- चतुर्दशी तिथि पर संगम तट पर सुबह से पिंडदान व तर्पण का शुरू हो गया सिलसिला

-पितृ विसर्जन आज, आमावस्या तिथि का पूर्ण किया जाएगा श्राद्ध

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PRAYAGRAJ: पूर्वजों के प्रति अपने समर्पण और पितृ पक्ष में उनके पिंडडान का विशेष महत्व है। विशेष रूप से प्रयागराज के संगम तट पर पिंडदान, श्राद्ध आदि कर्म करने से पितरों को शांति मिलती है। बुधवार को पितृ पक्ष के आश्विन कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि पर सुबह से ही संगम तट पर पिंडदान, तर्पण का सिलसिला शुरू हो गया। चतुर्दशी तिथि पर अकाल मृत्यु पाने वाले लोगों की आत्मा की शांति के लिए विधि-विधान से पूजन और पिंडदान का नियम है। बुधवार को उसी नियम के अनुसार संगम तट पर तीर्थ पुरोहितों की ओर से पिंडदान कराया गया। इस मौके पर लोगों ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए मंत्रोच्चार के बीच पिंडदान व तर्पण कर अपने श्रद्धासुमन अर्पित किया।

संगम तट पर तर्पण का है विशेष महत्व

प्रयागराज में संगम तट पर पिंडदान का विशेष महत्व है। पुराणों और धर्म ग्रन्थों के अनुसार त्रिवेणी संगम पर पिंडदान और तर्पण करने से पूर्वजों की आत्माओं को तृप्ति मिलती है। मान्यता है कि बिना यहां तर्पण व पिंडदान किए मृतक आत्मा को अतृप्ति रहती है। पितृपक्ष में पिंडदान करने से पूर्वज प्रसन्न होकर वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। पिंडदान नहीं करने से वंशजों को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। यहीं कारण है कि देश के विभिन्न जिलों से आए लोगों ने संगम तट पर तीर्थपुरोहितों के निर्देशानुसार पिंडदान, तर्पण व पूजन करते है। गुरुवार को अमावस्या तिथि का श्राद्ध किया जाएगा। इसके साथ ही पितृपक्ष का समापन भी होगा।