प्रयागराज ब्यूरो । नैनी एरिया के बसवार प्लांट में 22 लाख टन अधिक शहर का कूड़ा डंप हो गया है। इस कचरे को निस्तारित कराने में कंपनी व नगर निगम दोनों का ही दम फूल रहा है। डंप कूड़ा निस्तारित कराने के लिए कंपनी पर नगर निगम द्वारा बनाया जा रहा दबाव बेदम है। शहर में कूड़ा हर रोज निकल रहा है। एक डम्प कूड़ा का ट्रीटमेंट हो नहीं पा रहा, ऊपर से हर रोज निकलने वाला कूड़ा भी वहां इकट्ठा होता जा रहा। इस स्थिति से निपट पाना अब नगर निगम के सामने किसी चुनौती से कम नहीं है।

निस्तारण कराने में फूल रहा है दम
विभाग से जुड़े जानकारों की मानें तो करीब 14 वर्षों से बसवार में ट्रीटमेंट के लिए कूड़ा एकत्र करने का काम चल रहा है। वर्ष 2021 से यहां पर कूड़ा ट्रीटमेंट यानी निस्तारण की प्रक्रिया शुरू हुई। ट्रीटमेंट का काम लेने वाली कंपनी यहां पर मशीन आदि लगा लीं। मगर, हालात यह बताए जा रहे कि मौजूदा समय में यहां पर करीब 22 लाख टन से से भी ज्यादा कूड़ा डंप है। यदि अब तक करीब करीब 14 लाख टन कूड़ा निस्तारित करने का विभागीय दावा है। प्रति दिन 3200 से 3500 एमटी यानी मीट्रिक टन कूड़ा निस्तारित करने की बात कही जा रही जा रही है। प्लांट पर डंप कूड़े को निस्तारित करने के लिए नगर निगम के द्वारा नाना प्रकार के जतन किए जा रहे हैं। हालांकि अब तक किया गया एक भी जतन बहुत कारगर नहीं दिखाई दे रहा। डम्प हुए कूड़े के पहाड़ को देखकर नगर निगम ही नहीं कंपनी का भी दम फूलने लगा है। हालात पर गौर किया जाय तो यह डम्प कूड़ा व निस्तारण की स्थिति नगर निगम के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। दबी जुबान एक्सपर्ट बताते हैं कि बारिश के दिनों में कूड़ा निस्तारण की स्थिति और ढल हो जाती है। क्योंकि ज्यादातर कूड़ा गीला होता है। कुछ कूड़ा ऐसे होता है जिसका ट्रीटमेंट सूखने पर ही संभव हो पाता है।

तीन दर्जन गांवों में फैल रही दुर्गंध
प्लांट पर लगे कूड़े के पहाड़ अब आसपास स्थित गांव में रहने वाले लोगों के लिए भी मुसीबत बनता जा रहा।
जैसा कि जानकार बताते हैं वर्ष 2010 से बसवार में कूड़ा डम्प करने की प्रकिया विभाग के द्वारा शुरू कराई गई।
इस कूड़े के पहाड़ से उठ रही नाम में दम करने वाली दुर्गंध करीब तीन से चार किलोमीटर पर वायु को प्रदूषित करने का काम कर रही है।
चारों तरफ फैल रही इस दुर्गंध से बसवार, मड़उका, मोहब्बतगंज, अमिलिया, बकसी, करहंदा, मोहद्दीनपुर, मुरलीपुर, बंधवा, सेमरा सहित करीब तीन दर्जन गांव के लोग परेशान हैं।
माना जा रहा कि यदि स्थिति यही रही और कूड़े का निस्तारण नहीं हुआ तो उक्त गांवों इस दुर्गंध से आने वाले दिनों में किसी बड़ी बीमारी की जद में होंगे।

बसवार कूड़ा प्लांट में पिछले तीन वर्ष से कूड़ों का निस्तारण किया जा रहा है। एक्चुअल में कितना कूड़ा बचा है यह जानने के लिए एमएनएनआईटी के विज्ञानियों की मदद ली जाएगी। जल्द ही आईजीआरएस सर्वे की रिपोर्ट मिल जाएगी। इसके बाद अगला प्रभावी कदम उठाया जाएगा।
उत्तम वर्मा
पर्यावरण अभियंता, नगर निगम