-बच्चों को स्कूल में एडमिशन दिलाने से पहले परखें पढ़ाई से लेकर सिक्योरिटी तक के इंतजाम

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PRAYAGRAJ: एडमिशन का सीजन शुरू हो चुका है। पैरेंट्स अपने बच्चों की बेहतर एजुकेशन के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। इन सबके बीच दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट आपके लिए लेकर आया है खास एडमिशन गाइड। इसमें हम आपको बताएंगे कि सिर्फ स्कूल के चमकते ब्रॉशर पर न जाएं। स्कूलों की ग्राउंड रियलिटी भी चेक करें। ताकि बाद में बच्चे को या आपको किसी तरह की प्रॉब्लम न फेस करनी पड़े।

डिस्टेंस और फैसिलिटी का रखें ध्यान

बिशप जॉनसन स्कूल एंड कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। विशाल सिंह बताते हैं कि अब काफी चीजें बदल गई हैं। यह बदलाव समय के हिसाब से जरूरी भी है। पैरेंट्स को किसी भी स्कूल में एडमिशन के समय सबसे पहले घर से स्कूल की दूरी की जानकारी करनी चाहिए। जिससे बच्चों को स्कूल आने-जाने में दिक्कत ना हो सके। इसके बाद स्कूल के क्लासरूम, स्कूल में बच्चों की सेफ्टी के साथ ही स्कूल का एटमॉस्फियर भी देखना चाहिए। जिससे आगे चलकर किसी भी तरह की प्रॉब्लम न फेस करनी पड़े।

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इन बातों का रखें ख्याल

सीसीटीवी

पूरे स्कूल कैंपस में सीसीटीवी कैमरे हों। हर कैमरा ठीक से काम कर रहा हो।

एंट्री गेट

स्कूल में आने-जाने के लिए एक ही मेन गेट हो। साइड गेट का इस्तेमाल नहीं हो।

निर्भीक बॉक्स

स्कूल में ऐसे बॉक्स हों, जिसमें बच्चे सीक्रेटली अपनी अपनी प्रॉब्लम्स शेयर कर सकें। यह शिकायतें पुलिस देखे।

स्कूल बस

स्कूल बस गेट के अंदर बच्चों को उतारे। बस के स्टाफ की पहुंच वाला एरिया फिक्स हो।

सेफ्टी इक्विपमेंट्स

आग जैसी आपदा से बचने के लिए जरूरी उपकरण वहां मौजूद हों।

मेडिकल रूम

स्कूलों में एक मेडिकल रूम जरूर होना चाहिए। जहां फ‌र्स्ट एड दिया जा सके।

नोडल अफसर

हर फ्लोर पर एक नोडल अफसर हो जो हर सिक्योरिटी अरेंजमेंट के लिए जिम्मेदार हो।

बाउंड्री

स्कूल की बाउंड्री की हर दीवार पर फेंसिंग हो। सभी गेट हर वक्त बंद रहें।

टॉयलेट

स्टाफ और बच्चों के लिए अलग टॉयलेट हों। बच्चों के टॉयलेट क्लास के पास हों।

अलार्म

स्कूल में एक सेंट्रल अलार्म सिस्टम हो, खतरे के वक्त इसका यूज किया जा सके।

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ऐसी होनी चाहिए स्कूल की बस

-हर गाड़ी में प्राथमिक उपचार के लिए फ‌र्स्ट एड बॉक्स होने चाहिए।

-स्कूली बच्चों को ले जाने वाले गाडि़यों की खिड़कियों पर ग्रिल होनी चाहिए।

-गाड़ी में पीने के पानी की व्यवस्था होनी चाहिए।

-बस पीले रंग की होनी चाहिए और उस पर स्कूल का नाम और फोन नंबर होना चाहिए।

-बस में बच्चों के साथ कोई टीचर या अटेंडेंट होना चाहिए।

-गाड़ी में सीटों की क्षमता जितनी होगी, उसके 20 फीसदी ज्यादा बच्चे ही लाए जा सकते हैं।

-स्कूल बस के गेट प्रॉपर्ली बंद होने वाले हों। यह अपने आप नहीं खुलना चाहिए।

-अगर बस को हायर किया गया हो, तो उसके आगे ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना चाहिए।

स्कूल के सेलेक्शन के समय तमाम बातों का ख्याल रखना चाहिए। घर से डिस्टेंस, सेफ्टी, क्लासरूम आदि के बारे में भी पूरी जानकारी ले लें। जिससे आगे चलकर बच्चों को कोई प्रॉब्लम न आए।

-विशाल सिंह, प्रिंसिपल, बिशप जॉनसन स्कूल एंड कॉलेज