प्रयागराज ब्यूरो ।कहने को साधारण सा मामला है, लेकिन इस घटना ने अपने पीछे कई सवाल छोड़ दिए। मामला सीमाचंल एक्सप्रेस से 93 बच्चों की बरामदगी का है। रेलवे पुलिस बल मामले की छानबीन कर रही है। चिल्ड्रेन वेलफेयर कमेटी बच्चों को उनके परिजनों को सौंपने में लगी है। सवाल यह उठता है कि आखिर कम उम्र के बच्चों को किसी वजह से उनके माता पिता बिहार से सैकड़ों किमी दूर दिल्ली और राजस्थान भेज रहे थे। आखिर ऐसी कौन सी शिक्षा है जो बिहार के मदरसों में नही मिलती, उसके लिए मासूमों को इतनी दूर अजनबियों के साथ भेजना पड़ता है।

शिक्षा ग्रहण करने जा रहे थे राजस्थान

सीमांचल एक्सप्रेस में पकड़े गए 93 बच्चों में से 1्र0 साल से अधिक उम्र के 60 बच्चों को वाराणसी राजकीय बालगृह में भेज दिया गया है। 33 बच्चों को खुल्दाबाद स्थित बाल सुधार गृह में रखा गया है। इन बच्चों को घर ले जाने के लिए शुक्रवार को उनके परिजन शेल्टर पहुंचे थे। इनमें से बिहार के अररिया जिले के बसगरा गांव के रईस भी शामिल थे। वह अपने साले अबूजर के साथ प्रयागराज आए थे। उन्होंने बताया कि उनके दो बच्चे 14 साल का शहजाद और 6 साल का साहिल भी इस ग्रुप में शामिल थे। इन दोनों को राजस्थान के एक मदरसे में पढऩे के लिए भेजा गया था। इनको अकबर और मुजफ्फर नाम के दो शख्स अपने साथ ले जा रहे थे। हालांकि रईस और उसका साला दोनों कानपुर में लेबरगिरी का काम करते हैं। परिवार बिहार में रहता है। दोनों बच्चों को मदरसे में बेहतर तालीम मिले इसके लिए राजस्थान भेजा जा रहा था।


गांव के मदरसे पर नही भरोसा
रईस से पूछा गया कि यहां क्यों आए हो्? इस सवाल के जवाब में उसने बताया कि उसके पास फोन आया था कि उसके दोनों बच्चे सीमांचल एक्सप्रेस से आरपीएफ ने पकड़े हैं और उनको बाल सुधार गृह से आकर ले जाओ। रईस ने बताया कि गांव बसगरा में भी मदरसा है लेकिन वहां पर बच्चे पढऩा नही चाहते। वहां से घर भाग आते हैं। इसलिए गांव के लोग हर साल अपने बच्चों को राजस्थान और दिल्ली के मदरसों में पढऩे के लिए भेजते हैं। खुद अकबर और मुजफ्फर हर साल रमजान में आकर बच्चों को गांव से ले जाते हैं। इस बार भी गांव के 22 बच्चों को लेकर जा रहे थे। जिनको आरपीएफ ने प्रयागराज जंक्शन में पकड़ लिया। राजस्थान के मदरसे में पढ़ाने में विशेष क्या है, इस सवाल के जवाब में परिजन कुछ नही बोल पाए। परिजन इस कदर इन मदरसों के दीवाने हैं कि मासूम बच्चों को मदरसे भेजने के लिए अपनी जेब से किराए का पैसा दिए जाने की बात भी कुबूल कर रहे हैं। इतना ही नही, रईस के भाई जमाल और मंसूर के बच्चे समीर और मुंतशिर भी इन बच्चों में शामिल हैँ। वह भी राजस्थान मदरसे में पढऩे जा रहे थे।


भतीजे की भूमिका भी संदिग्ध
शुक्रवार को खुल्दाबाद स्थित बाल सुधार गृह में बिहार के पुरनिया जिले के चकवां गांव के मो। रब्बान भी पहुचे थे। वह अपने 17 साल के भतीजे सलमान को साथ ले जाने आए थे। उनका कहना था कि वह दिल्ली के सीलमपुर गांधीनगर में सिलाई का काम करते हैं। उनका भतीजा एक साल से दिल्ली के जाफराबाद स्थित मदरसे में तालीम ग्रहण कर रहा है। वह रमजान में गांव गया था और वहां से 13 साल के अनबरा और 9 साल के सोहेब को लेकर इसी मदरसे में जा रहा था, तभी आरपीएफ के हत्थे चढ़ गया। हालांकि इस पूरे मामले में सलमान की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है। रब्बान यह भी कहते हैं कि सलमान बच्चों को ट्रेन में चढ़ा रहा था तभी आरपीएफ ने उसे दबोच लिया।


रेकी कर पकड़े गए बच्चे
हालांकि यह मामला जितना सीधा दिख रहा है उतना है नही। रेलवे सुरक्षा बल ने इन बच्चों को आपरेशन आहट के तहत पकड़ा है। इन बच्चों को ले जा रहे 9 लोगों का चालान भी कर दिया गया है। मामले की सूचना मुखबिर के जरिए आरपीएफ को दे दी गई थी। इसके चलते मुगलसराय स्टेशन पर एसआई नितिन कुमार को रेकी के लिए भेजा था। उन्होंने प्रयागराज जंक्शन तक सफर करके पूरी सूचना आरपीएफ के अधिकारियों को दी और इसके बाद सभी बच्चों को ट्रेन से उतार लिया गया। पोस्ट कमांडर शिव कुमार सिंह द्वारा अपने स्टाफ बच्चों का रेस्क्यू किया गया। बताया गया
कि इन बच्चों को ट्रेन के डिब्बे में भूसे की तरह भरा गया था। प्रथम दृष्टया यह मामला बच्चों की तस्करी का लग रहा था।


कौन देगा इन सवालों का जवाब
- कैसे इन बच्चों को बिना माता पिता के लिखित सहमति के ले जाया जा रहा था?
- दिल्ली और राजस्थान के मदरसे में ऐसी कौन सी तालीम दी जाती है जो बिहार के अररिया और पूरनिया जिले के मदरसे में
नहीं मिलती है?
- यह बच्चे कहीं तस्करी या बाल श्रम के शिकार तो नहीं हो रहे हैं?
- मदरसों की आड़ में कहीं ऐसी कोई शिक्षा तो नहीं परोसी जा रही है जो आगे चलकर इन बच्चों का भविष्य खराब कर दे?
- हर साल रमजान में आकर सलमान और मुजफ्ॅफर जैसे लोग बच्चों को ले जाते हैं, इसको लेकर बिहार की पुलिस क्या कर रही है?
- यह कौन गारंटी देगा कि यह बच्चे छोड़े जाने के बाद फिर से ऐसी घटना का शिकार नहीं होंगे होंगे?