प्रयागराज (ब्‍यूरो)। इस घटना से आहत कल्याण सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस नियुक्ति को चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जगदम्बिका पाल की मुख्यमंत्री के तौर पर नियुक्ति को अवैध करार दे दिया। मामला यह था कि 21-22 फरवरी 1998 को दल-बदल की वजह से बहुमत साबित करने के दौरान यूपी विधानसभा में जमकर मारपीट हुई। इसे देखते हुए तत्कालीन गवर्नर रोमेश भंडारी ने केंद्र सरकार से यूपी में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की थी। इससे केंद्र ने इंकार कर दिया था। तब कल्याण सिंह ने देश के इतिहास का सबसे बड़ा मंत्रिमंडल बनाया और इसमें 93 मंत्री रखे गए थे। इसके बाद हाईकोर्ट ने 26 फऱवरी तक कल्याण सिंह को सदन बहुमत साबित करने का आदेश भी दिया। एक बार फिर कल्याण सिंह ने सदन में अपना बहुमत साबित कर दिया। 406 सदस्यों वाली विधानसभा में कल्याण सिंह को 225 वोट मिले जबकि पाल को 196 वोट मिले। उसके बाद में सुप्रीमकोर्ट ने भी इसे हरी झंडी दे दी थी। बताते हैं कि उस समय केशरीनाथ त्रिपाठी ने बीएसपी से अलग हुए विधायकों को निर्दलीय उम्मीदवार का दर्जा दिया और उनके खिलाफ दाखिल सदस्यता रद्द करने की याचिका भी ख़ारिज कर दी गई थी।