्बर के सुपरकम्प्यूटर से ही चल रहा है काम
करेंट में इण्डिया में वेदर की प्रीडिक्शन छह तरह से की जाती है। इसमें नेक्स्ट दो तीन घंटे की गणना को नाव प्रीडिक्शन कहा जाता है। एक दिन से लेकर तीन दिन के आंकलन को शार्ट टर्म प्रीडिक्शन कहा जाता है। पांच से दस दिन की प्रीडिक्शन को मीडियम रेंज वेदर फोरकास्टिंग कहा जाता है। 10 दिन से ज्यादा की प्रीडिक्शन को एक्स्टेंडेंट रेंज फोरकास्ट, पूरे सीजन की प्रीडिक्शन को सीजनल फोरकास्ट और अगले बीस पच्चीस साल की प्रीडिक्शन को क्लाईमेट चेंज फोरकास्ट कहा जाता है। उपरोक्त सभी तरह की गणनाओं में अभी चार जगहों पर लगे सुपरकम्यूटर ही सहायक रहे हैं। इन जगहों में इंण्डियन मेट्रोलाजिकल डिपार्टमेंट (आईएमडी), इंण्डियन नेशनल सेंटर फार ओसियन इन्फार्मेशन सर्विसेस (इंकोईस) हैदराबाद, एनसीएमआरडब्लूएफ और आईआईटीएम शामिल हैं। लेकिन, इन जगहों पर लगे सभी सुपरकम्प्यूटर की क्षमता 70 टेराफ्लाप से नीचे ही है। 70 टेरा फ्लाप का सुपरकम्प्यूटर दुनिया में स्पीड के मामले में 36वें नम्बर पर है। इन्हें मिनिस्ट्री आफ अर्थ साइंसेस ने 2009 के बाद खरीदा था. 
 
इस मामले में भी चाईना आगे
यह आम जानकारी है कि चाईना हर मामले में इंण्डिया से आगे है। फिर चाहे वह युद्ध का मैदान हो या और कोई क्षेत्र। कुछ ऐसा ही वेदर फोरकास्टिंग के मामले में भी है। चीन ने वेदर की फोरकास्टिंग के लिए 5000 टेरा फ्लाप तक का सुपर कम्प्यूटर लगा रखा है। इससे आप आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं कि चीन हमारी टेक्नोलाजी से कितना आगे हैं। काफी महंगा यह सुपरकम्प्यूटर मौसमी गणना और सटीकता के मामले में भारत से काफी आगे है। चौकाने वाली बात तो यह है कि पिछले पांच साल में उसने दुनिया के सभी देशों को प्रीडिक्शन के मामले में पछाड़ दिया है। यहां तक की जापान और अमेरिका भी उससे काफी पीछे हैं.
 
तीन डिग्री तक बढ़ जाएगा टेंपरेचर 
उधर, सेंटर के रिफ्रेशर कोर्स में स्टूडेंट्स को दिए गए लेक्चर में डॉ। सहाय ने मौसम विज्ञान से जुड़ी हुई कई अहम इन्फार्मेशंस भी दीं। उन्होंने स्टूडेंट्स को बताया कि क्लाईमेट चेंज पर चल रहे रिसर्चस को देखते हुए जो रुझान सामने आ रहे हैं, उससे यह बात सामने आई है कि इस सदी की समाप्ति तक टेम्परेचर में तीन डिग्री तक की बढ़ोत्तरी होगी। बारिश में भी 20 परसेंट तक वृद्धि होगी तो वहीं पोल एरियाज भी ठंडे होते जाएंगे।  
मार्च में स्थापित हो जाएगा
डॉ। सहाय ने बताया कि मौसम काकम से कम समय में पूर्वानुमान लगाया जा सके, इसके लिए भारत ने यूएस से तीन तीन सौ करोड़ रुपए से भारी भरकम क्षमता वाले दो सुपर कम्यूटर परचेज किए हैं। इसे मार्च में कंट्री में दो जगहों नेशनल सेंटर फार मीडियम रेंज वेदर फोरकास्टिंग (एनसीएमआरडब्लूएफ) नोएडा और इंडियन इंस्टीट्यूट आफ ट्रापिकल मेट्रोलाजी (आईआईटीएम) पुणे में लगाया जाएगा। इससे मौसम विभाग को फोरकास्टिंग में काफी सुविधा होगी। उन्होंने बताया कि अभी हमें एक दिन की मौसम की गणना में एक घंटे का समय लगता है। सुपरकम्प्यूटर की हेल्प से एक दिन की गणना पांच मिनट में ही मिल जाएगी। इससे हम लोगों तक कम टाइम में इम्पार्टेंट जानकारी पहुंचा पाने में सक्षम होंगे.
 
