प्रयागराज ब्यूरो । क्कक्र्रङ्घ्रत्रक्र्रछ्व: गर्मी से राहत पाने के लिए नदियों में स्नान करने जा रहे हैं तो थोड़ा सतर्क रहें। क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही मौत का कारण बन सकती है। नदी में मस्ती के वक्त यही थोड़ी सी चूक से सोमवार को दो युवकों के मौत की वजह बन गई। दोनों आपस में दोस्त थे। इस घटना से सबक लेते हुए मंगलवार को जल पुलिस घाटों पर सुरक्षा बढ़ा दी है। नदियों में स्नानार्थियों के लिए कुछ गाइड लाइंस जारी किए गए हैं। इतना ही नहीं, स्नान घाटों पर भी सुरक्षा के कुछ उपायों से सम्बंधित बोर्ड भी लगाए जाएंगे। गोताखोरों के मुताबिक नदियों में इन दिनों जगह-जगह खतरनाक गड्ढे हैं। पानी के अंदर यह मौत के गड््ढे दिखाई नहीं देते। इस लिए स्नान के वक्त बेहत सतर्क रहने की जरूरत है।


जानिए कहां करें स्नान व सुरक्षा के उपाय
दोस्त हों या परिवार संग गंगा और यमुना में स्नान का प्लान बना रहे हैं
तो आप के लिए यह जानना है जरूरी है कि किस घाट पर स्नान करें। स्नान के लिए जल पुलिस के द्वारा करीब दस घाट निर्धारित किए गए हैं।
इनमें संगम घाट, दशाश्वमेध घाट, रामघाट, अरैल घाट, अरैल सेल्फी प्वाइंट घाट, बलुआघाट, गऊघाट, रसूलाबाद, फाफामऊ घाट,
सरस्वती घाट पुल के नीचे ही स्नान करें। इन घाटों के अतिरिक्त किसी और जगह स्नान के लिए जाने का मतलब जिंदगी को खतरे में डालना है।
जल पुलिस के जवानों कहते हैं नदी में ऐसे घाट या जगह पर स्नान कतई नहीं करें, जिस स्थान पर घाट है ही नहीं।
ध्यान दें कि जहां पर लोग स्नान न करते हैं और सुरक्षा में नाविक या जल पुलिस और गोताखोर की तैनाती नहीं हो,
उस जगह स्नान के लिए जाने से बचें। घाट पर स्नान करते वक्त ज्यादा गहरे पानी में जाने से बचें।
पानी में मौज मस्ती करते-करते यह नहीं भूले कि आम को अपने हद व दायरे में रहना है।
घाट पर तैनात गोतोखोर या जल पुलिस अथवा मौजूद आम नाविकों के द्वारा कही जाने वाली बातों पर गाइड लाइन व सुरक्षा के लिहाज से गौर करते हुए पालन जरूर करें।


संभलकर लगाएं डुबकी

पानी के ऊपर से नदियों के अंदर की सतह का हालात देखकर पता नहीं चल सका। जल पुलिस व गोताखोरों की मानें तो नदियों में इस समय पानी काफी कम हो गया है। ऐसी स्थिति में जगह-जगह पानी के अंदर टॉपी जैसी स्थिति बन गई है। जब तक आप का पैर टॉप पर होता है ठीक है। मगर पानी में इस टॉपू से एक कदम बढ़ाते ही हाथी जितना डुबाव होता है। यह बात पानी के अंदर पता कर पाना आम आदमी के लिए संभव नहीं होता। बगैर सोचे समझे पांव बढ़ाते ही आदमी इस पानी के नीचे टॉपी की दीवार से सेटे हुए गहराई में चला जाता है। चूंकि इस जगह अंदर पानी चक्र की तरह नाचलता रहता है इस लिए डूबने वाले शख्स को संभलने का मौका नहीं मिल पाता। ऐसी स्थिति में चिन्हित घाटों पर स्नान करते समय पहले अपने एक पांव को हल्के से आगे की तरफ बढ़ाएं। यदि जमीन मिल जाती है तो आहिस्ते से पांव को पानी में जमीन पर रखें। जब तक पूरी तरह अस्वस्त नहीं हो जाएं पीछे का कदम आगे की तरफ नहीं बढ़ाएं। ध्यान रहे कि स्नान घाटों पर की गई बैरिकेटिंग के आगे बिल्कुल नहीं जाएं।

गंगा और यमुना नदी में स्नान के लिए करीब दस घाटों को चिन्हित किया गया है। इसके अलावा लोग किसी भी जगह स्नान करने से बचें। क्योंकि इन घाटों पर सुरक्षा के लिहाज से गोताखोर और पुलिस के जवानों की ड्यूटी लगाई गई है। इन जवानों व गोताखोरों और मौजूद नाविकों की बातों का पालन करें। कोशिश की जा रही है, जल्द ही घाट पर सुरक्षा से सम्बंधित निर्देशों के बोर्ड लगाए जाएंगे।
जनार्दन प्रसाद साहनी, प्रभारी जल पुलिस