हिन्दुस्तानी एकेडेमी में भोजपुरी, अवधी, बुंदेली व बृज जैसी क्षेत्रीय भाषाओं में पुरस्कार देने की बनाई गई थी योजना

ALLAHABAD: उत्तर प्रदेश की चार प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं भोजपुरी, अवधी, बृज और बुंदेली में पुरस्कार और उनके प्रचार-प्रसार को जन-जन तक पहुंचाने की योजना अधर में लटकती दिखाई दे रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा इलाहाबाद में साहित्य की सबसे बड़ी बगिया हिन्दुस्तानी एकेडेमी के जरिए इन भाषाओं को आगे बढ़ाने का वादा अधूरा ही रह गया है। इसकी बड़ी वजह यही है कि पांच महीने पहले एकेडेमी प्रशासन ने इन भाषाओं को विकसित करने के लिए पुरस्कार व उससे संबंधित अन्य योजनाओं का प्रस्ताव बजट सहित बनाकर भाषा विभाग को भेजा गया था। लेकिन उस प्रस्ताव को शासन स्तर से अभी तक मंजूरी नहीं मिल पाई है।

आश्वासन पर विभाग हुआ था सक्रिय

मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ दो दिन के दौरे पर 25 मार्च को गोरखपुर गए थे। उस समय उन्होंने क्षेत्रीय भाषाओं के विकास के लिए हिन्दुस्तानी एकेडेमी को और अधिक समृद्ध करने की बात कही थी। उसके बाद ही भाषा विभाग सक्रिय हुआ। विभाग की ओर से दो अप्रैल को पत्र भेजकर एकेडेमी से क्षेत्रीय भाषाओं के विकास के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजने को कहा था। इस पर एकेडेमी प्रशासन ने अप्रैल के तीसरे सप्ताह में विभाग को चारों भाषाओं में पुरस्कार व साल भर भोजपुरी, अवधी, बुंदेली व बृज भाषाओं से संबंधित सेमिनार आदि आयोजनों के लिए कुल 50 लाख रुपए का बजट बनाकर भेजा था।

साहित्यकारों को करना था सम्मानित

एकेडेमी की ओर से जो प्रस्ताव भाषा विभाग को भेजा गया था उसके मुताबिक चारों भाषाओं में से एक-एक बड़े साहित्यकारों को उनकी रचना धर्मिता के लिए क्रमश: एक-एक लाख रुपए का पुरस्कार दिया जाना था।

सरकार को ऐसे संजीदा विषयों पर घोषणा करनी ही थी तो उसका जल्द से जल्द पालन भी करना चाहिए था। ताकि क्षेत्रीय भाषाओं की उन्नति का द्वार खुल सके।

असरार गांधी, उर्दू साहित्यकार

एकेडेमी प्रशासन का प्रस्ताव बहुत ही अच्छा है। एकेडेमी के अतीत से देश के बड़े-बड़े साहित्यकारों का नाम जुड़ा हुआ है। सरकार को बिना देरी किए हुए इस पर निर्णय ले लेना चाहिए।

नंदल हितैषी, साहित्यकार

एकेडेमी में सबसे पहले तो एक अध्यक्ष की नियुक्ति की जानी चाहिए। अध्यक्ष की मौजूदगी में बहुत सी योजनाओं का क्रियान्वयन जल्दी हो सकता है।

अजामिल जी, वरिष्ठ साहित्यकार

सरकार द्वारा हिन्दी व भाषा संस्थान में नए अध्यक्ष की नियुक्ति हो चुकी है। अब जल्द ही एकेडेमी में भी अध्यक्ष की नियुक्ति की उम्मीद है। इससे बहुत सारे काम की राह आसान हो सकेगी।

शैलेन्द्र मैधुर, वरिष्ठ कवि

भाषा विभाग ने चारों भाषाओं के विकास के लिए प्रस्ताव मांगा था। इसे बिना देरी किए बनाया गया। शासन से स्वीकृति मिले तो आगे की योजना बनाई जाए।

रविनंदन सिंह, कोषाध्यक्ष हिन्दुस्तानी एकेडेमी