प्रयागराज (ब्यूरो)। देश की आन-बान-शाम हम सब का प्यारा तिरंगा सैकड़ों महिलाओं की तिजोरी नोटों से भर देगा। यह महिलाएं वे हैं जो महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़कर काम कर रही हैं। इन महिलाओं को शासन के द्वारा एक लाख 80 हजार के करीब तिरंगा बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी। उनके द्वारा तैयार किए गए तिरंगे में आने वाली लागत का भुगत नगर निकाय सीधे समूहों को करेगा। कई समूहों की महिलाएं इस काम में दिन रात आज भी जुटी हुई हैं। क्योंकि टारगेट अचीव करने के लिए उनके पास महज 14 अगस्त तक का ही मौका है।
पंद्रह अगस्त पर हर वर्ष लाखों करोड़ों तिरंगे की डिमांड अकेले प्रयागराज में होती है। यह तिरंगा अलग-अलग स्थानों से व्यापारियों के द्वारा मंगाए जाते हैं। सरकारी विभागों में भी बड़े पैमाने पर तिरंगा की जरूरत पड़ती है। यह देखते हुए इस बार सरकार के द्वारा स्वयं सहायता समूहों से तिरंगा तैयार कराने का प्लान बनाया गया। इनके द्वारा तैयार किए गए तिरंगे को नगर निगम व नगर निकायों में भेजा जाने के निर्देश दिए गए। प्रयागराज जनपद में महिला स्वयं सहायता समूहों को एक लाख 80 हजार तिरंगा बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। नगरीय विकास अभिकरण यानी डूडा के द्वारा यह काम महिला सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को सौंप दिया गया। मंशा थी कि आजादी के इस पर्व पर उन महिलाओं को रोजगार से जोड़ा जाय। बताते हैं कि उन महिलाओं के जरिए टारगेट के अनुरूप तिरंगा तैयार कर लिया गया है। बचे हुए एक दो फीसदी तिरंगे को वह पंद्रह अगस्त के पहले बनाकर तैयार कर लेंगी। इसके लिए समूह की महिलाएं दिन रात मेहनत करने में जुटी हुई हैं। बताते चलें कि नगर निगम व नगर पंचायतों के वार्डों में उनके द्वारा भेजे गए तिरंगों को घर-घर तिरंगा अभियान में प्रयोग किया गया।
डूडा से खरी सकेंगी आम पब्लिक
आम पब्लिक हो या व्यापारी, जरूरत के अनुरूप वह मात्र बीस रुपये में बीस बाई 30 इंच का तिरंगा नगरीय विकास अभिकरण से खरीद सकते हैं। इसके लिए वह ऑनलाइन पेमेंट भी कर सकते हैं। मतलब यह कि व्यापारियों को तिरंगा बाहर से मंगाने की जरूरत नहीं है। वह विभाग से इस तिरंगे को खरीद कर ट्रांसपोर्टिंग खर्च बचा सकते हैं। इससे उन्हें अच्छा खासा मुनाफा तो होगा ही, उनके इस कार्य से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को भी थोड़ी बहुत इनकम मिल जाएगी।
महिला स्वयं सहायता समूहों के द्वारा तिरंगा बनाने का टारगेट करीब पूरा कर लिया गया है। अभी तो वह खुद से ही तिरंगा बनाने में आने वाली लागत लगा रही हैं। बिल देने के बाद उनका पेमेंट नगरीय निकाय के द्वारा किया जाएगा।
सुजीत कुमार सिंह, मिशन प्रबंधक डूडा