प्रयागराज (ब्‍यूरो)। पिछले कई दिनों से चर्चा में चल रही नाइट मार्केट में समस्याओं के खिलाफ फाइट तेज हो गई है। संचालकों की मनमानी के खिलाफ के खिलाफ एकजुट व्यापारियों ने नाइट मार्केट व्यापारी संघ का सृजन किया है। सृजित किए गए इसी संघ के बैनर तले अब वह हर जुल्म और ज्यादती के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे। संघ के पदाधिकारियों ने मार्केट संचालकों पर कई तरह के गंभीर आरोप लगाए हैं। मनमाने ढंग से बगैर रसीद किराया वह भी जीएसटी के साथ वसूलने की बातें कहीं गई हैं। पिछले दिनों हुई मारपीट की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद परत-दर-परत यहां की दबी छिपी बातें अब उभरने लगी हैं।

नहीं देते किराया व जीएसटी की रसीद
पिछले दिनों कंपनी बाग के सामने स्थित नाइट मार्केट में दुकानदार मो। तालिब के साथ मारपीट हुई थी। मारपीट के आरोप केयरटेकर अनवर सहित कुछ अन्य लोगों पर लगाए गए थे। इस घटना के बाद मार्केट में उत्पन्न समस्याओं के खिलाफ मुखर व्यापारियों ने फाइट तेज कर दी है। अब वह खुलकर अपनी बात उठाने के लिए एक जुट होकर नाइट मार्केट व्यापारी संघ का सृजन कर चुके हैं। पदाधिकारियों का दावा है कि वह मार्केट की हर समस्या के खिलाफ सृजित किए गए संघ के बैनर तले आवाज उठाई जाएगी। कई पदाधिकारियों ने कहा कि यहां हर रोज नाइट मार्केट के संचालक यानी केयर टेकर नए नियम लागू करते हैं। जिससे व्यापार तो प्रभावित हो रही है, अनाप-सनाप मनमाने तरीके से हर चीज के लिए पैसे भी वसूले जा रहे हैं। किराया से लेकर अन्य तमाम चीजों के लिए जाने वाले पैसों की उन्हें कोई रसीद नहीं दी जाती है। रसीद के अभाव में व्यापारियों को इस बात का डर है कि संचालक कभी भी उन पर किराया नहीं देने का आरोप लगा सकते हैं।

जानिए क्या कहते हैं व्यापारी
नाइट मार्केट के व्यापारी कहते हैं कि शुरुआती दौर में दस हजार रुपये ही किराया था। धीरे-धीरे बढ़ाकर आज किसी से 25 तो किसी से 30 हजार रुपये प्रति माह लिए जा रहे हैं। ऊपर से जीएसटी अलग ली जा रही है।
कहना तो यह भी है कि छह बाई छह की दुकान में लगे मीटर का व्यापारियों से दस हजार कनेक्शन के नाम पर नए दुकानदारों से लिए जाते हैं।
जबकि 600 रुपये प्रति किलो वाट सर्विस चार्ज एक्स्ट्रा वसूला जाता है। बावजूद इसके 09 रुपये प्रति यूनिट बिजली बिल भी देना पड़ता है।
व्यापारी कहते हैं कि इतना पैसा देने के बावजूद दुकान के पीछे फिजूल में पड़ी हुई जगह का यूज करने पर व्यापारियों से हजारों रुपये एक्स्ट्रा की जबरिया मांग की जाती है।
यदि कोई व्यापारी दुकान के सामने कुछ सामान बेचने के लिए रख लेता है तो उसका भी करीब दस हजार रुपये अतिरिक्त देने की मांग जबरिया संचालकों द्वारा की जाती है।
मनमाने तरीके से मांगे गए इन रुपयों को नहीं देने पर दुकानें वहां से हटाने व भगाने की धमकी दी जाती है। रसीद नहीं मिलने से दिए गए इन पैसों का उनके पास कोई हिसाब व सुबूत नहीं होता है।
इतने के बावजूद किसी तरह छोटे मोटे कारोबार से परिवार वाल रहे व्यापारियों को यहां परेशान किया जा रहा है, जिससे तंग होकर उन्हें नाइट मार्केट व्यापारी संघ का सृजन करना पड़ा।

नाइट मार्केट के व्यापारियों की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। व्यापारी परेशानी हैं। नाइट मार्केट व्यापारी संघ का गठन समस्याओं को निस्तारित कराने के उद्देश्य से किया गया है। अकारण व्यापारियों को परेशान किया गया तो सड़क से संसद तक संघर्ष किया जाएगा।
हिमांशु गुप्ता, अध्यक्ष महामंत्री नाइट मार्केट व्यापारी संघ

नाइट मार्केट में छह बाई छह की सिर्फ जगह दी गई है। दुकानें व्यापारियों ने खुद से बनवाया है। पीछे की तरफ बची जगह फिजूल ही है। यदि अपनी दुकान के पीछे दुकानदार कोई सामान रख देता है, तो केयर टेकर दुकानदार को परेशान करते हैं। उसका अतिरिक्त पैसा मांगा जाता है। लिए जाने वाले रुपयों की रसीद तक नहीं दी जाती।
नितेश रंजन, महामंत्री नाइट मार्केट व्यापारी संघ

यहां दुकानदारों को शुरुआती दौर में दस हजार रुपये किराया देना पड़ता था। कुछ दिन बाद पंद्रह फिर सोलह हजार किया गया। अब विथ जीएसटी 25 से 30 हजार रुपये किराया लिया जा रहा है। जबकि न किराए की रसीद दी जाती है न ही जीएसटी की। संगठन की मांग है कि टेंडर करने वाला विभाग ही किराया निर्धारित करे।
शुभम भारती, मीडिया प्रभारी महामंत्री नाइट मार्केट व्यापारी संघ

नाइट मार्केट का टेंडन दुर्वासा एसोसिएशन फर्म के नाम है। फर्म के मालिक जीएन उपाध्याय बताए जाते हैं। यहां मौजूद लेकर सिर्फ केयर टेकर के रूम में काम करते हैं। उनके जरिए यहां दुकानदारों के लिए नित नए नियम लागू किए जाते हैं। यदि कोई एक भी सामान दुकान के सामने बाहर रख लेता है तो उसका भी पैसा किराया के अतिरिक्त मांगा जाता है। जोकि सरासर गलत है।
रेहान, सचिव महामंत्री नाइट मार्केट व्यापारी संघ

दस हजार रुपये किराया कभी नहीं था। व्यापारियों को इतनी ही परेशानी है और उत्पीडऩ किया जा रहा तो वह यहां क्यों हैं। जहां तक रहा सवाल किराया व जीएसटी और अन्य चार्ज लिए जाने की तो मैं यह बात कैसे मान लूं, उनके पास क्या सुबूत है। नाइट मार्केट व्यापारी संघ बना है तो क्या उसका रजिस्ट्रेशन हुआ है? सारे आरोप गलत हैं, ऐसा कुछ भी नहीं है। किराए की सारी बात अपर नगर आयुक्त के सामने क्लियर हो चुकी है।
जूही जायसवाल, केयरटेकर नाइट मार्केट कंपनी बाग के सामने सिविल लाइंस