प्रयागराज (ब्यूरो)। शुरुआत तो एक बच्चे को शिक्षा देने से हुई थी लेकिन अब यह बड़ा कुनबा बनने की ओर है। इसकी सबसे बड़ी बात यह है कि इस 'संस्कार वाटिकाÓ को चलाने वाला कोई पेड प्रोफेशनल नहीं है। सभी या तो खुद छात्र हैं या फिर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। गरीब बच्चों को पढ़ाने का शौक अब जुनून बन चुका है। सोच और इनीशिएटिव के जरिए 'गुरुजी' का दर्जा पा चुकी शिक्षकों की टोली अब पढ़ाई से उठकर बच्चों को उच्च शिक्षा पाने के लिए तैयार करने और उनकी लाइफ सैटिल्ड करने की दिशा में भी कदम आगे बढ़ा चुके हैं।
2018 में हुई शुरुआत
2018 में ममफोर्डगंज एरिया में रहकर पढ़ाई करने वाले अभिनव शर्मा ने गरीब बच्चों को भटकते और घूमते देखा तो तय किया कि उन्हें अपनी पढ़ाई के समय में से बच्चों के लिए वक्त निकालेंगे। स्पेश आदि का जुगाड़ नहीं था तो उन्होंने राधाकृष्ण पार्क ममफोर्डगंज को चुना। यहां उन्होंने तीन बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। उनका यह इनीशिएटिव पंकज वर्मा, चंचल, रिया, सुरेश, रमाकांत, काजल, नीरज को भी पसंद आ गया तो वे भी इससे जुड़ गये और बच्चों को पढ़ाने के लिए वक्त निकालने लगे। बच्चों को पढ़ाने के साथ ही ये लोग गरीब और मलिन बस्तियों में जाकर बच्चों को पढऩे के लिए प्रेरित करने में जुट गये। इसे एक मिशन का रूप देने के लिए उन्होंने श्री संस्कार वाटिका न्यास नामक सामाजिक संगठन की शुरुआत की। अभिनव बताते हैं कि अब ऐसे बच्चों की संख्या सौ के आंकड़े को पार कर चुकी है।
प्रतियोगिताओं की भी तैयारी
अभिनव बताते हैं कि शुरुआती दौर में बच्चों को पढऩे लिखने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से काम किया। लेकिन वक्त के साथ इसका दायरा बड़ा कर लिया। ऐसे बच्चे जो किसी कोचिंग को ज्वाइन नहीं कर सकते या भी आर्थिक तंगी के चलते किसी टीचर से ट््यूशन नहीं ले सकते उनके लिए भी प्रयास शुरू कर दिया। नतीजा अब वह बच्चों को इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए भी तैयारी करवाने लगे हैं। अध्यक्ष अभिनव शर्मा ने बताया कि आज हमारे पढ़ाए बच्चे इंडियन एयर फोर्स, रेलवे सहित मेडिकल फील्ड में इंट्री ले चुके हैं। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से डबल एमए के आद बीएड कोस कम्प्लीट कर चुके अभिनव रेग्युलरली बच्चों के बीच पहुंचते हैं।
गांववालों का भी सपोर्ट
अभिनव बताते हैं कि अब उन्हें गांव के लोगों का भी सपोर्ट मिलने लगा है। इसके दम पर बच्चों के पढऩे के लिए तीन कमरों का भी निर्माण किया गया है। उनके सहयोग से यहां पढ़ाई करने वाली एक बच्ची की शादी भी धूमधाम से करायी गयी। उनका कहना है कि हमारा स्वप्न है कि एक नि:शुल्क आवासीय विद्यालय बनाया जाए। यहां शिक्षा और संस्कार का कांबो गरीब बच्चों को मिले।