प्रयागराज (विनय सिंह रघुवंशी)। कोरोना का पहला चरण 2020 के मार्च महीने से शुरू हुआ था। इसी महीने में पहली बार लॉक डाउन का ऐलान किया गया था। मई और जून आते आते ट्रेनों का संचालन भी प्रभावित हो गया। रेलवे को इसका संचालन रोकना पड़ गया। जुलाई अगस्त में स्थिति में सुधार हुआ तो ट्रेनो का संचालन फिर से शुरू हो गया। यह अपनी पुरानी स्पीड को पकड़ पाता इसके पहले ही कोरोना के दूसरी लहर की चर्चा शुरू हो गयी। 2021 में फिर से लाकडाउन का सहारा लेना पड़ गया। इससे रेलवे को भारी नुकसान हुआ। स्थितियां सामान्य हुईं तो रेलवे ने ट्रेनो का संचालन शुरू कर दिया। 2022 में ऐसा कोई खतरा सामने नहीं आया तो लगभग सभी ट्रेनें ट्रैक पर आ गयीं। रेलवे ने इस दौर में पैसेंजर ट्रेनों का संचालन शुरू किया तो उसे स्पेशल ट्रेन का नाम दे दिया। इसके नाम पर किराया करीब-करीब दो गुना कर दिया गया। तब से आज तक यही चल रहा है। पैसेंजर्स की तरफ से प्रेशर बना को रेलवे ने प्लेटफॉर्म टिकट का रेट कम कर दिया लेकिन टिकट का किराया कम करने पर कोई फैसला नहीं लिया।

सुविधा में तो कोई बदलाव नहीं हुआ
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से बातचीत में पैसेंजर्स ने कहा कि पैंसेंजर के स्थान पर स्पेशल की गयी ट्रेनों में सुविधाएं अब भी वही मिल रही हैं जितनी कोरोना काल के पहले मिला करती थीं। ऐसा नहीं हुआ कि उनका ठहराव कम कर दिया गया। ऐसा भी नहीं हुआ कि ट्रेनों की स्पीड ही बढ़ा दी गयी हो जिससे उनका अपने डेस्टिनेशन तक पहुंचना जल्दी हो जाए। इसके बाद भी किराया बढ़ाकर रखने पर पैसेंजर्स ने सीधा सवाल खड़ा किया। उनका कहना था कि रेलवे की मंशा ही नहीं है कि वह बढ़ा हुआ किराया वापस ले। शायद इसी के जरिए वह कोरोना काल में हुए नुकसान की भरपाई करना चाहता है। रिपोर्टर से बातचीत में प्रयागराज संगम स्टेशन पर प्रतापगढ़ जाने वाले यात्रियों ने बताया कि पहले वह 450 रुपये में एक महीने का सफर तय कर लेते थे। अब 1050 रुपये चुकाना पड़ रहा है। सुल्तानपुर के दैनिक यात्रियों को एक महीने का 1500 रुपये चुकाना पड़ रहा है। जबकि इससे पहले नौ सौ रुपये में ही काम हो जाता था।

मजबूरी है आखिर करें तो क्या करें
दैनिक यात्रियों का कहना था कि उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म का भी सहारा लिया। ट्विटर से लेकर रेलवे के मेल आईडी पर किराये को लेकर शिकायत की। लेकिन, कोई संतोषजनक जवाब नहीं आया। यह ही कारण है कि जनरल कोच का किराया बराबर होने की वजह से पैसेंजर ट्रेनों में यात्रियों की संख्या कम होती जा रही है। यात्री इसी तरह से घटते चले गए तो इक्का-दुक्का ही पैसेंजर ट्रेनों का संचालन होगा।

किराये का फर्क इस तरह समझें
स्थान पहले अब
प्रतापगढ़ 15 35
सुल्तानपुर 30 50
आयोध्या 35 70
जौनपुर 30 55
वाराणसी 35 60
लखनऊ 40 80
कानपुर 45 85
मुरादाबाद 90 175

कोरोना से पहले आयोध्या तक की यात्रा 35 रुपये में पूरी हो जाया करती थी। स्पेशल ट्रेन के नाम पर किराया बढ़ाकर 70 रुपये कर दिया गया। स्थितियां नार्मल होने के बाद सोशल मीडिया पर शिकायत करके किराया घटाने की मांग की गई। लेकिन, कोई फायदा नहीं हुआ।
सौरभ पांडेय, यात्री

प्रयागराज से प्रतापगढ़ का किराया पहले 15 रुपये था। अब 35 रुपये किराया देना पड़ रहा है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि दैनिक यात्रियों पर कितना बोझ बढ़ा है। रेलवे प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
प्रियांशु शुक्ला, यात्री

रोजाना ज्यादा पैसा चुकाने से रेलवे यात्रियों की जेब पर बोझ बढ़ रहा है। सैलरी नहीं बढ़ रही है, ऐसे में बजट बिगड़ रहा है। अक्सर लखनऊ से अप एंड डाउन करना पड़ता है।
प्रिंसी कुमारी, यात्री

प्लेटफार्म टिकट का किराया कम हुआ है। मगर पैसेंजर ट्रेनों का किराया जो बढ़ा था वह ही अब भी है। यहां से तीन पैसेंजर ट्रेनों का संचालन होता है। किराये के बारे में हम कुछ कह नहीं सकते क्योंकि यह फैसला अथॉरिटीज को लेना है।
विनोद यादव प्रयागराज संगम स्टेशन अधीक्षक