प्रयागराज (ब्‍यूरो)। इस दौरान मोहल्ला छावनी में तब्दील रहा। मृतकों के गमजदा परिवार को सांत्वना देने पहुंचे राजनीतिज्ञ और परिवार बॉडी न उठने देने की जिद पर अड़ा रहा। कुछ लोकल लोगों को मोटिवेट कर करीब तीन बजे बॉडी उठाने में कामयाब हुई। बॉडी वहां से उठाकर फाफामऊ घाट भेजने के बाद पुलिस राहत की सांस ली। घाट पर पहुंचे मृतक के बड़े भाई दीपचंद्र ने चारों की चिता को मुखाग्नि दी। एक साथ पूरे परिवार की चिता जलते देख सभी की आंखें नम हो गईं।

अपनी मांगों की जिद पर अड़े रहे
गोहरी मोहनगंज फुलवरिया गांव निवासी फूलचंद्र उसकी पत्नी मीनू और बेटी सपना व बेटे शिव की हत्या कर दी गई थी। गुरुवार को ही देर रात सभी की बॉडी का पोस्टमार्टम हुआ। सुबह बॉडी घर पहुंची तो परिवार व रिश्तेदारों चीख पड़े। परिजन आरोपितों को फांसी देने व परिवार को एक नौकरी और असलहा दिए जाने की मांग को लेकर अड़ गए। पीडि़त परिवार को सांत्वना देने पहुंचे नेता भी उन्हीं की उनकी तरफ खड़े हो गए। कहना था कि जब तक डिमांड पूरी नहीं होती वह बॉडी नहीं उठने देंगे। जबकि पुलिस चारों का जल्दी अंतिम संस्कार कराने की कोशिश करती रही। पुलिस द्वारा मोटिवेट किए गए कुछ लोकल लोग पुलिस के साथ खड़े हो गए। ऐसे में विरोध कर रहे नेताओं से हाथा-पाई और धक्कामुक्की शुरू के बीच पुलिस दरवाजे से बॉडी उठाने में कामयाब हो गई। बॉडी एम्बुलेंस में पहुंचते ही चालक बगैर देर किए वहां से हटते रहे। इस तरह गम और गुस्से के बीच चारों की बॉडी दरवाजे से फाफामऊ घाट पहुंचाई गई। गांव से लेकर घाट तक पहुंचे परिजनों की आंखों से आंसू टपकते रहे। चारों की चिता को मुखाग्नि देते समय दीपचंद्र और साथ चारों भाइयों चीख पड़े। एक साथ मां बाप और बच्चों की चिता जलते देख मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं।

चार भाई पेंटर और एक है फौजी
फूलचंद पांच भाई दीपचंद, लालचंद, भारत लाल और कृष्णचंद में चौथे नंबर पर था। कृष्णचंद्र फौज में नौकरी करता है। शेष सभी चारों भाई पेंटर का काम करते हैं। फौजी कृष्णचंद्र की पत्नी पूजा उर्फ राधा देवी जेठ व उसके पूरे परिवार की हत्या पर आगबबूला थी। उसके मुताबिक चारों भाई अलग-अलग जरूर थे पर पति कृष्णचंद वक्त बेवक्त मदद किया करता था। कृष्णचंद इन दिनों छुट्टी पर घर आया था।

बेटी की पढ़ाई में फौजी करता था हेल्प
फूलचंद व उसके परिवार की जिस कमरे में हत्या हुई वह कच्चा और खपड़ैल है। मीनू की देवरानी पूजा का कहना था कि प्रधान सब को कॉलोनी बांट रहा है। मगर, उसके जेठ को कॉलोनी देना मुनासिब नहीं समझा। यदि कॉलोनी मिल गई होती तो आज उनका परिवार जिंदा होता। दिव्यांग बच्चे के इलाज में भी उसे आज तक कोई मदद नहीं मिली। बेटी और बेटे व पत्नी को फूलचंद्र पेंटर के काम से ही पाल रहा था। पूजा की मानें तो मारी गई सपना लॉकडाउन के पहले कक्षा नौ में थी। लॉकडाउन से उसकी पढ़ाई पूरी तरह बंद थी। उसकी पढ़ाई में पति फौजी कृष्णचंद भी मदद किया करते थे। दिव्यांग शिव पढ़ाई नहीं करता था। उसकी मानसिक दशा भी ठीक नहीं थी।