प्रयागराज (ब्यूरो)। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट रिपोर्टर मंगलवार को बेली हॉस्पिटल गेट के पास बनाए गए बस सेंटर पहुंचा था। यहां गेट नंबर दो के पास व इसके ठीक सामने दूसरी पटरी पर बस शेड बनाया गया है। यहां रिपोर्टर करीब एक घंटे तक खुद मौजूद रहा। समय हो था दिन में साढ़े बारह बजे से दो बजे के बीच का। आश्चर्यजनक रूप से यहां एक भी बस नहीं रुकी। चौंकाने वाली बात यह भी रही कि यहां बस का इंतजार करने कोई यात्री भी नहीं पहुंचा। कारण तलाशने पर पता चला कि गेट नंबर एक पर तिपहिया वाहन झुण्ड में खड़े रहते हैं। वह अस्पताल से बाहर आते ही लोगों को अपने वाहन में बैठा लेते हैं। इस पर उन्हें न कोई रोकने वाला दिखा और न ही कुछ पूछने वाला।


सरकार का काम है योजनाएं बनाकर संचालन के लिए बजट देना। उस पैसे से व्यवस्था करने व उसका लोगों को लाभ देने की जिम्मेदारी अफसरों की होती है। अधिकारी रुपये खर्च करने में आगे होते हैं। उसका लाभ पब्लिक को मिल रहा या नहीं यह देखना वे भूल जाते हैं।
प्रदीप कुमार
नवाबगंज

इस बस सेंटर को बनते हुए देखा था तो उम्मीद थी कि अब बड़े शहरों की तरफ यहां बसें यात्रियों को मिलेंगी। किसी को साधन के लिए जहां तहां खुले आसमान के नीचे असुरक्षित तरीके से खड़ा नहीं होना पड़ेगा। मगर, बस सेंटर बनकर तैयार हो गए। यहां बस स्टॉपेज के बोर्ड भी लगाए गए हैं। फिर भी आज तक यहां बसों को रुकते व सवारी बैठाते कभी नहीं देखा।
मोइन, बेली

बेली हॉस्पिटल के सामने बस सेंटर बनाने का उद्देश्य ही रहा होगा कि मरीजों व तीमारदारों को साधन के लिए परेशान नहीं होना पड़े। मगर अधिकारियों की उपेक्षा ही है कि आज तक यहां से लोगों को बसें नहीं मिलतीं। सिटी बसों का यहां ठहराव नहीं होना अफसरों की गैर जिम्मेदाराना भरी मंशा को दर्शाता है। यह सरकारी पैसे की खुलेआम बर्बादी है।
राजेश कुमार गुप्ता, मेजा

चीजें सरकारी हों या प्राइवेट बनाने के बाद यदि उसका उपयोग ही नहीं हो तो उसे बेकार ही कहा जाएगा। कुछ ऐसा ही है इस यात्री शेड बस सेंटर का भी। बस रोडवेज की सिटी बसें बीच में कहीं रुकेंगी ही नहीं तो यात्री शेड में लोग इंतजार क्यों करेंगे। बीच रोड खड़े होकर कहीं भी बसों को रोकने वालों के लिए एक्सीडेंट का खतरा बना रहता है। जब बसों को यहां रोकना ही नहीं था तो लाखों करोड़ों रुपये अधिकारी बर्बाद ही क्यों किए।
लालता प्रसाद, बेली