प्रयागराज ब्यूरो । बसपा विधायक राजू पाल मर्डर केस का मुख्य गवाह था मौत के घाट उतारा गया उमेश पाल
अधिवक्ता उमेश पाल और उसके दो गनर की हत्या को हुए आज एक महीने का वक्त बीत गये। धूमनगंज के जयंतीपुर में 24 फरवरी को यह घटना हुई थी और शुक्रवार को 24 मार्च बीत गया। बावजूद दिनदहाड़े हुई इस सनसनीखेज वारदात में नामजद एक भी अभियुक्त को प्रयागराज कमिश्नरेट की पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी। खुली फिजां में घूम रहे सभी आरोपित पुलिस के लिए चैलेंज बन चुके हैं। गिरफ्तारी को लेकर चली जाने वाली पुलिस की हर चाल को शातिर अपराधी मात देते आ रहे हैं। वारदात को अंजाम देने वाले किस गुफा में छिपे में पुलिस के लिए यह पता लगा पाना मुश्किल हो गया है। घर तोडऩे से लेकर अन्य तरह के दबाव बनाए जाने के बावजूद अंडरग्राउंड आरोपित बाहर नहीं आ रहे हैं। ऐसी स्थिति में उमेश पाल और मारे गए उसके गनर के परिवार की सुरक्षा को लेकर अब लोग सवाल उठाने लगे हैं।

सात गोली से उमेश के शरीर में हुए थे 13 छेद
फरवरी महीने की 24 तारीख थी जिस दिन गोलियों की तड़तड़ाहट और बम के धमाकों से जयंतीपुर मोहल्ला थर्रा उठा था। कचहरी से घर लौट रहे बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल पर शूटरों ने दिनदहाड़े गोलियां बरसा दी थीं। घात लगाकर खड़े शूटरों के हमले में उमेश पाल के गनर संदीप निषाद एवं राघवेंद्र सिंह को संभलने तक का मौका नहीं था। शूटरों के गन से निकली सात गोलियां उमेश पाल के शरीर को छलनी करते हुए निकल गयी थीं। गोलियों से उसके शरीर में 13 छेद हो गए थे। शरीर का सारा खून बह जाने से उमेश पाल ने मौके पर दम तोड़ दिया था। पोस्टमार्टम में डॉक्टरों को बॉडी से सिर्फ एक गोली बरामद हुई थी। ऐसे में माना यह गया था कि छह गोली बॉडी को भेदते हुए निकल गई होगी। गोली से घायल गनर संदीप ने एसआरएन हॉस्पिटल में दम तोड़ दिया जबकि राघवेंद्र की इलाज के दौरान लखनऊ पीजीआई में मौत हो गई थी। अधिवक्ता उमेश पाल व उसके दो गनर की हत्या से जिला ही नहीं प्रदेश सिहर उठा। गोलियों के गूंज की आवाज सदन तक जा पहुंची। घटना के बाद मारे गए उमेश पाल की पत्नी जया पाल के द्वारा पुलिस को तहरीर दी गई थी। तहरीर के आधार पर धूमनगंज पुलिस द्वारा पूर्व सांसद माफिया अतीक अहमद, उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ, माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन व गुर्गे गुड्डू मुस्लिम और गुलाम के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया गया। दर्ज किए गए इस केस में माफिया अतीक अहमद का बेटा व अन्य पुत्र एवं नौ साथी व सहयोगी भी आरोपित हैं।

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तीनों के परिवार की सुरक्षा पर सवाल
ट्रिपल मर्डर में नामजद व साइलेंट आरोपितों की तलाश में जुटी पुलिस अब तक एक भी नामजद अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं कर पाई सकी।
घटना को हुए पूरे एक महीने का वक्त बीत आज बीत गया। बताते चलें कि आरोपितों में माफिया अतीक अहमद अहमदाबाद तो अशरफ बरेली जेल में पहले से ही बंद है।
जांच में पुलिस को पता चला कि इस शूटआउट की लीडिंग अतीक का बेटा असद कर रहा था।
नामजद शाइस्ता परवीन से लेकर गुड्डू मुस्लिम व गुलाम और प्रकाश में आए असद में से किसी भी एक को पुलिस आज तक गिरफ्तार नहीं कर सकी।
महीने भर से गिरफ्तारी को लेकर सिर्फ जनपद ही नहीं, गैर प्रदेश यहां तक कि नेपाल तक का चक्कर काट चुकी है।
बावजूद इसके इन अभियुक्तों को गिरफ्तार कर पाने में पुलिस के हाथ सिर्फ नाकामी ही लगी है।
पुलिस के पूरे सिस्टम को मात देने में कामयाब यह शार्प शूटर पूरे सिस्टम को हिलाने व दहशत में डालने बावजूद खुली घूम रहे हैं।


