अपने ऊपर हुए एक्शन से नाराज जूनियर डॉक्टर ने किया सुसाइड अटेम्प्ट

नाराज स्टूडेंट्स ने ठप की ओपीडी, बिना इलाज परेशान हो गए मरीज

ALLAHABAD: टीचर्स ने स्टूडेंट पर मिसबिहेव का आरोप लगाकर उसे सस्पेंड कर दिया। इससे नाराज जूनियर डॉक्टर ने जान देने की कोशिश की तो भूचाल आ गया। एमएलएन मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर्स ने कामकाज ठप कर दिया। कॉलेज प्रशासन में भी खलबली मच गई। ओपीडी ठप होने से मरीज इधर-उधर भटकते रहे लेकिन सुनवाई नहीं हुई। अपनी-अपनी साख को लेकर दोनों में से कोई फिलहाल झुकने को तैयार नहीं था।

जान देने की कोशिश

वाराणसी निवासी मेडिसिन विभाग के थर्ड ईयर के जूनियर डॉ। प्रमोद गुप्ता ने बुधवार रात नींद की गोलियां खाकर जान देने की कोशिश की। सुबह उन्हें सीरियस हालत में मेडिकल आइसीयू विभाग में भर्ती कराया गया। उनके पास से बरामद सुसाइड नोट में साफ तौर पर लिखा था कि भांजी की नीट काउंसिलिंग के दौरान जाति प्रमाण पत्र नया नहीं होने की वजह से टीचर्स ने अभद्रता की। लिखा गया कि डॉ। आरबी कमल और काउंसिलिंग इंचार्ज डॉ। देवाशीष शर्मा ने मिसबिहेव का आरोप लगाकर डॉ। प्रमोद का कॅरियर बर्बाद करने की धमकी दी। सुसाइड नोट में लिखा कि बार-बार पैर छूने के बाद टीचर्स ने प्रमोद को माफ नहीं किया। इससे डिप्रेशन में आकर जूनियर डॉक्टर ने जान देने का मन बना लिया।

मच गया हड़कंप, ठप हो गई ओपीडी

जूनियर डॉक्टर के सुसाइड अटेम्प्ट की खबर एमएलएन मेडिकल कॉलेज में आग की तरह फैल गई। जानकारी मिलने पर जूनियर डॉक्टर्स एकत्र होने लगे। देखते ही देखते एसआरएन हॉस्पिटल कैंपस में नारेबाजी होने लगी और ओपीडी और पर्चा काउंटर बंद करा दिया गया। जूनियर डॉक्टर्स डॉ। कमल, डॉ। देवाशीष सहित डॉ। सरोज के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़े थे। अचानक ओपीडी ठप हो जाने से दूर-दराज से आए मरीज स्तब्ध रह गए। एक पल को उन्हें कुछ समझ नहीं आया।

टीचर्स ने बदतमीजी करने का आरोप

उधर, आरोपी टीचर्स का कहना था कि जेआर डॉ। प्रमोद ने काउंसिलिंग के दौरान अभद्रता की। 28 जून को अपनी भांजी की काउंसिलिंग कराने पहुंचे डॉ। प्रमोद से एक अप्रैल 2018 के बाद का बना जाति प्रमाणपत्र मांगा गया तो वह मिसबिहेव करने लगे। वह बार-बार पुराने प्रमाण पत्र के आधार पर काउंसिलिंग करने का दबाव बना रहे थे। इससे डॉ। कमल और डॉ। देवाशीष ने खुद को अपमानित महसूस किया। मामले की शिकायत मेडिकल विभाग के एचओडी डॉ। अरविंद गुप्ता से की गई और फिर कॉलेज प्रशासन ने इस शिकायत पर डॉ। प्रमोद को क्लीनिकल कार्य से निष्कासित कर कॉलेज से अटैच कर दिया।

मांगा लिखित माफीनामा

दोपहर में मेडिकल कॉलेज कैंपस में हुई मीटिंग में टीचर्स एसोसिएशन ने डॉ। प्रमोद से लिखित माफीनामा मांग लिया। उनका कहना था कि माफीनामा देने के बाद उनका निष्कासन वापस ले लिया जाएगा। उधर, प्रिंसिपल डॉ। एसपी सिंह कहना था कि जूनियर डॉक्टर की हालत सामान्य है और बार-बार उनकी अपडेट ली जा रही है। इसके अलावा रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी प्रिंसिपल को अपना पत्र देकर किसी हड़ताल में शामिल नहीं होने का आश्वासन दिया। प्रिंसिपल का कहना था कि मेडिसिन विभाग और पल्मनरी मेडिसिन विभाग के स्टूडेंट्स की हड़ताल ने हॉस्पिटल का कामकाज बाधित किया गया है।

