प्रयागराज (ब्‍यूरो)। एसआरएन हॉस्पिटल की पुरानी बिल्डिंग सेकंड फ्लोर के वार्ड नंबर दस में एडमिट डीहा गांव के इन तीनों युवकों व उनकी बहन का इलाज चल रहा है। डॉक्टरों की मेहनत से इनकी शारीरिक स्थिति अब ठीक है। मगर मानसिक रूप से अभी चारों बहुत स्वस्थ नहीं दिख रहे। रिपोर्टर पहुंचा तो अलग-अलग बेड पर चारों लेटे हुए थे। उनका एक दूर का रिश्तेदार भी था, जिसे वह दोस्त समझ रहे थे। पहले तो चारों किसी सूरत बात करने को तैयार ही नहीं थे। किसी तरह जब वह बात करने को तैयार हुए वह अपना नाम आरएन सिंह, मान सिंह, बीनू , ज्ञान सिंह बताए। आरएन सिंह ने बताया कि दो साल पूर्व ऐसी कंडीशन नहीं थी। इधर दो साल से उसकी मां विमला देवी आदिशक्ति भगवती की पुजारन बन गई। घर के एक कमरे में वह बेदी बनाकर पूजा अर्चन कर रही थी। एक दिन आदिशक्ति ने मां को आदेश दिया किया वह मां गंगा की शरण में जाए। आदिशक्ति का आदेश मां बताई तो पूरा परिवार पूजा पाठ में जुट गया। हर रोज सुबह सभी पैदल करीब दो किलो मीटर दूर चलकर शिवाला घाट जाते है। वहां से स्नान के बाद शिवाला में पूजा करते थे। फिर बरम विश्वेश्वर धाम और बम्बा देवी मंदिर में जाकर पूजा करते थे। वहां से लौट कर घर में आदिशक्ति की वेदी पूजा करते थे। बताया कि बरम विश्वेश्वर धाम के पुजारी रमाशंकर पांडेय व जीतेंद्र तिवारी दोनों उन चारों को ही नहीं पूरे परिवार को अच्छी तरह से जानते हैं। कहा कि स्नान के बाद वह और उसका भाई ज्ञान 27-27 लीटर गंगाजल एक गैलन में भरकर लाया करता था। वही जल पीकर पूरा परिवार रह रहा था। कहा कि पूजा में ही एक से दो घंटे बीत जाते थे। पूजा के बाद गंगा जल पीने पर पेट भर जाया करता था। कहा पिता अभयराज भी जल ही पीकर रहा करते थे। बताया कि ऐसा करने के लिए प्रेरणा उन सभी को उसकी मां यानी विमला देवी से मिली थी। क्योंकि आदिशक्ति ने मां को आदेश दिए थे कि ऐसा परिवार करे। इसी लिए मां के कहने पूरा परिवार ऐसा कर रहा था। मान सिंह कहा कि यह सब भगवती की कृपा व उनकी शक्ति से बगैर कुछ खाए गंगा जल पीकर रह रहे थे। बताया भूख का अहसास होता था, मगर गंगा जल पीने के बाद भूख नहीं लगती थी।

भाई ने कहा बीमारी से नहीं बहन
हॉस्पिटल में एडमिट मान सिंह ने कहा बहन दीपिका बीमारी से नहीं मरी। उसे देवीजी निकल आई थीं। इसलिए वह लेटी रहती थी। बताया 28 जून को उसके शरीर में परिवर्तन दिखाई दिया। पूरी शरीर में सूजन आ गई। बदन पर बड़े-बड़े छाले निकल आए। वह छाले फूल कर पानी बहने लगा। शरीर का पानी निकलेगा तो गंग होगी। जब हम लोग रोने लगे तो पड़ोसी व पुलिस पहुंचे और चारों को पुलिस अस्पताल भेज दी। मतलब यह कि अंधविश्वासियों के घर में दीपिका बीमारी से पिछले कई दिनों से ग्रसित थी। इलाज के अभाव में जब वह मर गई और बॉडी सड़कर फूलने लगी तो इस परिवार से रोने की आवाज निकली।

मान बीटीसी तो ज्ञान के पास है आईटीआई सर्टिफिकेट
डीहा गांव के अभयराज की फेमिली आज से दो साल पहले ऐसी नहीं थी। एक मीडियम क्लास की जिंदगी सभी बसर कर रहे थे। हॉस्पिटल में एडमिट उसका बेटा मान सिंह बीटीसी कर रखा था। वह एसएससी की तैयारी में जुटा था। जबकि आरएन सिंह इंटर पास करके बाहर नौकरी किया करता था। ज्ञान सिंह तो आईटीआई कम्प्लीट करने के बाद दिल्ली व बाम्बे में नौकरी किया करता था। वीनू को भी दोनों ने भी ग्रेजुएट बताया। अंधविश्वास में दम तोड़ चुकी दीपिका उर्फ अंतिमा ग्रेजुएशन कर रही थी।

परिवार को कौन धकेलना चाहता है पीछे
हॉस्पिटल में एडमिट मान सिंह ने कुछ साल पहले उसकी पोजीशन बढ़ गई थी। अपोजीशन को दूर करने के लिए एक अलग रास्ता यानी पूजा पाठ कर चुन लिए। कहा कि हम सम्पत्ति के लिए लडऩा ठीक नहीं समझे। हम लोग अभी किसी से लड़ाई झगड़ा नहीं करेंगे क्योंकि कमा नहीं रहे और धन नहीं है। धन के लिए लड़ेंगे तो मुकदमा होगा। अपोजीशन हम लोगों को पीछे धकेलना चाहता रहा। छह साल से ऐसी सिचुएशन बनी कि हम लोग दूरी बना लिए। वह लोग जीडी में नाम डलवाने की सोच रहे थे। उसकी इन बातों से एक बात साफ है कि कोई तो है जो इस परिवार के पीछे पड़ा है। वर्ना इस कंडीशन में वह लड़ाई झगड़े व अपोजीशन एवं मुकदमे जैसे विवाद से बचने की बात नहीं करता। निश्चित रूप से यह एक गंभीर बातें हैं।