-यूपी फिल्म विकास परिषद के मेंबर विकास कपूर ने आई नेक्स्ट से शेयर की भावी योजनाएं

-इलाहाबाद के थियेटर आर्टिस्ट्स को मिलेगी प्राथमिकता, प्रदेश भर के आर्टिस्टों का तैयार किया जाएगा डाटा

<-यूपी फिल्म विकास परिषद के मेंबर विकास कपूर ने आई नेक्स्ट से शेयर की भावी योजनाएं

-इलाहाबाद के थियेटर आर्टिस्ट्स को मिलेगी प्राथमिकता, प्रदेश भर के आर्टिस्टों का तैयार किया जाएगा डाटा

ajeet.singh@inext.co.in

ALLAHABAD: ajeet.singh@inext.co.in

ALLAHABAD: अब इलाहाबाद के साथ ही प्रदेशभर के प्रतिभाशाली रंगकर्मी सिल्वर स्क्रीन पर अपना करियर चमका सकेंगे। इन्हें मुंबई जाकर ठोकरें नहीं खानी पड़ेंगी। यूपी फिल्म विकास परिषद प्रदेश के दो शहरों में फिल्म सिटी सेंटर का निर्माण करने जा रहा है। आई नेक्स्ट से विशेष बातचीत में यूपी फिल्म विकास परिषद के मेंबर विकास कपूर ने बताया कि 'मोर फिल्म मोर एम्प्लायमेंट' मिशन के तहत यह कार्य किया जा रहा है। इसे परिषद के अध्यक्ष यूपी के सीएम अखिलेश यादव का पूरा सपोर्ट है।

आपको लगता है परिषद प्रदेश के रंगकर्मियों के लिए संभावनाएं तलाश पाएगा?

जी हां। प्रदेश के दो शहरों उन्नाव और आगरा हाइवे पर फिल्म सिटी सेंटर का निर्माण प्रस्तावित है। इसके बाद हम प्रदेशभर के रंगकर्मियों को रोजगार मुहैया कराने में सक्षम होंगे।

इलाहाबाद में मूवी शूटिंग के लिए लोकेशन की क्या संभावनाएं हैं?<अब इलाहाबाद के साथ ही प्रदेशभर के प्रतिभाशाली रंगकर्मी सिल्वर स्क्रीन पर अपना करियर चमका सकेंगे। इन्हें मुंबई जाकर ठोकरें नहीं खानी पड़ेंगी। यूपी फिल्म विकास परिषद प्रदेश के दो शहरों में फिल्म सिटी सेंटर का निर्माण करने जा रहा है। आई नेक्स्ट से विशेष बातचीत में यूपी फिल्म विकास परिषद के मेंबर विकास कपूर ने बताया कि 'मोर फिल्म मोर एम्प्लायमेंट' मिशन के तहत यह कार्य किया जा रहा है। इसे परिषद के अध्यक्ष यूपी के सीएम अखिलेश यादव का पूरा सपोर्ट है।

आपको लगता है परिषद प्रदेश के रंगकर्मियों के लिए संभावनाएं तलाश पाएगा?

जी हां। प्रदेश के दो शहरों उन्नाव और आगरा हाइवे पर फिल्म सिटी सेंटर का निर्माण प्रस्तावित है। इसके बाद हम प्रदेशभर के रंगकर्मियों को रोजगार मुहैया कराने में सक्षम होंगे।

इलाहाबाद में मूवी शूटिंग के लिए लोकेशन की क्या संभावनाएं हैं?

