प्रयागराज ब्यूरो । प्रयागराज- बारिश और बाढ़ के सीजन में एक अननोन बैक्टीरिया आपके जीवन में दस्तक दे सकता है। समय पर इलाज नहीं
होने पर यह जानलेवा भी होता है। इसलिए अभी से होशियार रहने की जरूरत है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि केंद्र सरकार ने इस जीवाणु को लेकर देश के 11 राज्यों को एलर्ट किया, जिसमें यूपी भी शामिल है। डॉक्टर्स का कहना है कि आम जनता के लिए यह अननोन बैक्टीरिया है। क्योंकि यह बारिश और बाढ़ के सीजन में फैलता है और लोगों को इसके बारे में अधिक जानकारी नही है। जबकि हर साल लेप्टोस्पाइरा नामक इस जीवाणु के मरीज अस्पतालों में बड़ी संख्या में आते हैं।
किडनी और लीवर पर अटैक
केंद्र सरकार के स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ। अतुल गर्ग ने एलर्ट जारी करते हुए चिंता जताई है। डॉक्टर्स का कहना है कि इस जीवाणु की वजह से बाडी में लीवर और किडनी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। जिससे मृत्युदर का जोखिम भी कई गुना बढ़ जाता है। इसके अलावा तेज बुखार के साथ सिरदर्द, ब्लीडिंग, मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना, लाल आंखें और उल्टी आदि के लक्षण भी लेप्टोस्पाइरा नामक जीवाणु की वजह से हो सकते हैं। गर्मी और बारिश के सीजन में गंदे या दूषित पानी की वजह से यह यह जीवाणु शरीर में प्रवेश कर सकता है।
जानवरों से इंसानों में आना आसान
डॉक्टर्स का यह भी कहना है कि यह जीवाणु सबसे पहले जानवरों पर अटैक करता है। फिर उनके संपर्क में आने वाले इंसानों पर भी इसका असर दिखने लगता है। क्योंकि इस बार गर्मी अधिक पड़ रही है और पानी की साफ सफाई को लेकर अधिक ध्यान नही दे रहे हैं। इसलिए इसकी चपेट में आना आसान है। कई बार सक्रमित जानवरों के मल मूत्र या भोजन के संपर्क में आने से भी जीवाणु बॉडी में पहुंच जाता है।
यहां पर मिलते हैं अधिक मरीज
डॉक्टर्स का कहना है कि इस जीवाणु का अधिक प्रकोप शहर के निचले इलाकों में दिखता है। जहां पर बारिश का पानी या तो ठहर जाता है या बाढ़ की वजह से जन जीवन प्रभावित होता है। ऐसे में सलोरी, ओम गायत्री नगर, करेली, अल्लापुर, बघाड़ा, शिवकुटी आदि एरिया में लेप्टोस्पाइरा के मरीज अधिक मिलते हैं। शुरुआती लक्षणों में मरीजों को लक्षण के जरिए पहचान कर इलाज शुरू करा दिया जाता है।

जताई चिंता, बोले रणनीति बनाएं
केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए एलर्ट में बताया गया कि 11 राज्यों में पिछले 14 साल में लेप्टोस्पाइरा के संक्रमण में 30 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है इसलिए पानी से होने वाले इस संक्रमण को रोकने के लिए तमाम जिलों के नगर निगम कार्य योजना तैयार कर ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर बनाने का काम करे। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग जिला सर्विलांस यूनिटों को सतर्क कर अस्पतालों को सूचित करे और जांच किट और रीएजेंट्स की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए।


हर साल गर्मियों के अलावा खासकर बारिश में अधिक लोग इस बीमारी के चपेट में आते हैं। लक्षणों के आधार पर लोगों का इलाज किया जाता है। लोगों में जागरुकता की कमी है। खासकर इस सीजन में जानवरों के साथ दूषित जल से दूरी बनाना जरूरी है।
डॉ। सुजीत कुमार, फिजीशियन, एमएलएन