प्रयागराज (ब्‍यूरो)। अफसर जब सड़क पर निकलते हैं तो क्या देखते हैं। क्या उन्हें ई रिक्शा चालकों की मनमानी नहीं दिखाई देती। ये सवाल तब खड़ा हो जाता है जब पूरा शहर ई रिक्शा चालकों की अराजकता से त्रस्त आ गया है। इसके बावजूद कोई भी जिम्मेदार अफसर ई रिक्शा चालकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है। आखिर इसके पीछे वजह क्या है, शहरियों के मन में ये सवाल जरुर कौंधता होगा।

सड़क, चौराहा हर जगह अराजकता
ई रिक्शा चालकों की मनमानी चरम पर है। शायद ही कोई चौराहा हो या फिर सड़क जहां पर खुली आंखों से ई रिक्शा चालकों की अराजकता दिखाई न पड़ती हो, शहरी अराजकता से परेशान न होते हों। मगर अफसर शायद आंख पर पट्टी बांध कर निकलते हैं। जिसकी वजह से उन्हें सब ठीक ठाक ही नजर आता है।

मिश्रा भवन चौराहा
सिविल लाइंस में हनुमान मंदिर के पीछे मिश्रा भवन चौराहा है। यहां पर दिन भर ई रिक्शा चालकों का जमावड़ा रहता है। दिन भर जाम की स्थिति रहती है। मगर मजाल है कि उनके खिलाफ कार्रवाई हो जाए।

हनुमान मंदिर चौराहा
हनुमान मंदिर चौराहा भी ई रिक्शा चालकों की अराजकता का शिकार है। पूरे चौराहे पर ई रिक्शा चालक डेरा जमाए रहते हैं। रोजाना बाइक और कार चालकों से ई रिक्शा चालकों का विवाद होता रहता है। इसके गवाह वहां तैनात होने वाले यातायात के सिपाही दारोगा रहते हैं, मगर कार्रवाई सीफर है।

बैंक रोड चौराहा
यूनिवर्सिटी के पास बैंक रोड चौराहा है। पूरा चौराहा ई रिक्शा चालकों के कब्जे में रहता है। जहां मन होता है वहां पर चालक ई रिक्शा खड़ा किए रहते हैं। मगर मजाल है कि उन्हें कोई कुछ बोल दे। कोई कार्रवाई हो जाए।

आखिर कार्रवाई क्यों नहीं
ई रिक्शा चालकों को यातायात नियमों का पाठी सख्ती से क्यों नहीं पढ़ाया जा रहा है। और जाने कितनी मौतों का इंतजार किया जा रहा है। जबकि बीते शनिवार को नैनी पुल पर आकाश नाम के युवक की मौत ई रिक्शा की अराजकता से हो चुकी है। इसके बावजूद किसी भी जिम्मेदार अफसर के कान पर जूं नहीं रेंग रही है।

इतने ढेर सारे अफसर
शहर में अफसरों की कमी नहीं है। डीएम, आईजी, पुलिस कमिश्नर, डीसीपी सिटी, कई एसीपी, यातायात के डीसीपी, एसीपी जैसे अफसर हैं जो कि रोजाना सड़क पर सरकारी वाहनों से अपने कार्यालयों के लिए निकलते हैं। ये सभी अफसर ई रिक्शा चालकों की मनमानी के खिलाफ स्वत: संज्ञान ले सकते हैं। मगर इसके बावजूद यातायात व्यवस्था भगवान भरोसे छोड़ दी गई है।