पांच घंटे बाद खत्म हुई हड़ताल

सुबह दस बजे से हड़ताल पर गए जूनियर डॉक्टर्स ने दोपहर तीन बजे हड़ताल वापस ले ली। जानकारी के मुताबिक प्रिंसिपल प्रो। एसपी सिंह ने जेआर डॉ। प्रमोद गुप्ता से मिलकर हालचाल लिया। इस दौरान जेआर द्वारा माफी मांगने पर उनका निष्कासन वापस ले लिया गया। साथ ही जूनियर डॉक्टर्स ने अपनी हड़ताल भी खत्म कर दी।

दर्द से कराहते रहे, नहीं मिला इलाज

गुरुवार सुबह दस बजे ओपीडी ठप हो जाने के बाद मरीजों को काफी परेशानी हुई। वह डॉक्टरों की तलाश में भटकते रहे। इनमें से कुछ दूसरी या तीसरी डॉक्टर के पास आए थे तो कुछ अपनी जांच रिपोर्ट लेकर ओपीडी चालू होने का इंतजार कर रहे थे। भीषण गर्मी में दोपहर एक बजे तक इलाज शुरू नही हुआ तो निराश होकर वह अपने घर को लौट गए। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट से बातचीत में उन्होंने बयां किया अपना दर्द-

3000-3500 पेशेंट्स हर रोज आते हैं मेडिकल कॉलेज

1000 बेड की सुविधाओं से युक्त है एसआरएन

140 कुल डॉक्टरों की हॉस्पिटल में है तैनाती

50-60 मरीज हर रोज होते हैं इलाज के लिए एडमिट

11 कुल वार्ड हैं इस हॉस्पिटल में

हड़ताल ने किया बेहाल

11 से 12 बजे रात के बीच डॉक्टर ने किया सुसाइड अटेम्प्ट

10 बजे सुबह शुरू हुई हड़ताल

03 बजे हड़ताल खत्म होने का ऐलान

05 घंटे तक बेहाल रहे मरीज

खांसी की समस्या से काफी दिनों से परेशान हैं। कई जगह दवा किया लेकिन फायदा नहीं हुआ। गुरुवार को सोचा एसआरएन हॉस्पिटल में दिखाएंगे। 65 किमी दूर से आए हैं लेकिन यहां हड़ताल से पूरा दिन खराब हो गया।

-श्याम सुंदर द्विवेदी, लेडि़यारी

80 किमी दूर से आए हैं। सीने में पानी चढ़ने की शिकायत है। यहां आए तो पता चला डॉक्टर हड़ताल पर हैं, चला कि इलाज नही होगा। पूछने पर कहा कि जाओ फिर बाद में आना इलाज कराने।

-कमलाकांत उपाध्याय, कोरांव

ब्लड प्रेशर की शिकायत है। सात दिन पहले डॉक्टर को दिखाया था। गुरुवार को फिर से दिखाए तो ओपीडी बंद मिली है। मिर्जापुर से बार-बार आना मुश्किल है लेकिन कोई इस बात समझ नहीं रहा है।

-कुल्लू, मिर्जापुर

एक सप्ताह पहले डॉ। अमिताभ शुक्ला को दिखाया था। सीने में दर्द और उल्टी आने की शिकायत है। आज फिर उन्होंने बुलाया था लेकिन निराश होना पड़ रहा है। अब फिर से इस गर्मी में आना पड़ेगा।

-साहे जमां, कौशांबी

हार्ट के मरीज हैं। डॉ। पीयूष सक्सेना से इलाज चल रहा है। छह महीने हो गए। गुरुवार को फिर से बुलाया था। पता होता तो नहीं आते। अब बिना इलाज घर जाना मुश्किल है। यहां ठहरने का भी ठिकाना नही है।

-शीला देवी, घूरपुर

छात्र अपने टीचर्स का सम्मान करते हैं। मेरे द्वारा समझाने पर डॉ। प्रमोद ने माफी मांगी। हमारी ओर से उनका निष्कासन वापस ले लिया गया है। अब वह अपने क्लीनिकल कार्य कर सकते हैं। जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल भी खत्म हो गई है।

-प्रो। एसपी सिंह, प्रिंसिपल, मेडिकल कॉलेज

हमने कहा था कि डॉ। प्रमोद ने टीचर्स के साथ मिसबिहेव किया था। बावजूद इसके हम केवल इतना चाहते थे वह अपने किए की माफी मांगे। टीचर्स अपने स्टूडेंट्स के भविष्य को लेकर संवेदनशील हैं।

-प्रो। दिलीप चौरसिया, सचिव, टीचर्स एसोसिएशन मेडिकल कॉलेज