- सप्तमी पर मंदिरों और घरों में मां के कालरात्रि स्वरूप की हुई स्तुति

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PRAYAGRAJ: आदि शक्ति मां भगवती के पूजन के पावन दिन नवरात्र की सप्तमी पर विधि विधान से मां के कालरात्रि स्वरूप का पूजन किया गया। व्रतियों ने यम-नियम से मां की आराधना की। दूसरी तरफ देवी मंदिरों में चल रहे शतचंडी यज्ञ में आहुतियां डाली गई। सोमवार की शाम 6.46 बजे से अष्टमी तिथि की शुरुआत होने के कारण मध्यरात्रि में महानिशा पूजा हुई। जिसमें तांत्रिक अनुष्ठान हुए। साधकों ने तंत्र विद्या जाग्रत करने के लिए रात 12.01 से सुबह 4.15 बजे तक तांत्रिक अनुष्ठान में लगे रहे।

35 घंटे बाद खुले मंदिरों के कपाट

वीकली लॉकडाउन के कारण सोमवार को करीब 35 घंटे बाद मंदिरों के कपाट भक्तों के लिए खोले गए। मां अलोपशंकरी, मां ललिता देवी, मां कल्याणीदेवी, मां खेमा मायी, मां कालीबाड़ी सहित समस्त देवी मंदिरों का दरबार भक्तों से गुलजार हो गया। भक्तों की टोली भी पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ हाथों में पूजा की थाली, चेहरे पर मास्क लगाए मां के जयकारों की गूंज के बीच मां के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचे। हर कोई मइया के दिव्य स्वरूप को आंखों के जरिए हृदय में बसाने को आतुर रहा। नारियल, चुनरी व प्रसाद अíपत करके भक्त मइया से मनोवांछित फल प्राप्ति की कामना किया।

अलोपशंकरी के दरबार में लगा मेला

मां अलोपशंकरी मंदिर में सोमवार को मेला लगा। इस दौरान दूर-दूर से आए भक्त मां के पालने का दर्शन करके उसमें नारियल, चुनरी, पुष्प व माला अíपत करके समस्त कामना पूर्ण करने की प्रार्थना किया। मइया के दरबार में नाक व कण छेदन, मुंडन का संस्कार भी दिनभर चलता रहा।

कालरात्रि स्वरूप का श्रृंगार

मां कल्याणी देवी, मां ललिता देवी व मां खेमा मायी का मंत्रोच्चार के बीच मइया के कालरात्रि स्वरूप का रत्नजडि़त आभूषणों से श्रृंगार करके पूजन हुआ। शाम को महा आरती उतारी गई। मौजूद भक्तों ने मां के जयकारों से मंदिर परिसर को गुंजायमान कर दिया।