प्रयागराज ब्यूरो ।प्रयागराज। मुख्तार अंसारी नहीं रहा, मगर उसके नाम की दहशत के किस्से न जाने कब तक चर्चा में रहेंगे। मुख्तार की दहशत का आलम ये था कि गाजीपुर में पोस्टिंग के दौरान एक सीओ की उंगली मुख्तार के गुर्गे ने चाकू से काट ली थी। मामले में केस भी दर्ज हुआ, मगर गवाही में केस टिक नहीं सका। जिसका नतीजा रहा कि आरोपित छूट गए। इस बात को लेकर तात्कालीन सीओ में बहुत मलाल रहा। मगर सिस्टम में मुख्तार की पकड़ का नतीजा रहा कि खुद केस दर्ज कराने वाले सीओ अपने मामले में गवाही नहीं करा पाए।
बीस वर्ष पुराना है मामला
करीब बीस वर्ष पूर्व एक सीओ गाजीपुर में पोस्ट थे। रात में चेकिंग के दौरान गाड़ी से कुछ लोग निकले। सीओ ने गाड़ी रुकवा ली। इस बात को लेकर गाड़ी सवार लोगों और सीओ में बहस हो गई। सीओ को अंदाजा नहीं था कि बहस कर रहे लोग कुछ भी कर गुजरेंगे। बात ही बात में गाड़ी सवार लोगों ने मुख्तार अंसारी का नाम लिया। इसके बाद एक गुर्गे ने सीओ पर हमला कर दिया। सीओ संभल पाते इसके पहले गुर्गे ने चाकू से सीओ के बाएं हाथ की एक उंगली उड़ा दी। सीओ पर हमले से साथ रहे पुलिस वालों में अफरातफरी मच गई, मगर पुलिस ने उस वक्त सभी गुर्गों को जाने दिया। बाद में सीओ की तहरीर पर केस दर्ज किया गया।

एसपी ट्रैफिक तैनात रहे सीओ
तात्कालीन सीओ प्रमोट होने के बाद एसपी ट्रैफिक बने। बतौर एसपी ट्रैफिक वह प्रयागराज में लंबे समय तक तैनात रहे। यहां पर तैनाती के दौरान ही मामले की सुनवाई खत्म हुई। कोर्ट ने गवाही नहीं हो पाने पर सभी आरोपितों को बरी कर दिया।

हमेशा लगाए रहते थे रुमाल
प्रयागराज में पोस्ट एसपी ट्रैफिक हमेशा बाएं हाथ की उंगलियों पर सफेद रुमाल लगाए रहते थे। उनकी यहां पर पोस्टिंग के दौरान सफेद रुमाल का राज तब खुला जब कोर्ट का फैसला आया। कोर्ट का ये फैसला बहुत चर्चा का विषय बना। एसपी ट्रैफिक को इस बात का मलाल रहा कि साथ में तमाम पुलिस वाले थे, मगर उनमें से किसी ने भी गुर्गों के पक्ष में गवाही नहीं दी।