प्रयागराज (ब्‍यूरो)। नामजद लोगों पर कत्ल का आरोप पुरानी रंजिश को लेकर मढ़ा गया है। अगर वाकई आरोपितों ने घटना को अंजाम दिया तो वह हत्या के बाद सीधे घर से निकल गए होते। उनका मोटिव ही रंजिश में हत्या करने का होता न कि संदूक का ताला तोडऩे और सामान बिखेरने का। हो यह भी सकता है कि वे वारदात को डायर्ट करने के लिए संदूक का लॉक तोड़कर सामान बिखेर दिए हों। मगर ऐसा करने या न करने से उन पर कोई फर्क पडऩे वाला नहीं था। क्योंकि, तख्त के नीचे छिपी अंशिका पर उनकी नजर पड़ी नहीं थी। उन्हें यह मालूम रहा होता कि वारदात का कोई चश्मदीद नहीं है जो मामले में फंसा सके। ऐसे में वह संदूक तोडऩे में वारदात के बाद मौके पर अपना वक्त जाया क्यों करते।

कहीं बहू तो नहीं है मास्टर माइंड

फिलहाल पुलिस कई एंगल से कातिलों तक जाने की फिराक में हैं। डिपार्टमेंटल सूत्र कहते हैं कि जांच की एक दिशा बजरंग बहादुर की बहू की तरफ भी है। ऐसा इसलिए क्योंकि पति की मौत के बाद बेटी अंशिका को छोड़कर वह सबसे नाता तोड़ ली थी। जाने के बाद आज तक लौटकर वह नहीं आई। ऐसे में हो यह भी सकता है कि बहू के दिमाग में आया हो कि यदि सास व ससुर और ननद रास्ते से हट जाएंगे तो वह बेटी के साथ घर पर मुताबिक रह सकती है। इस पूरे केस में एक वही ऐसी है जिसे दोहरा लाभ मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। एक तो उसे बहू होने के नाते वह पूरी प्रॉपर्टी की हकदार होती और दूसरा उसे बेटी अंशिका संग रहने का मौका मिल जाता। लोग बाग कह यह भी रहे हैं कि यदि किसी को रंजिश में ही कत्ल करना होता तो वह इसके पहले भी घटना को अंजाम दे चुका होता। इतने लंबे समय का इंतजार वह नहीं किया होता। खैर इतने बड़े केस में सिर्फ सूत्रों और लोगों की बातों पर बहुत ऐतबार नहीं किया जा सकता। कत्ल की असल सच्चाई पुलिस की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही मालूम चल सकेगी।