NCZCC के राष्ट्रीय शिल्प मेला में आई मणीपुर के 16 सदस्यीय कलाकारों की टीम

बोले, बस पहाड़ों पर ही घूम घूमकर दिखाते हैं करतब, सरकार के ध्यान न देने से हो रही दुर्दशा

ALLAHABAD: नार्थ ईस्ट का प्रमुख राज्य मणिपुर कला व संस्कृति में विकास के नाम पर अन्य राज्यों से बहुत पिछे है। लोक संस्कृति के विकास को लेकर पिछले 15 साल में वहां एक भी काम नहीं हुआ। यह पीड़ा उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र में चल रहे राष्ट्रीय शिल्प मेला में प्रस्तुतियां देने आए मणिपुर के कलाकारों ने व्यक्त की।

पहाड़ों से निकलता है खर्च

सांस्कृतिक केन्द्र के शिल्प हाट परिसर में मुटुन इबोमचा सिंह की अगुवाई में मणिपुर के 16 सदस्यों की टीम पहुंची है। कलाकारों की मानें तो मणिपुर का 90 फीसदी भूभाग पहाड़ी इलाका है। वहां ये लोग मणिपुरी गायन के साथ ही यंग ता और करतार चोलम जैसे लोकनृत्य की प्रस्तुतियां देने जाते हैं। रोज एक एरिया तय करके जाते हैं तो मुश्किल से दो जून की रोटी का ही खर्च निकल पाता है।

सरकार नहीं करती कोई उपाय

मणिपुर से आए मेतेई समुदाय के अबू ने बताया कि केन्द्र में दस साल कांग्रेस की सरकार थी तो मणिपुर में भी कांग्रेस के सीएम इबोबी सिंह का शासन था। लेकिन कलाकारों को रोजगार देने के नाम पर हमेशा आश्वासन ही मिलता रहा। इसके लिए कम से कम दस बार उनसे मिलकर ज्ञापन सौंपा गया था।

केन्द्र की मणिपुर में भी हो ब्रांच

एक अन्य कलाकार राकेश ने बताया कि सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र का मुख्यालय नई दिल्ली में है तो उसकी एक ब्रांच गुवाहाटी में है। गुवाहाटी से अब तक एक भी कार्यक्रम के लिए निमंत्रण नहीं मिला है। पहली बार बीजेपी की सरकार मणिपुर में बनी है और प्रधानमंत्री विकास की बातें कर रहे हैं तो हम लोगों को उम्मीद है कि गुवाहाटी की तर्ज पर इंफाल ईस्ट में भी एक ब्रांच खोली जाएगी। इससे रोजगार के साथ ही प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा।

पिछले दस साल से मणीपुर में कांग्रेस की सरकार थी लेकिन कलाकारों के लिए कुछ नहीं किया। अब बीजेपी की सरकार बनी है। देखते हैं क्या करती है।

अबू

इस बार बनी बीजेपी की सरकार से कलाकारों ने उम्मीद तो काफी लगा रखी है, अब देखना ये है कि ये सरकार कलाकारों के लिए क्या कदम उठाती है।

राकेश