प्रयागराज ब्यूरो । उमेश पाल हत्याकांड की पुण्य तिथि के एक दिन पूर्व शुक्रवार को पुलिस प्रशासन अलर्ट रहा। आज के ही दिन यानी 24 फरवरी को धूमनगंज के जयंतीपुर में उमेश पाल की हत्या की गई। बेखौफ हमलावरों द्वारा बरसाई गई गोलियों और बम के धमाकों से पूरा इलाका गूंज उठा था। इस घटना में गोली से घायल उमेश पाल के दो सरकारी गनर भी दम तोड़ दिए थे। बम और गोलियों की गूंज से पूरा प्रदेश थर्रा उठा था। बात विधानसभा तक पहुंची तो घटना पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई थी। पिछले वर्ष पूरे साल पुलिस इसी घटना के इर्दगिर्द मंडराती रही। कत्ल के दो आरोपित अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन और बमबाज गुड्डू मुस्लिम आज भी पुलिस की पकड़ से दूर है। ऐसी स्थित में उमेश पाल का परिवार वारदात को हुए एक साल बीत गए हैं पर खौफ के साए में जी रहा है। इस पूरी घटना में उमेश पाल की पत्नी जया पाल के द्वारा पूर्व सांसद अतीक अहमद, भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, बमबाज गुड्डू मुसिलम, गुलाम, अतीक का बेटा व अन्य पुत्र सहित नौ सहयोगी नामपता अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था।

पिछले पर भारी रही यही एक घटना
बसपा विधायक राजू पाल को 25 जनवरी 2005 को धूमनगंज इलाके में गोलियों से भून दिया गया था। बदमाशों के जरिए गोलियां एसआरएन हॉस्पिटल मोड़ तक दागी गई थीं। इस दौरान राजू पाल के साथ जयंतीपुर निवासी उमेश पाल भी मौजूद थे.्र दर्ज किए गए इस मुकदमें में उमेश पाल ही इकलौते चश्मदीद गवाह था। इस घटना में पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ पर हत्या का आरोप लगा था। आरोप है कि उमेश पाल को गवाही से रोकने के लिए आरोपित अतीक अहमद में अपहरण करा लिया था। अपने कार्यालय में ले जाकर उमेश को यातनाएं दी गई थीं। किसी तरह छूटने के बाद उमेश पाल के द्वारा खुद के अपहरण का केस दर्ज कराया गया था। चूंकि विधायक हत्याकांड में उमेश पाल गवाह थे, लिहाजा सुरक्षा के मद्देनजर उन्हें दो गनर मिले थे। इसी खुद के अपहरण केस में उमेश पाल 24 फरवरी 2023 को जिला कचहरी गए हुए थे। कोर्ट का काम निपटाने के बाद वह गनर आजमगढ़ निवासी संदीप निषाद और रायबरेली निवासी राघवेंद्र के साथ घर जयंतीपुर लौट रहे थे। जैसे ही घर के पास पहुंचे थे कि पहले से घात लगाकर बैठे बदमाशों ने उनकी गाड़ी पर गोलियां व बम बरसाना शुरू कर दिया था। गोलियों की आवाज और बम के धमाकों से पूरा इलाका थर्रा उठा था। दहशत के मारे लोग घरों की खिड़कियां व दरवाजे तक बंद कर लिए थे। इस वारदात में गोली व बम के छर्रे लगने से उमेश पाल और दोनों गनर खून से लथपथ होकर गिर पड़े थे।
मच गया था हड़कंप
शूटरों के जरिए इस वारदात को अंजाम दिए जाने की खबर सुनते ही प्रयागराज कमिश्नरेट पुलिस ही पूरे जिले में हड़कंप मच गया था। पुलिस भागकर मौके पर पहुंची और घायलों को लेकर एसआरएन हॉस्पिटल पहुंची। जहां उमेश पाल और गनर संदीप को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था। गंभीर हालत में राघवेंद्र को इलाज के लिए विशेष एम्बुलेंस से लखनऊ ले जाया गया था। मगर फर्ज निभाने में गोलियों से छलनी गनर राघवेंद्र ने भी वहां पर दम तोड़ दिया था। इस घटना को अंजाम देने के बाद शूटर कार से भाग निकले थे। पूरा मामला आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हो गया था। खैर, मौत के घाट उतारे गए उमेश पाल की पुण्य तिथि को लेकर पुलिस प्रशासन अलर्ट मोड़ में रहा। बताते हैं कि उमेश पाल के घर पर सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस की पैनी नजर रही। धूमनगंज इलाके में जांच एजेंसियां भी एक्टिव बताई जा रही हैं। उमेश पाल के मोहल्ले जयंती पुर से लेकर धूमनगंज सुलेमसराय एरिया में कई जगह श्रद्धांजलि बोर्ड लगाए गए हैं। उमेश पाल को जानने व व मानने वाले उनके समर्थकों के द्वारा आज श्रद्धांजलि दी जाएगी।


चैलेंज बनी पकड़ से दूर शाइस्ता व गुड्डू
मामले में उमेश पाल की पत्नी जया पाल के द्वारा उपरोक्त आरोपितों के खिलाफ तहरीर दी गई।
जिसके आधार पर पुलिस मुकदमा दर्ज करके छानबीन में जुटी। जयंती पुर में शूटरों के द्वारा बरसाई गई गोलियों और बम के धमकों की गूंज सूबे के सदन तक जा पहुंची पहुंची।
इसके बाद सदन के अंदर मामला सियासी तूल पकड़ लिया था। फिर क्या था, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मामले को संज्ञान लिए तो पुलिस कार्रवाई में जुट गई।
सरकार का रुख सख्त देखते हुए पुलिस का मिजाज काफी सख्त रहा। बावजूद इसके प्रकाश में आए आरोपित पुलिस पर फायरिंग करने से बाज नहीं आए।
बचाव में पुलिस के द्वारा की गई फायरिंग में अब तक कई बदमाश ढेर हो चुके हैं। मामले में नामजद इनामी शाइस्ता परवीन व गुड्डू मुस्लिम आज भी भागे भागे फिर रहे हैं।
इनके पकड़े नहीं जाने से उमेश पाल की पत्नी व मां आज भी खौफ के साए में जी रहीं हैं। हालांकि पुलिस इनकी तलाश में आज भी हर संभावित ठिकानों पर नजर गड़ाए हुए है।
बहरहाल शाइस्ता परवीन और बमबाज गुड््डू कहां है इस बात की सटीक खबर अब तक पता नहीं चल सकी। यह दोनों आज भी पुलिस के लिए चैलेंज बने हुए हैं।