हाईकोर्ट में दाखिल हुई याचिका

prayagraj@inext.co.in

योग्य अभ्यर्थियों को आगे बढ़ाने का हवाला देकर पीसीएस 2019 की प्रारंभिक परीक्षा से आरक्षण व्यवस्था खत्म करने की मांग उठी है। प्रारंभिक परीक्षा में जाति/वर्गवार आरक्षण देने के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के प्रवक्ता अवनीश पांडेय ने याचिका दाखिल करके तर्क दिया गया कि है कि पीसीएस 2015 से 18 तक की परीक्षाओं में सामान्य व ओबीसी वर्ग की मेरिट लगभग बराबर रही है। इसके पीछे शुरुआत से आरक्षण लागू होना है। आरक्षण के चलते सामान्य वर्ग के योग्य अभ्यर्थी पहले ही बाहर कर दिए गए हैं।

पीसीएस 2019 के लिए आवेदन पूर्ण

उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग ने पीसीएस 2019 का विज्ञापन 18 अक्टूबर को जारी किया। बुधवार को आवेदन की प्रक्रिया समाप्त हो गयी। कुल 5,44,646 कैंडीडेट्स ने प्री में एपीयर होने के लिए अप्लाई किया है। प्री एग्जाम 15 दिसंबर को प्रस्तावित है। आयोग में आवेदन पत्रों की जांच का काम शुरू हो चुका है। दिसंबर के फ‌र्स्ट वीक में एडमिट कार्ड जारी कर दिये जाने की संभावना है। याचिका दाखिल करने वालों का तर्क है कि वर्तमान परीक्षा प्रक्रिया में तरह अनुच्छेद 16 (4) (ख) के साथ उत्तर प्रदेश आरक्षण नियमावली-1994 के खंड 3 (2) का पालन करते हुए प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम बनाया जाय जो अभी तक नहीं हुआ। आयोग आरक्षण के नाम पर मनमाना रवैया अपनाता है। प्रारंभिक परीक्षा में सफल अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा में सम्मिलित हों। फिर साक्षात्कार के बाद मुख्य परीक्षा व इंटरव्यू के नंबरों को जोड़कर मेरिट बनाकर उसमें आरक्षण दिया जाए।