इलाहाबाद एक हेरिटेज प्लेस भी है। यहां के ऐतिहासिक स्थलों को चिन्हित कर उनका कायाकल्प करेंगे ताकि फिल्म इंडस्ट्री को यहां शूटिंग के लिए बेहतर लोकेशन मिले। जब तक शूटिंग प्लेस अच्छे नहीं होंगे, कोई भी आना पंसद नहीं करेगा। इसलिए पहले प्लेस पर ध्यान दिया जा रहा है। यहां पहले भी कई बड़े बजट की मूवीज बन चुकी हैं।

रंगकर्मियों को रोजगार देने के लिए क्या रणनीति हैं?<इलाहाबाद एक हेरिटेज प्लेस भी है। यहां के ऐतिहासिक स्थलों को चिन्हित कर उनका कायाकल्प करेंगे ताकि फिल्म इंडस्ट्री को यहां शूटिंग के लिए बेहतर लोकेशन मिले। जब तक शूटिंग प्लेस अच्छे नहीं होंगे, कोई भी आना पंसद नहीं करेगा। इसलिए पहले प्लेस पर ध्यान दिया जा रहा है। यहां पहले भी कई बड़े बजट की मूवीज बन चुकी हैं।

रंगकर्मियों को रोजगार देने के लिए क्या रणनीति हैं?

हम प्रदेश भर के आर्टिस्ट्स का डाटा तैयार कर रहे हैं। अक्सर लोग मूवी में काम करने वाले को ही उसका हिस्सा मानते हैं। लोगों को ये नहीं पता होता कि एक मूवी को बनाने में डायरेक्टर से लेकर प्रोड्यूसर, म्यूजीशियन, कोरियोग्राफर, क्लैप मैन, कैमरामैन के अलावा लाइन प्रोड्यूसर, पर्सनल स्टाफ, ट्राली ड्राइवर, लाइटमैन, क्राउड कोआर्डिनेटर,मेकअप मैन, हेयर आर्टिस्ट्स का भी अहम रोल होता है। इन सब के नीचे तीन से दस लोगों की टीम होती है। फिल्म विकास परिषद का गठन ही इसीलिए किया गया है कि हर लेवल पर आर्टिस्ट्स को रोजगार मुहैया कराया जा सके।

किन शहरों को शूटिंग के लिए मिलेगी प्राथमिकता?<हम प्रदेश भर के आर्टिस्ट्स का डाटा तैयार कर रहे हैं। अक्सर लोग मूवी में काम करने वाले को ही उसका हिस्सा मानते हैं। लोगों को ये नहीं पता होता कि एक मूवी को बनाने में डायरेक्टर से लेकर प्रोड्यूसर, म्यूजीशियन, कोरियोग्राफर, क्लैप मैन, कैमरामैन के अलावा लाइन प्रोड्यूसर, पर्सनल स्टाफ, ट्राली ड्राइवर, लाइटमैन, क्राउड कोआर्डिनेटर,मेकअप मैन, हेयर आर्टिस्ट्स का भी अहम रोल होता है। इन सब के नीचे तीन से दस लोगों की टीम होती है। फिल्म विकास परिषद का गठन ही इसीलिए किया गया है कि हर लेवल पर आर्टिस्ट्स को रोजगार मुहैया कराया जा सके।

किन शहरों को शूटिंग के लिए मिलेगी प्राथमिकता?

इलाहाबाद का नाम पूरी दुनिया में है। इसलिए इस शहर को शूटिंग प्लेस बनाना हमारी प्राथमिकता है। लखनऊ, आगरा, चित्रकूट, दुधवा, मिर्जापुर, सारनाथ, वाराणसी, वृंदावन, अयोध्या, झांसी, महोबा, सोनभद्र, बुंदेलखंड, भदोही आदि भी सूटिंग स्थल बन सकते हैं। जल्द ही इसे आईडेंटीफाई किया जाएगा।

कलाकार हूं तो कलाकारों से है लगाव

बेसिकली लखनऊ शहर के रहने वाले विशाल कपूर को बचपन से थियेटर का शौक था। एजुकेशन कंप्लीट करने के बाद सीधे मुम्बई नगरी पहुंच गए। जहां कई सालों तक काफी स्ट्रगल के बाद थियेटर में अपनी पहचान बनाई। सात सौ से अधिक थियेटर कर चुके विकास बताते हैं कि एक कलाकार होने के नाते उन्हें रंगकर्मियों से लगाव है। इसीलिए कलाकारों की हर परेशानी को भी समझते हैं। इसी परेशानी का हल खोजने का एक प्रयास है प्रदेश में फिल्म सिटी सेंटर्स का निर्माण।