-इलाहाबाद-वाराणसी के बीच संचालित एसी बसों में सफर हुआ दुश्वार

-रोडवेज प्रशासन बसों की मरम्मत पर नहीं दे रहा है ध्यान

ALLAHABAD: एसी क्लास में सफर करना मतलब जर्नी को कम्फर्टेबल बनाना है। लेकिन, परिवहन निगम की सर्विस में इसका ठीक उल्टा है। दिन में तो 26 डिग्री सेल्सियस तापमान होता है तब भी एसी की कूलिंग ज्यादा नहीं अखरती लेकिन रात में जब तापमान 12 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाता है यह कूलिंग पैसेंजर्स के लिए सजा बन जाती है। यात्रियों की शिकायत पर बस में चलने वाला निगम का स्टॉफ कुछ भी कर पाने में असमर्थता जताता है तो अधिकारियों के पास फुर्सत ही नहीं है कि वह इस बारे में कुछ सोचे।

कम नहीं हो सकती कूलिंग

बता दें कि यात्रियों को बेहतर यात्रा का अनुभव कराने के लिए रोडवेज प्रशासन ने इलाहाबाद से कई रूट्स पर एसी बसों का संचालन शुरू किया है। नियमानुसार को एसी कोच में पैसेंजर्स कम्फर्टेबल फील करे, ऐसी कूलिंग होनी चाहिए। इसके लिए बस में कूलिंग एडजेक्टर और सिर पर लगा फैन क्लोज करने का आप्शन दिया जाता है। रोडवेज बसों में ऐसा कुछ है ही नहीं। इस तरफ न तो वाहन स्वामी ध्यान दें रहे हैं और न ही रोडवेज डिपार्टमेंट।

ठंड से कांपते रहे पैसेंजर

एक एसी बस कानपुर से वाराणसी के बीच चलती है। इसका एकमात्र स्टापेज इलाहाबाद में दिया गया है। इसी बस से सफर कर रहें पैसेंजर जितेन्द्र कुमार के मुताबिक कानपुर से वह इलाहाबाद आ रहे थे। रात में कानपुर से बस छूटी तब जो कूलिंग थी वही रास्ते भर रही। एसी बस की सुविधा के चलते ज्यादातर पैसेंजर्स के पास कम्बल या ऐसा कुछ नहीं था जिसे वे ओढ़कर ढंड से राहत पा सकें। इलाहाबाद से वाराणसी के लिए बन के रवाना होने पर ठंड का एहसास बर्दाश्त के बाहर होने पर बस संख्या यूपी-65 सीटी-8194 के पैसेंजर्स ने कूलिंग कम करने की रिक्वेस्ट कंडक्टर से की। खुद भी कूलिंग कम करने की कोशिश की। लेकिन, न तो कंडक्टर कूलिंग कम कर सका और न ही वे खुद ऐसा करने में कामयाब हुए।