इंसान के बस में नहीं सेंट परसेंट एक्यूरेसी
भारत में इन दोनों सुपरकम्प्यूटर के लगने के बाद सबसे अहम डेवलपमेंट फोरकास्टिंग की सटीकता होगा। डॉ। सहाय ने कहा कि अक्सर लोग कहते हैं कि मौसम विभाग जो जानकारी देता है, अगले दिन होता उसका ठीक उलट है। लेकिन, सुपर कम्प्यूटर की हेल्प से पूर्वानुमान की सटीकता बढ़ जाएगी। फोरकास्टिंग में 100 परसेंट एकुरेसी के जवाब में उन्होंने कहा कि अभी वल्र्ड की कोई भी कंट्री ऐसा नहीं कर पाई है। फ्यूचर में ऐसा हो भी पाएगा या नहीं? इसके बारे में भी कुछ नहीं कहा जा सकता। क्योंकि, फ्यूचर में यह हमारी टेक्नोलाजी और उस समय के एटमासफियर, जनसंख्या, भौगोलिक परिस्थितियों, संसाधन आदि पर डिपेंड करेगा.
 
सबसे तेज क्षमता वाला होगा 
जो दो सुपर कम्प्यूटर इंडिया में लगाए जाएंगे। उसकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें से एनसीएमआरडब्लूएफ नोएडा में स्थापित होने वाला सुपरकम्यूटर 350 टेरा फ्लाप और आईआईटीएम पुणे में लगने जा रहा सुपरकम्यूटर 780 टेरा फ्लाप का होगा जोकि भारत में लगे अब तक के सुपरकम्प्यूटर में क्षमता के मामले में सबसे तेज सुपरकम्प्यूटर में से एक होगा।  
 
अभी दुनिया के 36वें नम्बर के सुपरकम्प्यूटर से ही चल रहा है काम
करेंट में इण्डिया में वेदर की प्रीडिक्शन छह तरह से की जाती है। इसमें नेक्स्ट दो तीन घंटे की गणना को नाव प्रीडिक्शन कहा जाता है। एक दिन से लेकर तीन दिन के आंकलन को शार्ट टर्म प्रीडिक्शन कहा जाता है। पांच से दस दिन की प्रीडिक्शन को मीडियम रेंज वेदर फोरकास्टिंग कहा जाता है। 10 दिन से ज्यादा की प्रीडिक्शन को एक्स्टेंडेंट रेंज फोरकास्ट, पूरे सीजन की प्रीडिक्शन को सीजनल फोरकास्ट और अगले बीस पच्चीस साल की प्रीडिक्शन को क्लाईमेट चेंज फोरकास्ट कहा जाता है। उपरोक्त सभी तरह की गणनाओं में अभी चार जगहों पर लगे सुपरकम्यूटर ही सहायक रहे हैं। इन जगहों में इंण्डियन मेट्रोलाजिकल डिपार्टमेंट (आईएमडी), इंण्डियन नेशनल सेंटर फार ओसियन इन्फार्मेशन सर्विसेस (इंकोईस) हैदराबाद, एनसीएमआरडब्लूएफ और आईआईटीएम शामिल हैं। लेकिन, इन जगहों पर लगे सभी सुपरकम्प्यूटर की क्षमता 70 टेराफ्लाप से नीचे ही है। 70 टेरा फ्लाप का सुपरकम्प्यूटर दुनिया में स्पीड के मामले में 36वें नम्बर पर है। इन्हें मिनिस्ट्री आफ अर्थ साइंसेस ने 2009 के बाद खरीदा था. 
 
इस मामले में भी चाईना आगे
यह आम जानकारी है कि चाईना हर मामले में इंण्डिया से आगे है। फिर चाहे वह युद्ध का मैदान हो या और कोई क्षेत्र। कुछ ऐसा ही वेदर फोरकास्टिंग के मामले में भी है। चीन ने वेदर की फोरकास्टिंग के लिए 5000 टेरा फ्लाप तक का सुपर कम्प्यूटर लगा रखा है। इससे आप आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं कि चीन हमारी टेक्नोलाजी से कितना आगे हैं। काफी महंगा यह सुपरकम्प्यूटर मौसमी गणना और सटीकता के मामले में भारत से काफी आगे है। चौकाने वाली बात तो यह है कि पिछले पांच साल में उसने दुनिया के सभी देशों को प्रीडिक्शन के मामले में पछाड़ दिया है। यहां तक की जापान और अमेरिका भी उससे काफी पीछे हैं.
 
तीन डिग्री तक बढ़ जाएगा टेंपरेचर 
उधर, सेंटर के रिफ्रेशर कोर्स में स्टूडेंट्स को दिए गए लेक्चर में डॉ। सहाय ने मौसम विज्ञान से जुड़ी हुई कई अहम इन्फार्मेशंस भी दीं। उन्होंने स्टूडेंट्स को बताया कि क्लाईमेट चेंज पर चल रहे रिसर्चस को देखते हुए जो रुझान सामने आ रहे हैं, उससे यह बात सामने आई है कि इस सदी की समाप्ति तक टेम्परेचर में तीन डिग्री तक की बढ़ोत्तरी होगी। बारिश में भी 20 परसेंट तक वृद्धि होगी तो वहीं पोल एरियाज भी ठंडे होते जाएंगे।