सूबे के अन्य भर्ती आयोग व बोर्ड में नहीं है त्रिस्तरीय आरक्षण की व्यवस्था

उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में पूर्व की व्यवस्था है लागू

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PRAYAGRAJ: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग यानी यूपीपीएससी की ओर से पीसीएस 2019 प्री परीक्षा 15 दिसंबर को आयोजित होनी है। उसके पहले ही आयोग की तरफ से एक बार फिर से त्रिस्तरीय आरक्षण लागू किए जाने का मुद्दा गर्माने लगा है। त्रिस्तरीय आरक्षण की व्यवस्था लागू किए जाने को लेकर पहले भी विवाद हुआ था। उसके बाद से फिर से उसको लागू किए जाने के बाद हाईकोर्ट तक मामले ने दस्तक दी है। जबकि प्रयागराज में ही सूबे के कई अन्य भर्ती बोर्ड और आयोग है। जहां पर त्रिस्तरीय आरक्षण की कोई व्यवस्था फिलहाल नहीं दिखाई देती है। ऐसे में सिर्फ यूपीपीएससी की ओर से ही विशेष रूप से त्रिस्तरीय आरक्षण व्यवस्था लागू किए जाना अपने आप में सोचने का विषय है।

उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में 1994 आरक्षण नीति लागू

एडेड डिग्री कालेजों में प्राचार्य व असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर नियुक्ति के लिए सूबे में उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग का गठन है। जिस पर इन डिग्री कालेजों में नियुक्ति की जिम्मेदारी है। ऐसे में वहां पर आरक्षण व्यवस्था को लेकर पूछे जाने पर आयोग की सचिव वंदना त्रिपाठी ने बताया कि उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में आरक्षण की व्यवस्था 1994 के नियमों के अनुरूप ही लागू की गई है। जिसके अन्तर्गत लिखित परीक्षा और इंटरव्यू को मिलाकर फाइनल रिजल्ट के समय आरक्षण व्यवस्था लागू होता है।

चयन बोर्ड में विज्ञापन में निर्धारित होता है आरक्षण

माध्यमिक स्तर के एडेड इंटर कालेजों में टीचर्स और प्रिंसिपल के पदों पर नियुक्ति के लिए भी त्रिस्तरीय आरक्षण लागू नहीं है। यहां भी विज्ञापन के समय ही आरक्षण के अनुसार पदों का विज्ञापन जारी किया जाता है। उसके आधार पर ही आरक्षण की प्रक्रिया पूरी की जाती है। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि लिखित परीक्षा और इंटरव्यू में उसी के आधार पर सेलेक्टेड अभ्यर्थियों का रिजल्ट जारी किया जाता है। जहां तक त्रिस्तरीय आरक्षण की व्यवस्था है। ऐसी कोई व्यवस्था फिलहाल बोर्ड में लागू नहीं है।