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इनाम घोषित और वांछित अभियुक्त
मुख्य अभियुक्तों की गिरफ्तारी में नाकाम पुलिस सभी पर अगल बगल से दबाव बनाने में जुटी है। वांछित चल रहे माफिया अतीक अहमद के बेटे असद अहमद व साबिर और गुलाम एवं गुड्डू मुस्लिम पर पांच-पांच लाख रुपये का इनाम घोषित की है। मामले में नामजद व वांछित चल रही माफिया अतीक अहमद की बीवी शाइस्ता परवीन पर भी 25 हजार रुपये के इनाम घोषित किए जा चुका है। इनमें से एक भी अभियुक्त को पुलिस आज तक गिरफ्तार नहीं कर पाई कर पाई। कार्रवाईयों में पीडीए के जरिए वह मकान ढहा दिया गया जिसमें वह बेटों के साथ रहा करती थी। जिस मकान को तोड़ा गया वह बांदा के जफर अहमद खान के नाम बताया गया। आज तक पुलिस जफर तक भी नहीं पहुंच पाई है।

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यह अभियुक्त किए गए हैं गिरफ्तार
उमेश पाल मर्डर केस की जांच में जुटी पुलिस यह पता लगाने में कामयाब रही कि पूरी घटना की साजिश गाजीपुर के सदाकत के द्वारा रची गई थी। एसटीएफ द्वारा उसे मुस्लिम हॉस्टल से गिरफ्तार किया जा चुका है। इसी के साथ पांच और अभियुक्त पकड़े गए। इनमें धूमनगंज के नियाज अहमद, मो। सजर, अरशद कटरा और कैश अहमद व राकेश कुमार का नाम शामिल है। इन पांचों अभियुक्तों की गिरफ्तारी माफिया अतीक अहमद के कार्यालय से अवैध असलहों का जखीरा एवं 72 लाख 35 हजार रुपये की बरामदगी की गई थी। इसके पूर्व घटना के बाद पुलिस द्वारा माफिया अतीक अहमद के दो अवयस्क बेटों को भी पकड़ा गया। जिन्हें राजरूपपुर बाल संरक्षण गृह में दाखिल किए जाने की बात पुलिस द्वारा कोर्ट को बताई गई है।

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मुठभेड़ में मारा गया एक शूटर व चालक
उमेश पाल पर पहली गोली चलाने वाले प्रकाश में आए विजय चौधरी उर्फ उस्मान कौंधियारा में मुठभेड़ के दौरान मारा गया था। यह मुठभेड़ 06 मार्च 2023 को हुई थी। इससे पूर्व 27 फरवरी 23 को घटना के बाद शूटरों की गाड़ी चला कर सुरक्षित निकालने वाले चालक अरबाज उर्फ अफाक भी मुठभेड़ में ढेर हो गया था। अरबाज मूलरूप से पूरामुफ्ती थाना क्षेत्र के सल्लाहपुर का रहने वाला था। मुठभेड़ में उसे चार गोलियां लगी थी।


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चार मकान किए गए जमींदोज
अधिवक्ता उमेश पाल की हत्या के बाद कार्रवाई में जुटी पुलिस के सपोर्ट में पीडीए भी उतर पड़ी। पीडीए के जरिए कई अभियुक्तों के मकान जमींदोज किए जा चुके हैं। इसमें सबसे पहले चकिया स्थित शाइस्ता परवीन जिस मकान में रहती थी उसे ढहाया गया। करोड़ों के कीमत का यह मकान बांदा के जफर अहमद खान का बताया गया था। इसके बाद गन हाउस संचालक सफदर का मकान तोड़ा गया। फिर बम्हरौली में माबूद प्रधान के मकान को ढहा दिया गया। नामजद गुड्डू मुस्लिम के मकान पर नोटिस चस्पा की जा चुकी है।