प्रयागराज ब्यूरो । इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर डा.अनूप कुमार, उनके पिता और ममेरे भाई की बिहार के गया जिले में सड़क हादसे में मौत हो गई। डा.अनूप अपने परिजनों के साथ बहन की शादी तय करने गया गए थे। वहां से वापस में गया के आमस थाना एरिया में हाईवे पर खड़ी ट्रक में पीछे से डा.अनूप की कार घुस गई। जिससे मौके पर ही तीनों की मौत हो गई। परिजनों का रो रोकर बुरा हाल हो गया। डा.अनूप और अन्य दोनों बॉडी का पोस्टमार्टम मगध मेडिकल कालेज में हुआ। शुक्रवार को अ्रंत्येष्टि गया में फल्गू नदी के किनारे की जाएगी।
छुट्टी में गए थे गांव
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर डा.अनूप कुमार मूलरूप से औरंगाबाद जिले के रफीगंज घोसता गांव के रहने वाले थे। उनके पिता सुरेंद्र प्रसाद सिंह हाल ही में सिंचाई विभाग से एसडीओ पद से रिटायर हुए थे। डा.अनूप यूनिवर्सिटी में छुट्टी होने पर अपने गांव गए थे। वहां से वह अपने पिता और ममेरे भाई दयानिधी पांडेय के साथ गया अपनी बहन सुमन का रिश्ता तय करने चले गए।
लौटते वक्त हुआ हादसा
डा.अनूप अपने पिता और ममेरे भाई के साथ कार से वापस आ रहे थे। रास्ते में आमस थाना एरिया में नेशनल हाइवे पर खड़ी ट्रक में उनकी कार घुस गई। जिससे मौके पर ही तीनों की मौत हो गई। टक्कर इतनी भीषण थी कि कार को काट कर तीनों की बॉडी निकाली जा सकी।

एक संयोग यह भी
डा.अनूप कुमार अपने पिता के एकलौते बेटे थे। वहीं, ममेरे भाई दयानिधी पांडेय भी अपने पिता की एकलौते बेटे थे। दयानिधि औरंगाबाद के नवीनगर स्थित एक कालेज में शिक्षक थे। डा.अनूप को पांच महीने पहले एक बेटी हुई थी, जबकि दयानिधि को भी पांच माह पहले एक बेटा हुआ था। डा.अनूप की ससुराल गोरखपुर में है। उन्होंने अपना परिवार ससुराल में छोड़ दिया था, जबकि दयानिधि की ससुराल वाराणसी में है, उन्होंने भी अपना परिवार वाराणसी में छोड़ दिया था।

2013 में बने असिस्टेंट प्रोफेसर
डा.अनूप कुमार ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ही पढ़ाई की। इसके बाद यहीं पर 2013 में असिस्टेंट प्रोफेसर बने। यहां पोस्ट होने के पहले डा.अनूप 2010 में झांसी यूनिवर्सिटी में प्रवक्ता थे। वह यहां पर सरकारी कैंपस में अपनी पत्नी जया, बेटी अनन्या और पांच माह की बेटी के साथ रहते थे।


यूनिवर्सिटी में शोक का माहौल
इलाहाबाद यनिवर्सिटी के शिक्षक संघ आक्टा के अध्यक्ष डा.एआर सिद्दिकी ने शोक संदेश में कहा है कि यह विश्वविद्यालय परिवार के लिए बेहद दुखद घटना है। विश्वविद्यालय परिवार ने एक अच्छे शिक्षक को अपने बीच से खो दिया। प्रो.डा.राकेश सिंह ने कहा कि डा.अनूप का जाना विश्वविद्यालय के लिए अपूरर्णीय क्षति है।



डा.अनूप छात्रों से विशेष लगाव रखते थे। वह छात्रों के भविष्य की बहुत चिंता करते थे। जिसकी वजह से छात्र भी उनसे बेहद घुले मिले थे। डा.अनूप की मृत्यु ने उनके साथी हितैषियों को बहुत आहत किया है।
प्रो.कुमार वीरेंद्र, हिंदी विभाग