प्रयागराज ब्यूरो । सत्संग भवन से लेकर पार्किंग व यात्री शेड और किचन, दो दुकान व तैयार होगा रैंप
क्कक्र्रङ्घ्रत्रक्र्रछ्व: दर्शन व पूजन के लिए तक्षकेश्वर नाथ धाम जाने वाल भक्तों के लिए राहत भरी खबर है। बहुत जल्द इस धाम का में सीढ़ी से लेकर फर्श तक की व्यवस्थाएं लकदक हो जाएंगी। महाकुंभ के मद्देनजर इस धाम में विकास के कार्य शुरू हो गए हैं। एक- एक करके धाम में करीब आधा दर्जन से अधिक कार्य किए जाएंगे। हर कार्य को यहां आने वाले भक्तों की सहूलियतों के हिसाब से कराया जा रहा है। वर्क पूरा होने के बाद इस धाम की भव्यता में चार-चांद लग जाएंगे। अच्छी बात यह होगी कि यहां पर आराम से बैठकर लोग पूजा अर्चना के साथ सत्संग भी कर सकेंगे। विकास का कार्य पूरा होने के बाद इस धाम के महात्म को प्रचारित प्रसारित भी किया जाएगा। गंथों और पुराणों में मौजूद इस धाम की ऐतिहासिकता से सम्बंधित शिलापट भी जगह-जगह लगाए जाएंगे।

इस लिए बना डेवलपमेंट का प्लान
यह तक्षक तीर्थ धाम संगम नगरी में यमुना नदी के किनारे दरियाबाद एरिया में स्थित में है। यह मंदिर में भगवान शेष नाग की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यहां मन और विश्वास के साथ पूजन करने से जीवन में अकाल मृत्यु योग भी निष्प्रभावी हो जाता है। आज के आधुनिक युग में इस धाम को दरियाबाद बड़ा शिवाला के नाम से जाना जाता है। जानकारों की मानें तो इस धाम में स्थित शिव लिंग की प्राचीनता सदियों पुरानी है। इसका जिक्र पद्म पुराण के 82-वें पाताल खंड के प्रयाग महातम्य में 28-वें अध्याय में तक्षकेश्वर नाथ वृतांत जिक्र मिलता है। मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान शिव व तक्षक नाग का दर्शन करने वाले भक्त ही नहीं उसके पूरे परिवार व वंश को सर्प दंश का डर खत्म हो जाता है। मतलब पूरा वंश सर्प विष बाधा से मुक्ति पा जाता है। मंदिर के पुजारी रविशंकर महाराज कहते हैं कि तक्षकेश्वर नाथ मंदिर का इतिहास पांच हजार साल भी अधिक पुराना है। उनके मुताबिक पौराणिक कथा इस धाम का जुड़ा राजा परीक्षित व उनके वंशजों से भी है। कथा यह भी कि भगवान श्रीकृष्ण द्वारा मथुरा से भगाए जाने के बाद तक्षक नाग ने इसी स्थान पर निवास किया था। धाम में आज भी एक कुंड है, जिसे तक्षक कुंड के नाम से जाना जाता है। अपने पौराणिक व धार्मिक मान्यताओं के चलते ही इस धाम की ख्याति पूरे देश ही नहीं विदेशों में भी है। संगम स्नान के बाद तक्षकेश्वर धाम में शिव दर्शन व पूजन के विशेष फल बताए जाते हैं। यही वजह है कि महाकुंभ के पूर्व इस धाम को सजाने व संवारने का प्लान तैयार किया गया।

शुरू हो गए हैं काम, जल्द होंगे पूरा
तक्षकेश्वर धाम के डेवलपमेंट का बहुप्रतीक्षित काम अब शुरू हो चुका है। एई मृदुल त्रिपाठी कहते हैं कि यहां कराए जाने वाले कार्यों की डेंडर पहले ही हो चुका है।
करीब डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से यहां पर टोटल छह कार्य कराए जाएंगे। यह काम महाकुंभ के पूर्व कार्यदायी संस्था के द्वारा पूरा किया जाएगा।
तक्षकेश्वर धाम में सबसे पहले आने वाले भक्तों के लिए तीन यात्री शेड बनाए जाएंगे। ताकि भक्तजन इस यात्री शेड में बैठकर धूप व बारिश से बच सकें।
इसके बाद मंदिर के अंदर से परिसर एरिया में पत्थर लगाने के साथ एक तक्षकेश्वर नाथ धाम का विशाल गेट भी बनाया जाएगा।
चलने में शारीरिक रूप से अक्षम भक्तों के लिए परिसर से होते हुए मंदिर तक एक रैंप यानी श्लोपदार सीढिय़ां भी बनाई जाएंगी।
चढ़ाने के लिए प्रसाद आदि भी भक्तजन बनाते हैं, इस बात को ध्यान में रखते हुए धाम में किचन और पार्किंग एरिया भी डेवलप किया जाएगा।
प्रसाद व फूल बिक्री के लिए दो दुकानें भी बनाई जाएंगी, साथ ही परिसर में कम से कम सौ लोगों की क्षमता वाला सत्संग भवन भी तैयार होगा।


तक्षकेश्वर नाथ धाम के डेवलपमेंट का काम शुरू हो गया है। काम पूरा होने के बाद इस धाम का लुक काफी दिव्य व भव्य नजर आएगा। इस धाम की अपनी एक औराणिक महत्ता वहां के महंत द्वारा बताई जाती है।
गौरव शर्मा, जेई उप्र राज्य पर्यटन निगम