प्रयागराज (ब्यूरो)। मई की भीषण गर्मी में पारा 45 डिग्री के पार पहुंच चुका है। रोजाना अस्पतालों में लू के मरीज बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। ऐसे में जिला प्रशासन ने लोगों से हीट वेव से बचने की सलाह दी है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि जब वातावरण का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस से 3-4 डिग्री अधिक पहुंच जाता है तो उसे हीटवेब या लू कहते हैं। अभी आगे गर्मी का प्रकोप और बढ़ेगा इसलिए खुद को एलर्ट मोड पर रखना होगा।

अस्पतालों में बढ़ी मरीजों की संख्या

जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है, अस्पतालों में मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। काल्विन अस्पताल में शनिवार को एक दर्जन से अधिक मरीज हीट वेव का शिकार होकर पहुंचे थे। इसी तरह एसआरएन और बेली अस्पताल में भी लू से प्रभावित पहुंचने वाले मरीजों की संख्या दो दर्जन से अधिक रही। इसके अलावा उल्टी और दस्त के मरीजों की संख्या 30 फीसदी तक पहुंच चुकी है। ऐसे में हीट वेव या लू से बचना बेहद जरूरी है। इसके लिए डॉक्टर्स ने जनता से सतर्क रहने की अपील की है।

कब लगती है लू

गर्मियों में लू लगना आम बात है। लेकिन कुछ कारण इसके लिए ज्यादा कारगर होते हैं। गर्मी में शरीर के द्रव्य बॉडी फ्ल्यूड सूखने लगते हैं। शरीर में पानी, नमक की कमी होने पर लू लगने का खतरा ज्यादा रहता है। शराब की लत, हृदय रोग, पुरानी बीमारी, मोटापा, पार्किंसस रोग, अधिक उम्र, अनियंत्रित मधुमेह वाले व्यक्तियों को लू से विशेष बचाव करने की जरूरत है। इसके अलावा डॉययूरेटिक, एंटीस्टिमिनक, मानसिक रोग की औषधि का उपयोग करने वाले व्यक्ति भी लू से सवाधान रहें।

लक्षण

गर्म, लाल, शुष्क त्वचा का होना, पसीना न आना.

- तेज पल्स होना, उल्टे श्वास गति में तेजी,व्यवहार में परिवर्तन।

- भ्रम की स्थिति, सिरदर्द, मिचली, थकान और कमजोरी का होना या चक्कर आना, मूत्र न होना।

- इन लक्षणों के चलते मनुष्यों के शरीर के उच्च तापमान से आंतरिक अंगों, विशेष रूप से मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है।

- इससे शरीर में उच्च र.तचाप उत्पन्न हो जाता है।

इनको है ज्यादा खतरा

- 05 वर्ष से कम आयु के बच्चे व 65 वर्ष से ज्यादा के व्यक्ति।

- गर्भवती महिलायें।

- ऐसे व्यक्ति जोकी सैन्य, कृषि, निर्माण और औद्योगिक व्यवसाय में श्रमिक, मजदूर, खिलाड़ी आदि हों।

- शारीरिक तौर पर कमजोर एवं मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति।

- त्वचा संबन्धित रोग जैसे सोरायसिस, पायोडर्मा आदि से प्रभावित व्यक्ति।

- पर्यावरण बदलने के कारण गर्मी के अनुकूलनता का अभाव।

- सोने का आभाव।

प्रशासन ने बनाया कंट्रोल रूम

एम्बुलेंस- 108

पुलिस -112

राहत आयुक्त कार्यालय- 1070

जिला इमरजेंसी ऑपरेशन सेन्टर प्रयागराज कंट्रोल रूम- 05322641577 व 05322641578

ऐसे होगा बचाव

- गर्म हवाओं से बचने के लिए खिड़की को रिफ्लेक्टर जैसे एलुमिनियम पन्नी, गत्ते इत्यादि से ढककर रखें, ताकि बाहर की गर्मी को अन्दर आने से रोका जा सके।

- उन खिड़कियों व दरवाजों पर जिनसे दोपहर के समय गर्म हवाएं आतीं हैं, काले परदे लगाकर रखना चाहिए।

- स्थानीय मौसम के पूर्वानुमान को सुनें और आगामी तापमान में होने वाले परिवर्तन के प्रति सजग रहें।

- आपात स्थिति से निपटने के लिए प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण ले। ब

- च्चों तथा पालतू जानवरों को कभी भी बन्द वाहन में अकेला न छोड़ें।

- जहां तक सम्भव हो घर में ही रहें तथा सूर्य के ताप से बचें। सूर्य के ताप से बचने के लिए जहां तक संभव हो घर की निचली मंजिल पर रहें।

- संतुलित, हल्का व नियमित भोजन करें और बासी खाने का प्रयोग कदापि न करे-

- मादक पेय पदार्थों का सेवन न करें। घर से बाहर अपने शरीर व सिर को कपड़े या टोपी से ढककर रखें।

- घर में पेय पदार्थ जैसे लस्सी, छांछ, म_ा, बेल का शर्बत, नमक चीनी का घोल, नीबू पानी या आम का पना इत्यादि का प्रयोग करें।

- खुद को हाइड्रेटेड रखने के लिए ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन), लस्सी, तोरानी (चावल का पानी), नींबू का पानी, छाछ आदि जैसे घरेलू पेय का इस्तेमाल करें।

- हल्के वजन, हल्के रंग के, ढीले, सूती कपड़े पहनें।

- अपना सिर ढंकें: कपड़े, टोपी या छतरी का उपयोग करें।

- हांथों को साबुन और पानी से बार-बार धोएं।

- कार्य स्थल के पास ठंडा पेयजल उपलब्ध कराएं।

- कार्यकर्ताओं को सीधे धूप से बचने को कहे।

- यदि बच्चों के पेशाब का रंग गहरा है तो इसका मतलब है कि वह डिहाईड्रेशन (पानी की कमी) का शिकार हैं।

- पशुओं को घर के भीतर रखा जाना संभव न हो तो उन्हें किसी छायादार स्थान में रखें, जहां वे आराम कर सकें।

- अपने पालतू जानवर का खाना धूप में न रखें।

- पंखे का प्रयोग करें, कपड़ों को नम करें और ठंडे पानी में स्नान करें।

-यदि आप बेहोश या कमजोरी महसूस करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाए।

- जानवरों को छाया में रखें और उन्हें पीने के लिए भरपूर पानी दें।

वर्जन

तापमान तेजी स बढ़ रहा है, ऐसे में लू लगने की संभावना बढ़ गई है। लोगों को बचाव के लिए जागरुक किया जा रहा है। कंट्रोल रूम का नंबर भी जारी किया गया है। किसी प्रकार की जरूरत पडऩे पर सहायता मांगी जा सकती है। अस्पतालों में संपूर्ण इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है।

संजय कुमार खत्री, डीएम