प्रयागराज ब्यूरो । समय काफी कम है। नवंबर से पहले अलोपीबाग फ्लाई ओवर के समानांतर एक और फ्लाई ओवर का निर्माण होना है। इस निर्माण के बीच यहां से निकलने वाले यातायात को भी मैनेज करना है। ऐसे में अलोपीबाग फ्लाईओवर के निर्माण कार्य को गति प्रदान करने के लिए शुक्रवार से जीटी जवाहर चौराहे पर यातायात रोक दिया गया। जिसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर जीटी जवाहर चौराहे से पहले पांटून पुल के पास से परेड काली सड़क तक बनाइ गई, ढाई सौ मीटर की सर्विस लेन को यातायात के लिए खोल दिया गया है। ऐसे में अब झूंसी के यातायात को इसी सर्विस लेन पर डायवर्ट किया जा रहा है। जिससे जाम लगने की समस्या से बचाव किया जा सके।
महाकुंभ से पहले होना है निर्माण
सेतु निगम को महाकुंभ 2025 से पहले यानि नवंबर 2024 तक फ्लाईओवर का निर्माण कार्य पूरा करना है। जिसके चलते जीटी जवाहर चौराहे के मार्ग को नवंबर माह तक के लिए बंद कर दिया गया है। ऐसा करने के पीछे अधिकारी बताते हैं कि जाम की समस्या कम होगी और पुल का काम तेजी से चलेगा। अभी यातायात को लेकर काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
16 लाख की लागत से निर्माण
महाकुंभ के मौके पर दुनियाभर से करोड़ों लोग प्रयागराज आएंगे। इसको लेकर झुंसी, परेड, तिकोनिया, बैरहना आदि एरिया में यातायात का जबरदस्त दबाव होगा। इससे निजात पाने के लिए अलोपीबाग फ्लाईओवर के समानांनतर एक और फ्लाईओवर का निर्माण किया जा रहा है। महाकुंभ 2025 से पहले इस पुल का निर्माण पूरा होना है। जिसको लेकर काम में निरंतर तेजी लाने की कोशिश की जा रही है। वहीं फ्लाईओवर निर्माण के कारण जीटी जवाहर चौराहा, तिनकोनिया चौराहा, चुंगी सहित कई अन्य स्थानों पर जाम की समस्या बनी रहती है। यहां पर आये दिन लोगों को कई घंटों तक जाम में फंसे रहना पड़ता है। इससे बचाव के लिए इस वैकल्पिक व्यवस्था को यातायात के लिए जारी किया गया है। लगभग 16 लाख रुपये की लागत से इस सर्विस लेन का निर्माण किया गया है।

हमारी ओर से लगातार समाधान की तलाश की जा रही है। हम चाहते हैं कि फ्लाई ओवर का निर्माण जल्द हो और आम जनता को जाम से छुटकारा मिले। झूंसी से आने वाले लोगों को पुल निर्माण के कारण जाम की समस्या का सामना न करना पड़े, इसे ध्यान में रखकर इस सर्विस लेन की वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। शुक्रवार से जीटी जवाहर का यातायात फ्लाईओवर निर्माण के कारण बंद कर दिया गया है।
मनोज कुमार अग्रवाल, मुख्य परियोजना प्रबंधन, सेतु निगम, प्रयागराज