प्रयागराज (ब्यूरो)। 1- ममफोर्डगंज के रहने वाले विवेक प्रजापति गुरुवार को बेली अस्पताल में खुद को दिखाने आए थे। उन्होंने बताया कि पिछले एक सप्ताह से उन्हें तेज बुखार और बदन में दर्द की शिकायत थी। दवा खाने से हल्का आराम मिल रहा था। जांच कराया तो टाइफाइड निकला। डॉक्टर ने एक सप्ताह तक दवा खाकर आराम करने को कहा है।
2- सिविल लाइंस निवासी राजेश निषाद बेली अस्पताल में अपनी जांच कराने आए थे। उनको तीन दिन से वायरल फीवर और कफ-कोल्ड ने पकड़ रखा है। डॉक्टर ने उन्हें पांच दिन तक दवाओं का कोर्स करने को कहा है। उन्हें सादा खाना खाने की हिदायत दी गइ है। उन्होंने डेंगू, मलेरिया आदि की जांच कराई लेकिन रिपोर्ट निगेटिव आई है।
3- तेलियरगंज निवासी सददाम हुसैन पिछले चार दिन से बुखार से पीडि़त हैं। दवाओं से बुखार उतर जाता है और फिर वापस चपेट में ले लेता है। जांच में प्लेट लेट काउंट कम आने पर डॉक्टर ने उन्हें डेंगू की एलाइजा जांच कराने को कहा है। 24 से 48 घंटे बाद रिपोर्ट आने के बाद उनका प्रॉपर इलाज शुरू हो सकेगा।
बना हुआ है बीमारियों का अनुकूल मौसम
एक्सपट्र्स का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से अचानक मौसम में बदलाव हुआ है। आसमान में घने बादल फिर तेज बारिश होना और इसके बाद नमी का बढ़ जाना। बीच-बीच में तेज धूप निकलने से तमाम वायरस और बैक्टीरिया प्रभावी होते जा रहे हैं। ऐसे में तमाम संक्रामक बीमारियों को बढ़ावा मिल रहा है। खासकर बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को यह बीमारियां आसानी से चपेट में ले ले रही हैं।
इन लक्षणों से रहिए होशियार
डेंगू
- तेज बुखार, बदन दर्द, प्लेटलेट कम होना, बॉडी में रैशेज और ब्लीडिंग।
टाइफाइड
- रह रहकर बुखार आना, शरीर में दर्द, उल्टी और कमजोरी।
कफ एंड कोल्ड
- गले में कफ, खांसी, जुकाम, छीक, बदन दर्द और कमजोरी।
पीलिया
- शरीर का पीला पडऩा, लगातार बुखार बना रहना, कमजोरी और अपच।
वायरल फीवर
- लगातार बुखार बने रहना, सीने में जकडऩ, चक्कर और बेहोशी आना।
वायरल निमोनिया
- बच्चों का सीना जकड़ जाना, कफ आना, सांस तेज चलना, पसली में दर्द और फीवर।
किस बीमारी के कितने मरीज
डेंगू के लक्षण- 25 फीसदी
टाइफाइड- 15 फीसदी
फीवर- 35 फीसदी
वायरल निमोनिया- 20 फीसदी
कफ एंड कोल्ड- 10 फीसदी
पीलिया- 5 फीसदी
इस सीजन में फुल हो गई है ओपीडी
तमाम अस्पतालों में संक्रामक बीमारियों के मरीजों की संख्या बहुत अधिक है। बेली, काल्विन और एसआरएन अस्पताल में रोजाना 40 फीसदी मरीज इन्ही बीमारियों के हैं। इन अस्पतालों में इस समय रोजाना 2500 से 3500 के बीच ओपीडी हो रही है। इसकी वजह से एक डॉक्टर को दो से ढाई सौ मरीज रोजाना देखना पड़ रहा है। डॉक्टर्स का कहना है कि जब तक मौसम स्थिर नहीं होगा, संक्रामक बीमारियों का बढऩा जारी रहेगा।

बचाव के तरीके
बाजार की तली भुनी और मसालेदार चीजें न खाएं।
घर के भीतर या आसपास पानी न एकत्र होने दें जिससे मच्छरों का लार्वा न पनपे।
संकमित व्यक्ति से निश्चित दूरी बनाकर रखें।
शुरुआती लक्षणों के आने पर सबसे पहले अपनी जांच कराएं।
फीवर को हल्के में मत लें। डॉक्टर से तत्काल संपर्क करें।
घर में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।

मौसम में जिस तेजी से बदलाव चल रहा है, उससे ंसक्रामक बीमारियों का ग्राफ बढ़ रहा है। ठंडा-गर्म और नमी की वजह से वायरस और बैक्टीरिया प्रभावी हैं। ऐसे में लोगों को सतर्क रहना होगा। बाजार की चीजें खाने से परहेज करना इस समय बहुत जरूरी है।
डॉ। डीके मिश्रा
फिजीशियन

हॉस्पिटल की ओपीडी में मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। सभी ंसक्रामक बीमारियों से ग्रसित हैं और जांच में इस बात की पुष्टि हो रही है। लोगों को मौसमी बीमारियों से बचना है तो खुद को बचाना होगा और हेल्दी लाइफ स्टाइल का पालन करना होगा।
डॉ। एमके अखौरी
अधीक्षक, बेली अस्प्ताल